213 करोड़ का ऑर्डर, एनबीसीसी को दिल्ली यूनिवर्सिटी से मिली बड़ी जिम्मेदारी, शेयरों में हो सकती है तेज़ी

213 करोड़ का ऑर्डर, एनबीसीसी को दिल्ली यूनिवर्सिटी से मिली बड़ी जिम्मेदारी, शेयरों में हो सकती है तेज़ी
Last Updated: 12 घंटा पहले

"दिभारत की प्रमुख पब्लिक सेक्टर कंस्ट्रक्शन कंपनी एनबीसीसी (इंडिया) को दिल्ली विश्वविद्यालय से 213 करोड़ रुपये का बड़ा ऑर्डर मिला है। इस ऑर्डर के बाद कंपनी के शेयरों में बुधवार को उठापटक देखने को मिल सकती है। सोमवार को कंपनी के शेयर 98.34 रुपये के स्तर पर बंद हुए थे, जबकि मंगलवार को यह 0.79 रुपये (0.80%) की बढ़त के साथ 99.13 रुपये पर पहुंचे थे।

एनबीसीसी को मिला 213 करोड़ रुपये का ऑर्डर

एनबीसीसी को यह ऑर्डर दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से मिला है। कंपनी और कॉलेज के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत एनबीसीसी कॉलेज कैंपस में विभिन्न विकासात्मक कार्यों को अंजाम देगी।

कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार

इस ऑर्डर के तहत, एनबीसीसी को कॉलेज में कई महत्वपूर्ण काम करने होंगे। इनमें नए ऑडिटोरियम का निर्माण, अकैडमिक बिल्डिंग का विस्तार और आधुनिक हॉस्टल सुविधाओं का निर्माण शामिल है। इन विकास कार्यों को अलग-अलग चरणों में पूरा किया जाएगा। कंपनी ने बताया कि पहला चरण जल्द ही शुरू होगा।

शेयरों में संभावित उतार-चढ़ाव

एनबीसीसी को यह बड़ा ऑर्डर मिलने के बाद कंपनी के शेयरों में एक्शन देखने को मिल सकता है। मंगलवार को कंपनी के शेयरों में हल्की बढ़त देखी गई थी। शेयर ने कारोबार के दौरान 98.00 रुपये से लेकर 100.17 रुपये तक का सफर तय किया। इसके चलते बुधवार को शेयरों में और भी तेजी देखने की उम्मीद जताई जा रही है।

52 हफ्तों की तुलना में शेयरों की स्थिति

हालांकि, बीएसई के आंकड़ों के अनुसार, एनबीसीसी के शेयर अपने 52 हफ्ते के उच्चतम स्तर से अभी भी काफी नीचे हैं। कंपनी के शेयरों का 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर 139.90 रुपये था, जबकि निचला स्तर 48.39 रुपये रहा। मौजूदा मार्केट कैप की बात करें तो यह 26,765.10 करोड़ रुपये है।

एनबीसीसी का भविष्य और निवेशकों के लिए संकेत

एनबीसीसी के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय से मिला यह ऑर्डर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। कंपनी का लक्ष्य है कि इसके जरिए अपने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के कारोबार को और बढ़ावा मिले। इससे कंपनी की आमदनी में बढ़ोतरी हो सकती है, और निवेशकों को सकारात्मक संकेत मिल सकते हैं।

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