राज्य कर विभाग ने जीएसटी एक्ट की धारा 125 में अधिकतम जुर्माना राशि के प्रावधान को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया है। इसके तहत खरीद और बिक्री का रिटर्न फाइल करने में देरी पर अधिकतम 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। ऐसे में जीएसटी रिटर्न में देरी अब व्यापारियों पर भारी पड़ेगी।
लखनऊ: अब जीएसटी रिटर्न में देरी व्यापारियों के लिए भारी पड़ने वाली है। पहले व्यापारियों से दो से तीन हजार रुपये का जुर्माना लिया जाता था, लेकिन अब नोटिस के माध्यम से 50 हजार रुपये का जुर्माना जमा करने की मांग की जा रही है।राज्य कर विभाग ने जीएसटी एक्ट की धारा 125 के तहत अधिकतम जुर्माना राशि लगाने के वैकल्पिक प्रावधान को अनिवार्य रूप से लागू कर दिया है। इस धारा के अंतर्गत खरीद और बिक्री के रिटर्न फाइल करने में देरी होने पर अधिकतम 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
शासन स्तर पर जीएसटी जुर्माने के लिए नया आदेश जारी
राज्य कर अधिकारियों को उनके विवेकानुसार न्यूनतम जुर्माना लगाने का अधिकार इस अधिनियम में प्रदान किया गया है। कई बार आपातकालीन स्थितियों के कारण व्यापारी समय पर जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं। ऐसी परिस्थितियों में, इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत अधिकारी जुर्माना राशि तय कर नोटिस जारी कर देते हैं। अब शासन स्तर पर एक नया आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में अधिकतम जुर्माना राशि को अधिकारियों के विवेक के स्थान पर सीधे 50 हजार रुपये निर्धारित कर दिया गया है।
90% व्यापारी समय पर रिटर्न, 10% पर लगता है जुर्माना
राज्य कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, लगभग 90 प्रतिशत व्यापारी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए समय पर अपने रिटर्न दाखिल कर देते हैं। हालांकि, 10 प्रतिशत व्यापारी ऐसे हैं, जो समय पर रिटर्न नहीं भरते, जिसके कारण उन पर 2,000 से 3,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। व्यापारी द्वारा रिटर्न भरने के कारणों की जांच के बाद ही जुर्माना राशि निर्धारित की जाती है। जीएसटी में, यदि रिटर्न समय पर नहीं भरा जाता है, तो प्रतिदिन के अनुसार विलंब शुल्क लगाया जाता है, साथ ही 18 प्रतिशत ब्याज भी जोड़ दिया जाता है।