उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने मिशन-2027 के तहत पार्टी के पुनरुद्धार की रणनीति को धार देना शुरू कर दिया है। सोमवार को लखनऊ में आयोजित एक महत्वपूर्ण संगठनात्मक बैठक में मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सभी जिला अध्यक्षों, प्रभारियों और कोऑर्डिनेटरों को बुलाकर ‘भाईचारा कमेटी’ के पुनर्गठन और बूथ स्तर पर संगठन को सशक्त बनाने का स्पष्ट निर्देश दिया।
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी तैयारियों का शंखनाद कर दिया है। इसी कड़ी में आज पार्टी ने एक अहम संगठनात्मक बैठक आयोजित की, जिसमें पार्टी प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के सभी जिला अध्यक्षों, प्रभारियों और कोऑर्डिनेटरों को तलब कर संगठन की तैयारियों की गहन समीक्षा की।
बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने जानकारी दी कि बसपा अब 2007 के विजयी मॉडल को दोहराने जा रही है। पार्टी हर बूथ और सेक्टर स्तर पर 'भाईचारा कमेटियां' बनाएगी, जिनके जरिए सर्वसमाज को जोड़कर एक बार फिर सत्ता में वापसी की रणनीति पर काम शुरू किया गया है।
2007 की तर्ज पर वापसी की तैयारी
बैठक में मायावती ने 2007 की जीत का उल्लेख करते हुए उसी मॉडल को फिर से लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि हर बूथ और सेक्टर पर भाईचारा कमेटी बनाकर ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और मुस्लिम समाज को एकजुट किया जाएगा। यह मॉडल बसपा की सर्वसमाज नीति को पुनः सक्रिय करेगा।
आकाश आनंद की वापसी: भविष्य की जिम्मेदारी तय
बैठक का सबसे अहम पहलू रहा मायावती के भतीजे आकाश आनंद की पार्टी में वापसी। लंबे समय से सियासी हाशिए पर चल रहे आकाश ने बहनजी से माफी मांगते हुए अपनी गलतियों को स्वीकार किया है। प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने बताया कि मायावती ने उन्हें माफ कर दिया है और उन्हें दोबारा पार्टी कार्यों में सक्रिय होने की अनुमति दी है, हालांकि किसी पद की घोषणा फिलहाल नहीं की गई है।
यह संकेत है कि बसपा अब युवाओं को भी नेतृत्व में स्थान देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, आकाश आनंद को दोबारा सक्रिय कर मायावती ने भविष्य के नेतृत्व की बुनियाद रखना शुरू कर दिया है।
भाजपा पर तीखा प्रहार
बीजेपी पर निशाना साधते हुए प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा,'जो लोग कभी बाबा साहब अंबेडकर को स्कूल में बैठने और पानी पीने से रोकते थे, आज वही लोग उनकी जयंती मना रहे हैं। यह दिखावा है। बाबा साहब की विचारधारा को अगर कोई पार्टी ईमानदारी से आगे बढ़ा रही है, तो वह बसपा है।' यह बयान भाजपा की दलित राजनीति पर सीधा प्रहार माना जा रहा है।
बैठक में 2 मार्च को दिए गए निर्देशों की समीक्षा की गई। बताया गया कि अब ज़िला और विधानसभा कमेटियों का गठन पूरा हो चुका है और बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत किया जा रहा है। इस बार तकनीकी और ग्राउंड लेवल कैडर दोनों को सशक्त करने का लक्ष्य है।