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'खतरनाक साजिश' - जनगणना में देरी को लेकर स्टालिन का बड़ा बयान

'खतरनाक साजिश' - जनगणना में देरी को लेकर स्टालिन का बड़ा बयान

तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने जनगणना में देरी और परिसीमन को लेकर केंद्र पर हमला बोला। उन्होंने इसे दक्षिण भारत की राजनीतिक ताकत कमजोर करने की साजिश बताया और इसे संघीय ढांचे के लिए खतरनाक करार दिया।

Stalin Census Attack: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राष्ट्रीय जनगणना में हो रही देरी को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उनका आरोप है कि मोदी सरकार जानबूझकर जनगणना को टाल रही है ताकि 2027 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन करके दक्षिणी राज्यों की राजनीतिक भागीदारी को कमजोर किया जा सके। उन्होंने इस प्रक्रिया को एक "खतरनाक साजिश" बताया है और इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए घातक करार दिया।

जनगणना में देरी को लेकर क्या बोले मुख्यमंत्री स्टालिन?

एमके स्टालिन ने स्पष्ट तौर पर कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय जनगणना में की जा रही देरी सिर्फ तकनीकी या प्रशासनिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक रणनीतिक और राजनीतिक कदम है। उनके मुताबिक, सरकार का मकसद 2027 में होने वाली जनगणना के आधार पर नए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू करना है। इससे उन राज्यों को नुकसान होगा, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण के दिशा-निर्देशों का पालन किया है, खासकर दक्षिण भारत के राज्य जैसे तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश।

स्टालिन का कहना है कि यदि 1971 की जनगणना के आंकड़ों को बदलकर 2027 की जनगणना को आधार बनाया गया, तो दक्षिण के राज्यों की लोकसभा सीटों की संख्या घट सकती है और उत्तर भारत की सीटों में इजाफा होगा। इससे संसदीय प्रतिनिधित्व में असमानता पैदा होगी।

'सजा मिल रही है अच्छी जनसंख्या नीति के लिए'

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि दक्षिण भारत के राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण नीति को सफलतापूर्वक अपनाया है। परिवार नियोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में इन राज्यों ने अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन अब इन्हीं प्रयासों की वजह से उन्हें राजनीतिक रूप से सजा दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के राज्यों में आबादी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है और अगर उसी आधार पर लोकसभा सीटों का पुनर्वितरण हुआ, तो राजनीतिक शक्ति का संतुलन पूरी तरह उत्तर की ओर झुक जाएगा। यह भारतीय संघीय ढांचे के खिलाफ होगा।

केंद्र सरकार का पक्ष क्या है?

गृह मंत्रालय ने पहले दक्षिणी राज्यों की चिंता पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि किसी भी राज्य के अधिकार या प्रतिनिधित्व में कटौती नहीं की जाएगी। केंद्र का कहना है कि परिसीमन की प्रक्रिया अभी शुरुआती स्तर पर है और सभी राज्यों की राय को इसमें महत्व दिया जाएगा। हालांकि स्टालिन इस आश्वासन से संतुष्ट नहीं दिखे। उनका मानना है कि बीजेपी सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड वादे निभाने में कमजोर रहा है।

जम्मू-कश्मीर का उदाहरण देकर साधा निशाना

स्टालिन ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए जम्मू-कश्मीर का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी ने वादा किया था कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन आज भी जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश ही बना हुआ है। इससे यह स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार की नीयत पर भरोसा करना मुश्किल है।

AIADMK पर भी साधा हमला

एमके स्टालिन ने विपक्षी दल AIADMK को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा कि AIADMK ने राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए बीजेपी के सामने घुटने टेक दिए हैं, लेकिन DMK ऐसा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु की जनता DMK के साथ है और पार्टी राज्य को विकास के पथ पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।

गौरतलब है कि 11 अप्रैल 2025 को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चेन्नई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घोषणा की थी कि 2026 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और AIADMK साथ मिलकर लड़ेंगे। इसी पृष्ठभूमि में स्टालिन ने AIADMK पर हमला बोला।

क्या है परिसीमन और क्यों है विवाद?

परिसीमन (Delimitation) वह प्रक्रिया होती है जिसमें जनसंख्या के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया जाता है। इसका मकसद यह होता है कि हर निर्वाचन क्षेत्र में लगभग समान संख्या में मतदाता हों। अंतिम बार परिसीमन 2001 की जनगणना के आधार पर हुआ था, लेकिन 1971 की जनगणना को आधार मानते हुए सीटों का आवंटन नहीं बदला गया था।

2026 के बाद परिसीमन का रास्ता फिर से खुल जाएगा और यदि 2027 की जनगणना को आधार बनाया गया, तो जनसंख्या अधिक होने वाले उत्तर भारत के राज्यों को अधिक सीटें मिल सकती हैं, जबकि दक्षिण भारत की भागीदारी घटेगी। यही कारण है कि दक्षिण के राज्यों में इस मुद्दे को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।

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