BIMSTEC Summit: भारत में आयोजित होगा पहला BIMSTEC शिखर सम्मेलन, व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है इसका मकसद, जानिए...
विदेश मंत्रालय ने बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (BIMSTEC) की मेजबानी भारत को सौंपी है. इसका अहम मकसद व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना हैं।
नई दिल्ली: भारत 6 से 8 अगस्त तक राजधानी दिल्ली में पहले बिम्सटेक - बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशनबिजनेस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वालाा है। बता दें विदेश मंत्रालय भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के सहयोग से तीन दिवसीय इस कार्यक्रम की मेजबानी निभाएगा। जानकारी के मुताबिक विदेश मंत्री एस जयशंकर इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। विदेश मंत्री के अलावा केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और अन्य बड़े नेता भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे।
जानकारी के मुताबिक व्यापार शिखर सम्मेलन के पहले एडिशन का अहम मकसद बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी इनिशिएटिव (BIMSTEC - Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) के सदस्य देशों के बीच मजबूत व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देना हैं।
बिम्सटेक सम्मेलन का मुख्य मकसद हैं क्या?
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि "BIMSTEC शिखर सम्मेलन के पहले एडिशन का अहम मकसद बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी इनिशिएटिव (BIMSTEC) के सभी सदस्य देशों के बीच मजबूत व्यापार और निवेश संबंधों के माध्यम से अधिक क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।" बताया गया है कि इस कार्यक्रम में बिम्सटेक सदस्य देशों के व्यापार, वाणिज्य-उद्योग और ऊर्जा क्षेत्र के कई मंत्री, सीनियर अधिकारी, नीति निर्माता, उद्यमी और उद्योग संघ शामिल होंगे।
भारत के लिए बिम्सटेक बहुत महत्वपूर्ण है- विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने कहां कि, "भारत बिम्सटेक को बहुत महत्वपूर्ण मानता है। बता दें बिम्सटेक में दक्षिण एशिया के पांच देश (बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, भारत और श्रीलंका) और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश (म्यांमार और थाईलैंड) शामिल होते है।" इस आयोजन के माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र के 300 से अधिक प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर साथ लाया जाएगा और आर्थिक सहयोग को आसान बनाकर बढ़ावा दिया जाएगा। इस सम्मेलन में व्यापार को सरल बनाने, क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ाने, ऊर्जा सुरक्षा के इंतजाम, समावेशी विकास और सतत विकास जैसे कामों पर फोकस करके विकास के नए रास्ते तलाशे जा सकेंगे।