बजट 2024 में सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कोई बड़ी नीतिगत घोषणा तो नहीं की है, लेकिन उसने शिक्षा को लेकर अपना संकल्प स्पष्ट रूप से जाहिर किया है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि वह देश की शिक्षा को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की दिशा में आगे बढ़ाएगी और हर नागरिक को अच्छी स्कूली शिक्षा देने के लिए काम करेगी। इसके साथ ही, शिक्षा सुधारों को गति देने की दिशा में कई कदम उठाए गए हैं।
NEP पर आधारित शिक्षा सुधारों की प्राथमिकता
हालांकि बजट में शिक्षा से संबंधित कोई नई नीति की घोषणा नहीं की गई, सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में पहले से लागू राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को पूरी तरह से लागू करने की दिशा में अपने कदम बढ़ाए हैं। मौजूदा समय में करीब तीन सौ से अधिक सिफारिशों पर काम चल रहा है, जिन्हें NEP के तहत लागू किया जाएगा। ये सिफारिशें भारत की शिक्षा प्रणाली को सुधारने और उसे अधिक समग्र और गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिए बनाई गई थीं।
देश को 2047 तक विकसित बनाने का लक्ष्य
देश को 2047 तक यानी अगले 22 सालों में विकसित बनाने का जो लक्ष्य रखा गया है, उस लिहाज से शिक्षा क्षेत्र में सुधारों की गति को और तेज करना होगा। सरकार ने इस दिशा में कई पहल की हैं, जिनमें से एक अहम पहल है, अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना।
50,000 अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना
बजट में घोषणा की गई है कि देशभर में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब स्थापित किए जाएंगे। अब तक देश में 10,000 से अधिक टिंकरिंग लैब्स पहले से मौजूद हैं, जहां एक करोड़ से ज्यादा छात्र अपनी नवाचार की क्षमता को साकार कर चुके हैं। यह पहल NEP के तहत बच्चों को नवाचार से जोड़ने और उन्हें सृजनात्मक सोच की दिशा में बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इस बदलाव का असर नजर आने में थोड़ा समय लगेगा, क्योंकि देश में शिक्षा का ढांचा बहुत बड़ा हैं।
स्कूली शिक्षा का सुधार
यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (U-DISE+) की हालिया रिपोर्ट में यह पाया गया कि स्कूलों में नामांकन में सुधार हुआ है और ड्रॉप-आउट रेट में कमी आई है। साथ ही, स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, इंटरनेट और कंप्यूटर की उपलब्धता भी बेहतर हुई है। इस सुधार का सीधा असर छात्रों की पढ़ाई और उनकी सहभागिता पर पड़ रहा हैं।
उच्च शिक्षा का विस्तार
उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी प्रवेश की एक बड़ी चुनौती है, लेकिन सरकार ने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके तहत 2040 तक देश के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को बहुविषयक संस्थान में तब्दील करने की योजना बनाई गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इस उद्देश्य को लेकर गाइडलाइन भी जारी की है। यह कदम उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधारने और छात्रों को बेहतर अवसर देने की दिशा में एक अहम कदम होगा।
बजट में शिक्षा के लिए 15 प्रतिशत बढ़ोतरी
शिक्षा के बजट में इस बार 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है, जबकि उच्च शिक्षा के बजट में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। यह बढ़ोतरी उस समय की गई है, जब देश में महंगाई दर लगभग 6 प्रतिशत है। यह सरकार की ओर से शिक्षा को प्राथमिकता देने का स्पष्ट संकेत है। हालांकि, देश में शिक्षा पर जीडीपी का कुल करीब 3 प्रतिशत ही खर्च हो रहा है, जबकि अमेरिका, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों में यह 5 प्रतिशत से अधिक हैं।
NEP के तहत शिक्षा पर खर्च को बढ़ाने का संकल्प
NEP में यह सिफारिश की गई थी कि देश में शिक्षा पर खर्च को जीडीपी के 6 प्रतिशत तक बढ़ाया जाए, ताकि शिक्षा प्रणाली को और मजबूत किया जा सके। हालांकि, वर्तमान में यह 3 प्रतिशत है, लेकिन सरकार के इस बजट के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में शिक्षा पर खर्च बढ़ाया जाएगा, ताकि यह लक्ष्य हासिल किया जा सके।
भारत सरकार का यह बजट शिक्षा के क्षेत्र में सुधारों को तेज करने के लिए एक मजबूत कदम साबित हो सकता है। सरकार ने पहले से ही जो सुधार कार्य NEP के तहत शुरू किए थे, उन्हें पूरा करने की दिशा में अपनी प्राथमिकताएं तय की हैं। हालांकि, इन सुधारों का प्रभाव दीर्घकालिक होगा, लेकिन यह पहल भारत को शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा देने का सामर्थ्य रखती हैं।