अडानी की प्रतिस्पर्धात्मक बोली से संकेत मिलता है कि केएसके महानदी के पास 10,000 करोड़ रुपये का नकद भंडार और 4,000 करोड़ रुपये की व्यापार प्राप्तियां हैं, जिससे कुल मूल्य लगभग 27,000 करोड़ रुपये हो जाता है। इसका मतलब है कि कर्जदाताओं को बकाया कर्ज का 92 प्रतिशत तक वापस मिल सकता है।
Adani Group: केएसके महानदी पावर के अधिग्रहण के लिए अडानी समूह द्वारा 12,500 करोड़ रुपये की बोली लगाए जाने के बाद अन्य बोलीकर्ताओं को भी अपनी पेशकशों में संशोधन करने के लिए प्रेरित किया गया है, और इसका अंतिम आंकड़ा काफी अधिक हो सकता है। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। केएसके महानदी पावर के ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) द्वारा बोली को चुनौती देने के लिए कदम उठाए जाने के बाद गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की पूरी वसूली की उम्मीद जताई जा रही है।
अडानी समूह ने लगाई सबसे ऊंची बोली
हालाँकि, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत चल रही प्रक्रियाओं में ऐसा होना लगभग असामान्य है। आईबीसी से जुड़े स्रोतों के अनुसार, केएसके महानदी को लेकर अडानी समूह की रुचि को प्रमुखता दी गई है। अडानी समूह ने इस संकटग्रस्त कंपनी के लिए 12,500 करोड़ रुपये की प्रारंभिक ऊँची बोली प्रस्तुत की है। यह बोली दूसरे स्थान पर मौजूद बोलीदाता की तुलना में 4,800 करोड़ रुपये यानी 62 प्रतिशत अधिक है। इसके परिणामस्वरूप, एनटीपीसी सहित 10 मूल बोलीदाताओं में से छह ने अब अडानी समूह की बोली के आसपास संशोधित प्रस्ताव प्रस्तुत किए हैं। यह मजबूत प्रतिस्पर्धा दर्शाती है, जिससे परिसंपत्ति मूल्य में भी वृद्धि होगी।
कर्जदाताओं के कर्ज की होगी वसूली
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यह आईबीसी के तहत अधिकतम मूल्य प्राप्त करने पर जोर देने को दर्शाता है। अडानी की प्रतिस्पर्धी बोली, केएसके महानदी के 10,000 करोड़ रुपये के कथित नकद भंडार और 4,000 करोड़ रुपये की व्यापार प्राप्तियों को मिलाकर लगभग 27,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। इसका मतलब यह है कि कर्जदाताओं को बकाया कर्ज का 92 प्रतिशत वसूल होने की संभावना है। छत्तीसगढ़ में स्थित केएसके महानदी की स्थापित क्षमता 1,800 मेगावाट है। इस परियोजना पर करीब 29,330 करोड़ रुपये का कर्ज बोझ है, जिसे 2019 में दिवाला समाधान प्रक्रिया में लाया गया था।
इन कंपनियों ने भी लगाई बोली
अडानी पावर की 12,500 करोड़ रुपये की बोली प्रतिस्पर्धी संस्थाओं के बीच सबसे ऊंची पेशकश थी। इस प्रक्रिया में जेएसडब्ल्यू एनर्जी, जिंदल पावर, वेदांता, एनटीपीसी और कोल इंडिया जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल थीं। लेकिन उनकी बोलियां 6,500 करोड़ रुपये से 7,700 करोड़ रुपये के बीच थीं। इसके बाद कर्जदाताओं की समिति ने बोली चुनौती व्यवस्था अपनाने का निर्णय लिया। नई व्यवस्था के तहत अन्य दावेदारों ने अपनी बोलियों को बढ़ाया है।