Chidambaram Subramaniam's Birth Anniversary: चिदंबरम सुब्रमण्यम, भारतीय हरित क्रांति के अग्रणी नेता और समाज के प्रेरक स्तंभ

Chidambaram Subramaniam's Birth Anniversary: चिदंबरम सुब्रमण्यम, भारतीय हरित क्रांति के अग्रणी नेता और समाज के प्रेरक स्तंभ
अंतिम अपडेट: 18 घंटा पहले

Chidambaram Subramaniam's Birth Anniversary: चिदंबरम सुब्रमण्यम की जयंती 30 जनवरी को मनाई जाती है। उनका जन्म 30 जनवरी 1910 को तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के पोलाची में हुआ था। सुब्रमण्यम भारतीय राजनीति के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और उन्होंने भारतीय हरित क्रांति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उन्हें भारतीय कृषि के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1998 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

एक संघर्षमय शुरुआत चिदंबरम सुब्रमण्यम, जिन्हें भारतीय राजनीति में आमतौर पर 'सीएस' के नाम से जाना जाता है, का जन्म 30 जनवरी 1910 को तमिलनाडु राज्य के कोयंबटूर जिले के पोलाची के पास स्थित गाँव सेनगुट्टईपलायम में हुआ। उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था, लेकिन उनके दृष्टिकोण ने भारतीय राजनीति और समाज को नया मोड़ दिया।

सुब्रमण्यम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोलाची में प्राप्त की और फिर चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिकी में बीएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की शिक्षा ली। कॉलेज के दिनों में ही उनके भीतर सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने का जुनून था, और यही वजह थी कि उन्होंने 'वनमलार संगम' की शुरुआत की और पेरियासामी थूरन जैसे कई प्रमुख व्यक्तियों के साथ 'पिथन' नामक एक पत्रिका का प्रकाशन भी किया।

राजनीतिक करियर

एक नई दिशा की शुरुआत सुब्रमण्यम का राजनीति में कदम कॉलेज के दिनों में ही पड़ा, जब वे सविनय अवज्ञा आंदोलन के सक्रिय सदस्य बने। 1942 में, जब भारत छोड़ो आंदोलन हुआ, तब वे भी जेल गए। लेकिन उनका संघर्ष यहाँ खत्म नहीं हुआ। उन्होंने भारतीय संविधान सभा में भाग लिया और भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

1952 से 1962 तक वे मद्रास राज्य के शिक्षा, कानून और वित्त मंत्री रहे। इसके बाद, 1962 में वे लोकसभा के सदस्य बने और इस्पात और खान मंत्री के रूप में कार्य किया।

भारतीय हरित क्रांति

एक ऐतिहासिक कदम चिदंबरम सुब्रमण्यम का सबसे बड़ा योगदान भारतीय हरित क्रांति में था। वे एमएस स्वामीनाथन और बी. शिवरामन के साथ मिलकर भारतीय कृषि के क्षेत्र में एक नई दिशा लाए। उनकी नेतृत्व में 1972 में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ, जिसे भारतीय हरित क्रांति के रूप में जाना गया।

खाद्य और कृषि मंत्री के रूप में उन्होंने उन्नत बीजों और उर्वरकों का प्रयोग बढ़ाया, जिससे भारत में अनाज का उत्पादन बढ़ा और खाद्य सुरक्षा हासिल हुई। उनके योगदान को नॉर्मन बोरलॉग ने भी सराहा, जिन्होंने कहा था कि सुब्रमण्यम की दूरदर्शिता ने कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए आवश्यक राजनीतिक निर्णयों में अहम भूमिका निभाई।

वित्त मंत्री और आपातकाल

कठिन दौर में नेतृत्व सुब्रमण्यम का करियर कई बार संकटों से घिरा रहा, फिर भी उन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया। 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विभाजन के बाद, वे इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाले कांग्रेस (आर) के अंतरिम अध्यक्ष बने। बाद में, उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया, और 1976 में आपातकाल के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुब्रमण्यम का कार्यकाल और योगदान

देश की सेवा में चिदंबरम सुब्रमण्यम का कार्यकाल हमेशा राष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण का प्रतीक रहा। 1979 में उन्हें केंद्रीय रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद, 1990 में उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।

समाज के प्रति योगदान और पुरस्कार सुब्रमण्यम को उनके असाधारण कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हें भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया। इसके अलावा, उन्हें युथांट शांति पुरस्कार (1996), नॉर्मन बोरलॉग पुरस्कार (1996), और अणुव्रत पुरस्कार (1988) जैसे अनेक महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा गया।

स्मृति चिन्ह

चिदंबरम सुब्रमण्यम का सम्मान उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। 2010 में भारत सरकार ने उनके सम्मान में एक स्मारक सिक्का जारी किया, और एक डाक टिकट भी जारी किया। इसके साथ ही, भारतीय विद्या भवन ने उनके नाम पर 'चिदंबरम सुब्रमण्यम पुरस्कार' की स्थापना की, जो हर साल विद्यार्थियों को प्रदान किया जाता हैं।

निधन और विरासत

7 नवंबर 2000 को चिदंबरम सुब्रमण्यम का निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान भारतीय राजनीति, कृषि, और समाज में हमेशा जीवित रहेगा। उनकी जीवन यात्रा और योगदान भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई, और उनकी दूरदर्शिता ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी।

चिदंबरम सुब्रमण्यम के कार्यों से प्रेरणा लेकर, हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि समाज में बदलाव लाने के लिए दृढ़ संकल्प और दूरदृष्टि की आवश्यकता होती है। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें हमेशा अपने देश की सेवा में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

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