आज पूरी दुनिया में ‘विश्व कविता दिवस’ मनाया जा रहा है। यह विशेष दिन कविता की शक्ति और उसकी अभिव्यक्ति को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस उन कवियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है, जिन्होंने अपनी लेखनी से समाज को नई दिशा दी। इस वर्ष की थीम ‘Poetry as a Bridge for Peace and Inclusion’ (शांति और समावेशन के सेतु के रूप में कविता) रखी गई है, जो यह दर्शाती है कि कविता कैसे समाज में शांति और आपसी समझ को बढ़ावा दे सकती है।
विश्व कविता दिवस का इतिहास
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 1999 में पेरिस में आयोजित अपने 30वें अधिवेशन के दौरान 21 मार्च को ‘विश्व कविता दिवस’ के रूप में घोषित किया। इसका मुख्य उद्देश्य कविता की लोकप्रियता को बढ़ावा देना और वैश्विक स्तर पर भाषाई विविधता को प्रोत्साहित करना था। दिलचस्प बात यह है कि इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव मोरक्को के राष्ट्रीय आयोग द्वारा रखा गया था, जिसे यूनेस्को ने तत्काल स्वीकार कर लिया। तब से लेकर अब तक यह दिन हर वर्ष पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
कविता का समाज में योगदान
कविता न केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने का भी एक प्रभावशाली जरिया रही है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि कविताएँ क्रांतियों का हिस्सा रही हैं और उन्होंने सत्ता को भी चुनौती दी है। मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लें हों या महादेवी वर्मा की कविताएँ, सभी ने समय के साथ लोगों को प्रभावित किया है।
यूनेस्को इस बात पर जोर देता है कि कविता विभिन्न भाषाओं और परंपराओं को संरक्षित रखने में भी मददगार साबित हो सकती है। विश्व कविता दिवस का उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं में लिखी जा रही कविताओं को संरक्षित करना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है।
कैसे मनाया जाता है यह दिन?
कवि सम्मेलनों का आयोजन: इस दिन विभिन्न देशों में कवि सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं, जहाँ नए और पुराने कवि अपनी रचनाएँ प्रस्तुत करते हैं।
विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में कार्यक्रम: शैक्षणिक संस्थानों में कविता लेखन और पाठ प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं।
ऑनलाइन कविताओं का प्रसार: सोशल मीडिया पर #WorldPoetryDay ट्रेंड करता है, जिसमें लोग अपनी पसंदीदा कविताएँ साझा करते हैं।
कवियों का सम्मान: साहित्य अकादमी और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा इस दिन प्रसिद्ध कवियों को सम्मानित किया जाता है।
2025 की थीम का विशेष महत्व
इस वर्ष की थीम ‘Poetry as a Bridge for Peace and Inclusion’ दर्शाती है कि कविता केवल शब्दों की माला नहीं है, बल्कि यह समाज के अलग-अलग हिस्सों को जोड़ने और शांति स्थापित करने में भी सहायक है। साहित्यिक विशेषज्ञों का मानना है कि कविता सीमाओं से परे जाकर दिलों को जोड़ सकती है और सांस्कृतिक समावेशन को बढ़ावा दे सकती है।