गर्भावस्था एक महिला के जीवन का बेहद खास और संवेदनशील दौर होता है। इस दौरान न केवल मां की सेहत का ध्यान रखना जरूरी होता है, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। गर्भावस्था में खान-पान, जीवनशैली और स्वास्थ्य का सीधा असर गर्भस्थ शिशु की सेहत पर पड़ता है। विशेष रूप से अगर इस दौरान ब्लड प्रेशर या शुगर का स्तर सामान्य से अधिक हो जाए, तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर सकता है।
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या: प्री-एक्लेम्प्सिया
गर्भावस्था में अगर ब्लड प्रेशर अधिक हो तो इसे हाइपरटेंशन कहा जाता है। गर्भावस्था के 20 सप्ताह बाद जब ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ जाता है और साथ में पेशाब में प्रोटीन आना, सिर दर्द, आंखों में धुंधलापन, शरीर में सूजन जैसी समस्याएं हो जाती हैं, तो इसे प्री-एक्लेम्प्सिया कहा जाता है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है और यदि इसका समय पर इलाज न किया जाए, तो जच्चा-बच्चा दोनों की जान को खतरा हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, प्री-एक्लेम्प्सिया गर्भवती महिलाओं की मृत्यु का एक बड़ा कारण है। अमेरिका में ही इस वजह से हर साल लाखों महिलाओं और नवजातों की मौत होती है। भारत में भी यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
डॉक्टर मीरा पाठक बताती हैं कि प्री-एक्लेम्प्सिया में प्लेसेंटा सही से विकसित नहीं होता, जिससे मां से बच्चे तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है। इससे बच्चे की विकास प्रक्रिया प्रभावित होती है और जन्म के बाद भी उसे कई स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
गर्भकालीन डायबिटीज: शुगर का खतरा
गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज, जिसे गर्भकालीन मधुमेह कहा जाता है, लगभग 25% महिलाओं को प्रभावित करती है। यह तब होता है जब शरीर में इंसुलिन का स्तर असंतुलित हो जाता है और ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है।
गर्भकालीन डायबिटीज का नियंत्रण न होने पर यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बन सकती है। मेयो क्लिनिक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, इस स्थिति में बच्चे को जन्म दोष, समय से पहले जन्म, अत्यधिक वजन, और जन्म के समय मौत का जोखिम होता है।
हाई ब्लड प्रेशर और शुगर के कारण होने वाले खतरे
मां के लिए संभावित खतरे: गर्भावस्था में अगर ब्लड प्रेशर या शुगर ज्यादा हो जाए, तो इससे मां को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि प्री-एक्लेम्प्सिया और एक्लेम्पसिया, जिनमें कभी-कभी दौरे भी आ सकते हैं। इसके अलावा, गर्भाशय में खून का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे बच्चे तक जरूरी पोषण नहीं पहुंच पाता। इससे गुर्दे, दिल और लीवर जैसी महत्वपूर्ण अंगों की सेहत भी प्रभावित हो सकती है। साथ ही, भविष्य में मां को दिल की बीमारियां और मधुमेह होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
बच्चे के लिए संभावित खतरे: हाई ब्लड प्रेशर और शुगर की वजह से बच्चे के विकास में रुकावट आ सकती है, जिससे उसका वजन कम हो सकता है। इससे बच्चे का जन्म समय से पहले भी हो सकता है, जो उसके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। जन्म के समय बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है और उसे दिल या दिमाग से जुड़ी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। इसके अलावा, जन्म दोष या अधिक वजन के कारण प्रसव में भी जटिलताएं हो सकती हैं, जिससे मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है।
लक्षणों पर ध्यान देना क्यों जरूरी है?
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर या शुगर बढ़ने के शुरुआती लक्षणों को पहचानना और समय पर डॉक्टर से संपर्क करना बहुत जरूरी होता है। अगर आपको निम्न लक्षण दिखाई दें तो तुरंत जांच करवाएं:
- बार-बार सिर दर्द या चक्कर आना
- आंखों के सामने धुंधलापन या चमकीली रोशनी दिखना
- हाथ-पांव में सूजन, विशेषकर चेहरे और पैरों में
- बार-बार उल्टी आना या पेट में दर्द
- पेशाब में असामान्य बदलाव या जलन महसूस होना
- अत्यधिक थकान या कमजोरी
बचाव और नियंत्रण के उपाय
गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर और शुगर को कंट्रोल में रखने के लिए कुछ जरूरी कदम अपनाए जा सकते हैं:
- नियमित जांच: गर्भवती महिला को नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाकर ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। इससे शुरुआती समस्या का पता चल जाता है और समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है।
- स्वस्थ आहार: संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। तली-भुनी चीजें, ज्यादा नमक, मीठा और जंक फूड से बचें। ताजी सब्जियां, फल, साबुत अनाज और प्रोटीन का सेवन करें।
- नियमित व्यायाम: डॉक्टर की सलाह के अनुसार हल्की फुल्की एक्सरसाइज या योग करें। यह ब्लड सर्कुलेशन सुधारने और वजन नियंत्रण में मदद करता है।
- तनाव कम करें: गर्भावस्था में मानसिक तनाव को कम करने के लिए ध्यान, मेडिटेशन या अच्छी नींद लेना जरूरी है।
- दवाओं का सही सेवन: डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाओं को बिना किसी बदलाव के लें और अपने स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग करें।
- धूम्रपान और शराब से बचाव: गर्भावस्था के दौरान इनसे पूरी तरह बचें क्योंकि ये बच्चे के लिए नुकसानदायक होते हैं।
डॉक्टर की सलाह क्यों जरूरी?
गर्भावस्था में ब्लड प्रेशर या शुगर की समस्या को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक बताती हैं कि अगर इन समस्याओं का सही समय पर इलाज नहीं हुआ तो प्री-एक्लेम्प्सिया और गेस्टेशनल डायबिटीज से मां और बच्चे दोनों की जान को गंभीर खतरा हो सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही दवाएं लेनी चाहिए और समय-समय पर अपनी जांच करवाते रहना चाहिए। नियमित जांच से समय रहते बीमारी का पता चलकर सही इलाज किया जा सकता है, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रह सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान ब्लड प्रेशर और शुगर का नियंत्रण मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए बेहद आवश्यक है। सही खान-पान, नियमित व्यायाम, समय पर जांच और डॉक्टर की सलाह से इन खतरों से बचा जा सकता है। गर्भावस्था को सुंदर और सुखमय बनाने के लिए इन सावधानियों का पालन करना हर महिला का अधिकार और जिम्मेदारी भी है।