क्या रोज नहाने से हो सकती है बीमारी? जानें अत्यधिक स्नान के नुकसान

क्या रोज नहाने से हो सकती है बीमारी? जानें अत्यधिक स्नान के नुकसान
Last Updated: 17 अक्टूबर 2024

नहाना स्वच्छता के लिए जरूरी है,लेकिन क्या आपने सोचा है कि अत्यधिक स्नान करने से शरीर को नुकसान भी हो सकता है? शोध बताते हैं कि जरूरत से ज्यादा स्नान हमारी त्वचा, बालों और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित कर सकता है। आइए जानें कि रोजाना या बार-बार नहाने से किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और इससे बचने के उपाय क्या हैं।

Surprising facts about daily showering: रोज़ नहाना हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है, लेकिन हालिया शोधों के अनुसार, यह जरूरी नहीं कि रोज़ स्नान करने से हमें विशेष लाभ मिले। कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि अत्यधिक स्नान करने से हमारी त्वचा पर मौजूद प्राकृतिक बैक्टीरिया और माइक्रोबायोम को नुकसान हो सकता है, जो कि हमारे शरीर की सुरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। जब हम रोज़ नहाते हैं, तो हम अपनी त्वचा से प्राकृतिक तेल और स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया को हटा देते हैं, जिससे त्वचा में सूखापन और जलन हो सकती है, और इसके परिणामस्वरूप संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

नहाने के संबंध में की गई स्टडीज़ के आधार पर, कई विशेषज्ञों का सुझाव है कि हफ्ते में दो या तीन बार स्नान करना अधिक स्वास्थ्यवर्धक हो सकता है। खासकर यदि आप शुष्क जलवायु में रहते हैं या आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो ऐसा करना ज्यादा उचित होगा। इसके अलावा, कई पर्यावरणविद और प्रकृति प्रेमी इसे पानी की बचत के संदर्भ में भी देखते हैं। उनका मानना है कि यदि नहाने को हर दिन की आदत माना जाए, तो इससे काफी पानी बचाया जा सकता है।

क्या रोज़ नहाना सेहत के लिए सही नहीं है?विशेषज्ञों की राय

नहाना स्वच्छता बनाए रखने का एक अहम हिस्सा है, लेकिन यह धारणा कि रोज़ाना स्नान से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) कमजोर हो सकती है, कुछ हद तक वैज्ञानिक आधार पर सही मानी जाती है। कई विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने इस पर अध्ययन किया है, जिनमें बताया गया है कि अत्यधिक स्नान से त्वचा पर मौजूद प्राकृतिक

बैक्टीरिया और माइक्रोबायोम को नुकसान पहुँच सकता है, जिससे शरीर संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकता है।

क्या रोज़ नहाना वास्तव में हैं आवश्यक ?

कुछ प्रसिद्ध हस्तियों ने इस विषय पर अपनी राय साझा की है। हॉलीवुड अभिनेता एश्टन कचर ने एक बार कहा था कि वह नियमित रूप से नहाने के बजाय अपनी स्थिति के अनुसार नहाना पसंद करते हैं। उन्होंने कहा, “नहाने की आदतें व्यक्तिगत होनी चाहिए।वहीं, मॉडल किम कार्दाशियन ने भी उल्लेख किया कि वह कई बार नहाने के बजाय केवल आवश्यकता पड़ने पर ही नहाना पसंद करती हैं।

कुछ साल पहले, पत्रकार मैकार्थी ने एक लेख में अपने साप्ताहिक स्नान के अनुभवों को साझा किया, जिसमें केवल सिंक में नहाना शामिल था। उन्होंने यह स्वीकार किया कि कभी-कभी स्नान करने का डर उन्हें परेशान करता था, क्योंकि उन्हें उपहास का सामना करना पड़ सकता था। लेकिन लेख के प्रकाशित होने के बाद, कई पाठकों ने उन्हें बताया कि वे भी ऐसी ही आदतें रखते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह बात कई लोगों के लिए सामान्य है कि वे रोजाना नहाएं।

पानी बचाने की मुहिम और स्नान की आदतों में बदलाव

ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में पानी बचाने के बारे में चर्चा हो रही है, कई पर्यावरणविदों का मानना है कि रोज़ नहाने से जल, ऊर्जा और संसाधनों की बचत संभव है। कहा जाता है कि नहाने के लिए अक्सर कई लीटर पानी की जरूरत होती है। अगर लोग रोज़ नहाने से बचें, तो इससे पानी की खपत कम की जा सकती है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में, जहाँ जल संकट है, यह एक महत्वपूर्ण उपाय साबित हो सकता है।

वहीं, गर्म पानी का उपयोग करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अगर लोग रोज़ नहाने से बचते हैं, तो यह ऊर्जा की खपत को भी घटा सकता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी सकती है। साथ ही, शैंपू, साबुन और अन्य स्नान उत्पादों के इस्तेमाल से भी संसाधनों का उपयोग होता है। जल और ऊर्जा की बचत करने से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में सहायता मिलती है।

छोटे-छोटे परिवर्तन, जैसे रोज़ नहाना, मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि व्यक्तिगत स्वच्छता भी महत्वपूर्ण है और रोज़ नहाने के निर्णय को सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में समझा जाना चाहिए। खासकर उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को अधिक स्नान करने की आवश्यकता हो सकती है।

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