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सेहत से समझौता नहीं! 30 के बाद हर महिला को ये 5 टेस्ट ज़रूर कराने चाहिए

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जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे शरीर की ज़रूरतें भी बदलने लगती हैं। खासकर महिलाओं के शरीर में 30 की उम्र पार करते ही कई अंदरूनी बदलाव शुरू हो जाते हैं। लेकिन दिक्कत तब होती है जब महिलाएं अपनी सेहत को लेकर लापरवाह हो जाती हैं। घर, ऑफिस और बच्चों की ज़िम्मेदारियों के बीच वो खुद को ही पीछे छोड़ देती हैं।

पर सच्चाई ये है कि अगर आप खुद हेल्दी नहीं रहेंगी, तो दूसरों का भी अच्छे से ख्याल नहीं रख पाएंगी। इसलिए जरूरी है कि 30 की उम्र के बाद कुछ बेसिक लेकिन important हेल्थ चेकअप समय-समय पर कराए जाएं। इससे न सिर्फ बीमारियों का early detection हो जाता है, बल्कि कई बड़ी health problems से बचाव भी हो जाता है।

ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल की जांच

आपको कोई लक्षण महसूस हो या न हो, लेकिन हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल धीरे-धीरे शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये दोनों चीजें heart disease, brain stroke और kidney problem जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं। इसलिए साल में एक बार BP चेक और Lipid Profile Test कराना ज़रूरी है। ये दो simple टेस्ट आपको दिल की सेहत के बारे में काफी कुछ बता सकते हैं।

पैप स्मीयर टेस्ट – Cervical Cancer से बचाव

यह टेस्ट गर्भाशय ग्रीवा (cervix) के कैंसर को पकड़ने में मदद करता है। 30 की उम्र के बाद ये टेस्ट हर 3 साल में एक बार जरूर करवाना चाहिए। अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर रहा हो, तो डॉक्टर से पूछकर इसे जल्दी-जल्दी भी करवाया जा सकता है। यह टेस्ट बहुत आसान होता है और ज्यादा समय भी नहीं लगता। लेकिन इससे आपकी जिंदगी बच सकती है।

मैमोग्राफी – ब्रेस्ट कैंसर की जांच

Breast Cancer महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। लेकिन राहत की बात ये है कि अगर इसे जल्दी पकड़ लिया जाए, तो इलाज आसान और असरदार होता है। मैमोग्राफी एक imaging test है जो ब्रेस्ट टिश्यू में किसी भी गड़बड़ी को समय रहते पकड़ लेता है। अगर किसी करीबी रिश्तेदार को ब्रेस्ट कैंसर रहा हो तो ये टेस्ट और भी ज़रूरी हो जाता है। डॉक्टर की सलाह से इसकी frequency तय की जा सकती है।

बोन डेंसिटी टेस्ट – हड्डियों की मजबूती की जांच

30 की उम्र के बाद शरीर में estrogen hormone कम होने लगता है, जिससे हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर हो सकती हैं। इसका नतीजा होता है – ऑस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों का पतला और कमज़ोर हो जाना। खासकर अगर आपकी diet में calcium की कमी है या आप बहुत कम फिजिकल एक्टिव रहती हैं, तो ये टेस्ट ज़रूर कराएं। DEXA Scan के जरिए बोन डेंसिटी मापी जाती है और हड्डियों की सही स्थिति का पता चलता है।

थायरॉइड फंक्शन टेस्ट – मेटाबॉलिज्म का बैलेंस बनाए रखने के लिए

थायरॉइड हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करता है। अगर इसमें गड़बड़ी हो जाए तो वजन अचानक बढ़ सकता है या कम हो सकता है, थकावट बनी रहती है, मूड स्विंग होते हैं और बाल भी झड़ सकते हैं। इसलिए 30 की उम्र के बाद TSH, T3 और T4 टेस्ट करवाना ज़रूरी है। ये बहुत कॉमन टेस्ट है लेकिन इसकी रिपोर्ट बहुत कुछ बता देती है।

महिलाएं अब खुद को नज़रअंदाज़ करना बंद करो

कई बार महिलाएं सोचती हैं कि जब तक कोई परेशानी महसूस न हो, तब तक टेस्ट करवाने की ज़रूरत नहीं। लेकिन याद रखिए, बीमारी तब तक चुप रहती है जब तक वो बढ़ न जाए। और जब तक लक्षण न दिखें, तब तक ये टेस्ट आपकी बॉडी की अंदर की कहानी बता सकते हैं।

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