सेनेटरी पैड के उपयोग के स्वास्थ्य प्रभाव, कैंसर के जोखिम पर विचार

सेनेटरी पैड के उपयोग के स्वास्थ्य प्रभाव, कैंसर के जोखिम पर विचार
Last Updated: 06 अक्टूबर 2024

देश में करोड़ों लड़कियां सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं। पीरियड्स के दौरान इसका उपयोग सेफ्टी के लिहाज से बेहतर माना जाता है। लेकिन क्या इनका उपयोग कैंसर का कारण बन सकता है?

हाल ही में हुए एक रिसर्च के मुताबिक, बाजार में बिकने वाले सैनिटरी पैड स्वास्थ्य के लिहाज से काफी खतरनाक हो सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने सैनिटरी पैड में कई तरह के केमिकल मिलाती हैं, जो कैंसर और बांझपन का कारण बन सकते हैं। बाजार में मिलने वाले रंग-बिरंगे सैनिटरी पैड्स आपकी सेहत के लिए  हानिकारक साबित हो सकते हैं।

इससे आपको सावधान रहने की जरूरत है। एक नई रिसर्च में पता चला है कि भारत में बनने वाली प्रसिद्ध कंपनियों के सैनिटरी नैपकिन कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकते हैं। इनमें मौजूद केमिकल के कारण महिलाओं को डायबिटीज और दिल की बीमारियों का भी खतरा हो सकता है।

सैनिटरी पैड्स में प्लास्टिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

पैड प्लास्टिक मैटेरियल से बनते हैं, जिसमें BPA और BPS जैसे कई केमिकल्स शामिल होते हैं, जो महिला प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सैनिटरी नैपकिन में ऐसे फाइबर होते हैं, जो सर्विकल कैंसर का कारण बन सकते हैं। जानकारी के अनुसार, सैनिटरी पैड पूरी तरह से रूई से नहीं बने होते। इन्हें बनाने के दौरान सेलूलोज़ जेल का उपयोग किया जाता है।

इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि पैड्स में डाइऑक्सिन जैसी हानिकारक सामग्री होती है, जो ओवेरियन कैंसर के विकास का जोखिम बढ़ा सकती है।

नैप्किंस की नमी सोखने की क्षमता

नैप्किंस को नमी अवशोषित करने के लिए डिजाइन किया गया है, इसलिए इनमें रूई के साथ-साथ रेयोन (सेलूलोज से बना एक कृत्रिम रेशम) और सिंथेटिक फाइबर भी शामिल होते हैं, जो अत्यधिक हानिकारक हो सकते हैं। इसके अलावा, इनमें कीटनाशक और जड़ी-बूटियाँ भी मिलाई जाती हैं। इस वजह से सैनिटरी नैपकिन कैंसर का कारण बन सकता है।

एम्स की गायनोक्लोजी विभाग की प्रमुख डॉ. अल्का कृपलानी का कहना है कि किसी भी प्रकार के रासायनिक पदार्थ महिलाओं में कैंसर का कारण बन सकते हैं। उन्होंने बताया कि यदि किसी सैनिटरी नैपकिन के निर्माण में रासायनिक तत्वों का इस्तेमाल किया गया है, तो महिलाओं को उसका उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि रासायनिक तत्वों के सीधे संपर्क से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि कई महिलाएं पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स पर टैल्कम पाउडर का उपयोग करती हैं, जो कैंसर के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

सैनिटरी नैपकिन के कारण होने वाली अस्वच्छ चिकित्सा स्थितियाँ

मैक्स वैशाली हॉस्पिटल की गायनोक्लोजिस्ट डॉ. कनिका गुप्ता बताती हैं कि सर्वाइकल कैंसर का संबंध सैनिटरी नैपकिन से नहीं होता, लेकिन सैनिटरी नैपकिन के गलत इस्तेमाल से अनहाइजीनिक मेडिकल कंडीशंस उत्पन्न हो सकती हैं। महिलाओं में साफ-सफाई की कमी के कारण इंफेक्शन का खतरा बढ़ रहा है, जिससे उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो रही है।

सीधे शब्दों में कहें तो, यदि महिलाएं पैड्स का उपयोग करते समय हाइजीन का ध्यान नहीं रखती हैं, तो उन्हें इंफेक्शन होने की ज्यादा संभावना रहती है, जो बाद में किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का रूप ले सकता है। हाइजीन बनाए रखने में यह भी महत्वपूर्ण है कि सैनिटरी पैड्स को कितने घंटों के अंतराल पर बदला जा रहा है और नैपकिन का हाइजीनिक मानक क्या है।

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