प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए लाओस पहुंचे हैं। यहां उन्होंने बिना किसी का नाम लिए चीन की आलोचना की और विस्तारवादी नीतियों का विरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व में चल रहे युद्धों के कारण ग्लोबल साउथ सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है।
New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान में उल्लेख किया कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव 'ग्लोबल साउथ' के देशों पर पड़ रहा है। उन्होंने यूरेशिया और पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता की बहाली की आवश्यकता पर जोर दिया। 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) के दौरान मोदी ने कहा कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकाला जा सकता।
उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर में शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मोदी ने कहा, "हमारा मानना है कि समुद्री गतिविधियाँ संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के अधीन संचालित होनी चाहिए। नौवहन और हवाई क्षेत्र की स्वतंत्रता का सुनिश्चित करना आवश्यक है। एक मजबूत और प्रभावी आचार संहिता का निर्माण किया जाना चाहिए, और इससे क्षेत्रीय देशों की विदेश नीति पर कोई प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए।"
चीन पर साधा निशाना
बिना किसी का नाम लिए, उन्होंने चीन के सीमा विस्तार पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, "हमारा दृष्टिकोण विकास पर केंद्रित होना चाहिए, न कि विस्तार पर।" विश्व के विभिन्न हिस्सों में चल रहे संघर्षों का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव 'ग्लोबल साउथ' के देशों पर पड़ता है। इस पर मोदी ने कहा कि चाहे वह यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, सभी की इच्छा है कि जल्दी से जल्दी शांति और स्थिरता स्थापित की जाए। उन्होंने आगे कहा, "मैं बुद्ध की भूमि से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं मिल सकता।"
प्रधानमंत्री ने कहा, 'संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना अनिवार्य है। एक मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए, बातचीत और कूटनीति को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।' उन्होंने यह भी कहा कि विश्व समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए, भारत इस दिशा में हर संभव प्रयास करता रहेगा। यह टिप्पणी यूरेशिया में यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष और पश्चिम एशिया में इजराइल-हमास युद्ध के बीच आई है। मोदी ने कहा, 'आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। इसके खिलाफ लड़ाई के लिए मानवता में विश्वास रखने वाली शक्तियों को एकजुट होकर काम करना होगा।'
तूफान यागी का उल्लेख
अपने भाषण की शुरुआत में उन्होंने 'तूफान यागी' से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की। यागी एक विनाशकारी उष्णकटिबंधीय चक्रवात था, जिसने इस वर्ष सितंबर में दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण चीन को प्रभावित किया। मोदी ने कहा, "इस कठिन समय में हमने ऑपरेशन सद्भाव के माध्यम से मानवीय सहायता प्रदान की है।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) की एकता और प्रमुखता का समर्थन किया है। उन्होंने आगे कहा कि आसियान भारत के हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है।
पांच सूत्री सहमति का किया समर्थन- मोदी
मोदी ने कहा, "हम म्यांमा की स्थिति के प्रति आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। हम पांच सूत्री सहमति का भी समर्थन करते हैं। इसके अलावा, हमारा मानना है कि वहां मानवीय सहायता को बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है।" उन्होंने वहां लोकतंत्र की बहाली के लिए उचित कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि इसके लिए म्यांमा को शामिल किया जाना चाहिए, न कि अलग-थलग किया जाना चाहिए।" उन्होंने यह भी कहा कि पड़ोसी देश के रूप में भारत अपनी जिम्मेदारियों को निभाता रहेगा। मोदी ने कहा कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन भारत की 'एक्ट ईस्ट नीति' का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।