आयकर विभाग के दशकों पुराने I-T अधिनियम की समीक्षा के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक आंतरिक समिति का गठन किया है। इसके साथ ही, विभाग ने लोगों से नियमों में बदलाव के लिए सुझाव मांगे हैं।
यह पहल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि टैक्स प्रणाली अधिक प्रभावी और न्यायसंगत हो। CBDT का लक्ष्य है कि वह आम नागरिकों की राय को ध्यान में रखते हुए टैक्स नियमों को अपडेट करे, जिससे सभी वर्गों के करदाताओं को लाभ मिल सके।
नई दिल्ली: आयकर विभाग ने 6 दशक पुराने I-T अधिनियम की व्यापक समीक्षा के लिए आम जनता से सुझाव और प्रतिक्रिया देने की अपील की है। विभाग ने चार प्रमुख श्रेणियों में सुझाव मांगे हैं: भाषा का सरलीकरण, टैक्स विवादों में कमी, अनुपालन में सुधार, और अप्रचलित प्रावधानों से संबंधित मुद्दे।
इस गहन समीक्षा के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक आंतरिक समिति का गठन किया है। इसका उद्देश्य टैक्स से जुड़े विवादों को कम करना और करदाताओं को अधिक निश्चितता प्रदान करना है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि आयकर प्रणाली अधिक प्रभावी और पारदर्शी हो।
CBDT का बयान: नियमों में बदलाव के लिए जनता से सुझाव आमंत्रित
वित्त मंत्रालय के अधीन काम करने वाले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने अपने एक बयान में कहा, "कमेटी पब्लिक इनपुट और सुझावों के लिए चार श्रेणियों में आमंत्रण दे रही है: भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी, और निरर्थक/अप्रचलित प्रावधान।"
इस पहल का उद्देश्य आयकर नियमों को अधिक स्पष्ट और सुलभ बनाना है, ताकि करदाताओं को बेहतर अनुभव मिल सके।
CBDT ने सार्वजनिक सुझावों के लिए आमंत्रित किया बयान
वित्त मंत्रालय के अधीन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक बयान में कहा है, "हम जनता से सुझाव और पब्लिक इनपुट आमंत्रित कर रहे हैं। इस कमेटी के तहत चार श्रेणियों में सुझाव मांगे गए हैं: भाषा का सरलीकरण, मुकदमेबाजी में कमी, अनुपालन में कमी, और निरर्थक/अप्रचलित प्रावधान।"
इस पहल का उद्देश्य आयकर नियमों को सरल और सुलभ बनाना है, जिससे करदाताओं को अधिक स्पष्टता और सहयोग मिले।
सुझाव भेजने की प्रक्रिया
आयकर विभाग ने सार्वजनिक सुझाव प्राप्त करने के लिए एक नया वेब पोर्टल लॉन्च किया है। करदाता इस लिंक पर जाकर अपने मोबाइल नंबर और ओटीपी का उपयोग करके लॉगइन कर सकते हैं और अपने सुझाव भेज सकते हैं।
सुझाव आयकर अधिनियम 1961 या 1962 से संबंधित होने चाहिए, जिसमें विशेष रूप से धारा, उपधारा, खंड, नियम, उपनियम या फॉर्म संख्या का उल्लेख किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि आपका सुझाव उपर्युक्त चार श्रेणियों में से किसी एक से संबंधित हो।
बजट सत्र में संभावित नियमों में बदलाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में केंद्र में नई सरकार बनने के बाद पूर्ण केंद्रीय बजट 2024 पेश किया था। इस दौरान उन्होंने बताया कि अगले 6 महीने के भीतर आयकर (I-T) नियमों की व्यापक समीक्षा की जाएगी। इस समीक्षा की समयसीमा जनवरी 2025 में समाप्त होगी, जिससे यह संभावना है, यह कदम आयकर नियमों को अधिक पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास हो सकता है।
पिछले कुछ सालों में कर व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव
पिछले कुछ वर्षों में, सरकार ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण कदम 1 जुलाई 2017 को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) का कार्यान्वयन था, जिसने अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक बड़ा परिवर्तन लाया। इसके अलावा, 2019 में, सरकार ने घरेलू विनिर्माण कंपनियों को आकर्षित
करने और विकास को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से कॉर्पोरेट टैक्स की दर को 30% से घटाकर 22% कर दिया, और नई मैन्युफैक्चरिंग फर्मों के लिए यह दर 25% से घटाकर 15% कर दी।