पुलिस ने Zangi (जंगी) ऐप के एक वीडियो के जरिए आतंकियों का पीछा कर उन्हें उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में ढेर कर दिया। 18 दिसंबर की रात, तीन आतंकियों ने पंजाब के एक पुलिस चौकी पर हमला कर फरार हो गए थे। पुलिस को Zangi ऐप से एक वीडियो प्राप्त हुआ, जिससे उन्हें आतंकियों का 800 किलोमीटर तक पीछा करने का मौका मिला।
अपराधी और नशा तस्कर इस ऐप का इस्तेमाल बढ़ा रहे हैं, क्योंकि यह किसी भी डेटा को स्टोर नहीं करती और उनकी पहचान को सुरक्षित रखती है। यही कारण है कि इस ऐप को अपराधियों द्वारा संचार के एक सुरक्षित तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
जंगी ऐप क्यों यूज कर रहे अपराधी
जंगी जैसी ऐप्स पर होने वाली बातचीत केंद्रीय सर्वर पर स्टोर नहीं होती, जिससे अपराधियों की गतिविधियों को ट्रैक करना और जांच एजेंसियों के लिए संदेशों को हासिल करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इन ऐप्स का मुख्य आकर्षण यह है कि इसमें रजिस्ट्रेशन के लिए मोबाइल नंबर या ईमेल की आवश्यकता नहीं होती। यूजर्स सिर्फ यूजरनेम और पासवर्ड से अपना खाता बना सकते हैं, जिससे पहचान छिपाना आसान हो जाता है।
इसके बाद, यूजर्स को 10 अंकों का एक नंबर दिया जाता है, जिसका उपयोग वे IP के माध्यम से अन्य ऐप यूजर्स से संपर्क करने के लिए करते हैं। इस वजह से इन ऐप्स की गतिविधियों पर सर्विलांस लगाना कठिन हो जाता है, और अपराधी इनका इस्तेमाल अपनी योजनाओं को छुपाने के लिए करते हैं।
कोई डाटा नहीं होता स्टोर
जंगी जैसी ऐप्स पर यूजर का डेटा स्टोर नहीं होता, जो अपराधियों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही है। इन ऐप्स का प्रमुख फीचर यह है कि एक बार मैसेज पढ़ने के बाद वह अपने आप डिलीट हो जाते हैं, जिससे अपराधियों के लिए अपनी बातचीत को छिपाना बेहद आसान हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, यदि कोई अपराधी पकड़ा भी जाता है, तो उसके संपर्क और संवाद का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता।
इससे जांच एजेंसियों को अदालत में साक्ष्य पेश करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ऐप्स अब अपराधियों के लिए सुरक्षित संचार का एक प्रमुख साधन बन चुके हैं, जबकि कानून-व्यवस्था के लिए यह एक नई चुनौती प्रस्तुत कर रहे हैं।
भारत में बैन है जंगी ऐप
देश में लंबे समय से यह देखा जा रहा है कि नशा तस्कर, आतंकवादी और अन्य अपराधी अपनी बातचीत के लिए जंगी जैसी ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन ऐप्स की सुरक्षा विशेषताएं इन्हें अपराधियों के लिए एक सुरक्षित संचार साधन बना देती हैं, जिससे वे अपनी गतिविधियों को गोपनीय रख सकते हैं।
जांच एजेंसियों से मिली सूचना के बाद, सरकार ने पिछले साल मई में जंगी ऐप समेत 14 ऐप्स पर बैन लगा दिया। सरकार ने इन ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने का कारण सुरक्षा चिंताएं बताया, क्योंकि इन ऐप्स के माध्यम से अपराधी अपनी गतिविधियों को संचारित कर रहे थे, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर खतरा मंडरा रहा था।