भीमराव अंबेडकर के योगदान को लेकर भारतीय राजनीति में हाल के दिनों में एक नया मोड़ आया है। गृह मंत्री अमित शाह के अंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विरोध करना शुरू कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी और अमित शाह पर तीखा हमला किया है और उनके इस्तीफे की मांग की हैं।
कांग्रेस का नीला विरोध
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी समेत कई अन्य कांग्रेस नेताओं ने इस विरोध को संसद में और सार्वजनिक रूप से दिखाया। राहुल गांधी ने नीली टी-शर्ट पहनकर और प्रियंका गांधी ने नीली साड़ी पहनकर संसद में प्रवेश किया, जो कि बहुजन आंदोलन के प्रतीक रंग के रूप में माना जाता है। यह कदम कांग्रेस की ओर से एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने के रूप में देखा जा रहा हैं।
अंबेडकर मुद्दे पर विरोध तेज हुआ
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने 19 दिसंबर 2024 को देशभर में अमित शाह और बीजेपी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया था। संसद के दोनों सदनों में 18 दिसंबर को अंबेडकर के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया। इस विरोध के कारण संसद की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विपक्ष ने यह आरोप लगाया कि अमित शाह ने अंबेडकर के योगदान का अपमान किया है और उनका सम्मान बहाल करना चाहिए।
कांग्रेस और विपक्षी दलों का बयान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जाहिर की। खरगे ने कहा, "यदि अमित शाह इस्तीफा नहीं देते, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए।" कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश अंबेडकर का अपमान सहन नहीं करेगा और गृह मंत्री को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी संविधान और बाबासाहेब के किए गए कार्यों को खत्म करने की कोशिश कर रही हैं।
प्रियंका गांधी ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
प्रियंका गांधी ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "अंबेडकर का नाम लेना मानव गरिमा का प्रतीक है। उनका नाम करोड़ों दलितों और वंचितों के आत्मसम्मान का प्रतीक है।" प्रियंका गांधी की यह टिप्पणी इस बात को और मजबूती से स्थापित करती है कि कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और बीजेपी को जवाबदेह ठहराना चाहती हैं।
पीएम मोदी का जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि अमित शाह ने कांग्रेस के काले इतिहास को उजागर किया है। पीएम मोदी ने कहा कि अंबेडकर के योगदान को नकारा नहीं जा सकता और जो लोग उनके योगदान को सही से समझते हैं, उन्हें हमेशा सम्मान मिलेगा।
कांग्रेस की रणनीति और विपक्षी एकता
कांग्रेस इस पूरे मुद्दे को एक बड़े राजनीतिक अवसर के रूप में देख रही है और इसके जरिए बीजेपी के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत करने का प्रयास कर रही है। साथ ही, कांग्रेस ने अन्य विपक्षी दलों जैसे तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, राजद, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) के साथ मिलकर इस मुद्दे को संसद और सड़कों पर उठाया हैं।
अंबेडकर का नाम भारतीय समाज और संविधान के लिए महत्वपूर्ण है और इस मुद्दे पर कांग्रेस और विपक्षी दलों का यह विरोध संकेत दे रहा है कि वे किसी भी कीमत पर अंबेडकर के योगदान का सम्मान चाहते हैं। आने वाले दिनों में यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है, क्योंकि यह सिर्फ अंबेडकर के सम्मान का मुद्दा नहीं, बल्कि भारतीय संविधान और सामाजिक न्याय से जुड़ा एक बड़ा सवाल हैं।