बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक आज, 21 मार्च से शुरू हो गई हैं।
महाराष्ट्र: बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक आज, 21 मार्च से शुरू हो गई है। यह बैठक 23 मार्च तक चलेगी, जिसमें आरएसएस से जुड़े प्रमुख संगठन, भाजपा के वरिष्ठ नेता और कई अन्य गणमान्य लोग भाग ले रहे हैं। इस महत्वपूर्ण आयोजन में 1482 प्रतिनिधियों की उपस्थिति दर्ज की गई हैं।
चार साल बाद बेंगलुरु में बैठक का आयोजन
आरएसएस के मुख्य प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने बताया कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की यह बैठक चार साल बाद बेंगलुरु में आयोजित की जा रही है। संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले इस बैठक में संघ द्वारा किए गए कार्यों और भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत करेंगे। साथ ही, आरएसएस के विभिन्न क्षेत्रीय प्रमुख भी अपनी गतिविधियों और आगामी रणनीतियों की समीक्षा करेंगे।
बैठक में बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचारों पर विशेष चर्चा की जाएगी। इस मुद्दे पर संघ की कार्यकारी समिति प्रस्ताव पारित कर सकती है। आरएसएस प्रवक्ता ने कहा, "हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया में कहीं भी हिंदुओं की सुरक्षा, सम्मान और संवेदनशीलता को बनाए रखा जाए। बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और इसके समाधान के लिए आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।"
32 संगठनों के प्रमुखों की उपस्थिति
संघ के आगामी शताब्दी समारोह को लेकर भी इस बैठक में प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना है। इस ऐतिहासिक अवसर को भव्य रूप से मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई जाएगी, जिससे संघ के विचार और गतिविधियाँ अधिक प्रभावशाली तरीके से समाज तक पहुँच सकें। बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के अध्यक्ष और महासचिव भी भाग ले रहे हैं। इनमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और महासचिव बी.एल. संतोष भी शामिल होंगे। यह बैठक संघ के भविष्य के कार्यों की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी।
बैठक में आरएसएस के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कार्यों की विस्तृत समीक्षा की जाएगी। विभिन्न क्षेत्रों में संघ के योगदान और उसके प्रभाव का मूल्यांकन कर आगामी दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे। इस बैठक के निष्कर्ष संघ की आगामी गतिविधियों को और अधिक प्रभावशाली बनाने में सहायक साबित होंगे।
यह तीन दिवसीय बैठक संघ की विचारधारा और आगामी रणनीतियों के निर्धारण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। आने वाले दिनों में इससे जुड़े फैसले और प्रस्ताव देशभर में संघ के कार्यों को दिशा देंगे।