जितिया त्योहार बिहार में संतान की लंबी उम्र की कामना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार छठ पर्व के समान है और इसकी शुरुआत 24 सितंबर को "नहाय खाय" से हुई थी। हाल ही में, इस पर्व के दौरान हुए एक दर्दनाक हादसे ने पूरे राज्य में शोक का माहौल बना दिया है। इसके कारण, लोग इस त्योहार को मनाने में गहरे दुख का अनुभव कर रहे हैं।
पटना: बिहार में जीवित्पुत्रिका (जितिया) व्रत के दौरान, पवित्र स्नान करते समय 37 बच्चों सहित कुल 46 लोगों की डूबने से मौत हो गई। ये हादसे बुधवार को राज्य के 15 जिलों में हुए। राज्य सरकार के बयान के अनुसार, सभी शव बरामद कर लिए गए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (DMD) ने इस घटना की पुष्टि की और बताया कि इस साल के जीवित्पुत्रिका पर्व के दौरान सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर बल दिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं टाली जा सकें। इस हादसे ने पूरे राज्य में शोक का माहौल बना दिया है, और स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्यों की प्रक्रिया तेज कर दी हैं।
सरकार मृतकों के परिजन को देगी 4-4 लाख रूपये
बिहार में जीवित्पुत्रिका (जितिया) त्योहार के दौरान नदियों में स्नान करने के कारण हुई tragic घटनाओं के बाद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर राज्य प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग (DMD) ने इस संबंध में बयान जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि पहले ही आठ मृतकों के परिजनों को अनुग्रह राशि का भुगतान कर दिया गया है। यह त्योहार आमतौर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा मनाया जाता है, और स्नान के दौरान सुरक्षा प्रबंधन पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस की गई है। इस घटना ने राज्य में शोक का माहौल बना दिया है, और प्रशासन ने ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए उचित उपायों पर विचार करने का आश्वासन दिया हैं।
कहा और कितनी हुई मौतें?
बिहार में जीवित्पुत्रिका (जितिया) त्योहार के दौरान हुई डूबने की घटनाओं में कई जिलों में लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। प्रभावित जिलों में पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, नालंदा, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, सीवान, रोहतास, सारण, पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज और अरवल शामिल हैं। विशेष रूप से, औरंगाबाद जिले में दो अलग-अलग प्रखंडों में तालाबों में नहाते समय सबसे ज्यादा 8 लोगों की मौत हुई हैं।
औरंगाबाद के जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने बताया कि प्रशासन घाटों पर स्नान करने वालों के लिए पर्याप्त व्यवस्था करता है, लेकिन समस्या तब उत्पन्न होती है जब लोग ऐसे घाटों पर जाते हैं जिन्हें प्रशासन द्वारा तैयार नहीं किया गया है। इसी तरह, सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने भी कहा कि उनकी ज़िलों में चार लोगों की मौत उन घाटों पर हुई, जिन्हें प्रशासन ने तैयार नहीं किया था। उन्होंने लोगों से अनुरोध किया कि वे केवल उन घाटों पर जाएं जो प्रशासन द्वारा निर्धारित हैं।