Delhi Liquor Policy Case: आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को लगा झटका, कार्यवाही पर रोक से HC ने किया इनकार, ED से मांगा जवाब

Delhi Liquor Policy Case: आबकारी नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को लगा झटका, कार्यवाही पर रोक से HC ने किया इनकार, ED से मांगा जवाब
Last Updated: 21 नवंबर 2024

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर ईडी से जवाब मांगा है। केजरीवाल ने यह याचिका इस आधार पर दायर की थी कि आरोप पत्र का संज्ञान लिए जाने का आदेश अनुचित था।

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक बड़ा झटका देते हुए आबकारी नीति मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) द्वारा पेश किए गए आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ केजरीवाल की याचिका पर ईडी से जवाब मांगा हैं।

हाईकोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी करते हुए इस मामले पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है, और मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडी की तरफ से याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की हैं।

सुनवाई को लेकर अरविंद केजरीवाल के वकील ने कहा कि 

अरविंद केजरीवाल के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में इस बात का दावा किया कि छठी और सातवीं सप्लीमेंट्री चार्जशीट में कोई नया तथ्य नहीं जोड़ा गया है। उनके अनुसार, दोनों चार्जशीट्स में गवाहों के बयान वही हैं जो पहले की चार्जशीट में दिए गए थे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि बिना आरोपों के (सटीक कानूनी धाराओं के तहत) ट्रायल कोर्ट कैसे इस मामले की सुनवाई कर सकता हैं।

अरविंद केजरीवाल ने 20 नवंबर को ईडी द्वारा दायर किए गए आरोपपत्र पर निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का निर्देश दिया था। उन्होंने इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी और कहा कि इस मामले में कोई नई जानकारी पेश नहीं की गई हैं।

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर विशेष न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपपत्र पर संज्ञान लिया गया था। उनका तर्क था कि चूंकि वह उस समय लोक सेवक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे, इसलिए विशेष न्यायाधीश को आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के लिए पहले सरकार से मंजूरी प्राप्त करनी चाहिए थी, जो कि नहीं की गई थी।

केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 12 जुलाई को मिली थी जमानत

बता दें 12 नवंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की एक और याचिका पर ईडी से जवाब तलब किया था, जिसमें उन्होंने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में एजेंसी द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने इस मामले में अधीनस्थ अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और समन के खिलाफ उनकी याचिका पर सुनवाई की थी। इससे पहले, 12 जुलाई को दिल्ली हाई कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, जिससे उन्हें गिरफ्तारी से राहत मिली थी।

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