Delhi Pollution: इस साल दिल्ली में प्रदूषण का खतरा बढ़ा, सामने आई अहम वजह

Delhi Pollution: इस साल दिल्ली में प्रदूषण का खतरा बढ़ा, सामने आई अहम वजह
Last Updated: 03 अक्टूबर 2024

इस साल राजधानी दिल्ली के लोगों के लिए प्रदूषण बड़ी चुनौती बन सकता है। विशेषज्ञों ने प्रदूषण के गंभीर स्तर को लेकर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि जल प्रदूषण और जल आपूर्ति की समस्याएं और बढ़ सकती हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मानसून के दौरान यमुना नदी में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि दर्ज की गई है। जानें, कैसे इस साल दिल्ली के लोगों को सांस लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

नई दिल्ली: इस वर्ष के मानसून मौसम में यमुना नदी का जलस्तर एक बार भी चेतावनी स्तर को पार नहीं कर पाया। इससे दिल्ली के निवासियों को राहत मिली है, क्योंकि पिछले वर्ष जुलाई में यमुना के जलस्तर में वृद्धि के कारण दिल्ली में कई दिनों तक बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ा था।

हालांकि, इस बार दिल्लीवासियों को बाढ़ की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन विशेषज्ञ इस स्थिति को यमुना के लिए उचित नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि इससे नदी में प्रदूषण और जल आपूर्ति से जुड़ी समस्याओं के बढ़ने की संभावना है।

दिल्ली में कई दिनों तक कायम रही बाढ़ जैसी स्थिति

पिछले वर्ष 13 जुलाई को दिल्ली में पुरानी लोहे के पुल के पास यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंच गया था, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर था। इसके कारण दिल्ली में कई दिनों तक बाढ़ की स्थिति बनी रही। जुलाई के बाद सितंबर में भी यमुना का जलस्तर चेतावनी स्तर 204.5 मीटर से ऊपर बना रहा, जिससे लगातार बाढ़ का खतरा बना रहा।

पिछले वर्ष की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली सरकार के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए पूरी तैयारी की थी। हालांकि, इस वर्ष ऐसी कोई समस्या उत्पन्न नहीं हुई। पिछले वर्ष हथनी कुंड से कई दिनों तक तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था। जबकि इस वर्ष एक बार भी एक लाख क्यूसेक का आंकड़ा नहीं पार हुआ। 26 सितंबर को सुबह छह बजे अधिकतम 87,017 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।

यमुना में जल स्तर घटने से प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी

यमुना में पानी की कमी के कारण जुलाई के अंतिम सप्ताह में झाग का निर्माण होने के साथ ही अमोनिया का स्तर बढ़ गया, जिससे कई दिनों तक जल आपूर्ति में समस्या आई। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट के अनुसार, मानसून के दौरान यमुना में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है।

साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स एंड पीपल्स (सेनड्राप) के प्रमुख भीम सिंह रावत ने बताया कि यह स्थिति असामान्य है, क्योंकि आमतौर पर मानसून के दौरान यमुना में कम से कम दो बार कम या मध्यम बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। पानी की कमी के कारण यमुना में प्रदूषण में वृद्धि हुई है।

इसका मुख्य कारण ओखला बैराज के आसपास मानसून के दौरान नदी में झाग की समस्या का उत्पन्न होना है। बाढ़ आने से नदी में तीन से चार महीने तक प्रवाह बना रहता है, लेकिन इस बार प्रवाह में कमी आने की संभावना है। आने वाले महीनों में यमुना में प्रदूषण का स्तर और अधिक बढ़ सकता है।

दिल्ली में बाढ़ कब आई?

दिल्ली में बड़ी बाढ़ 1924, 1977, 1978, 1988, 1995, 1998, 2010, 2013, और 2023 में आई थी। 1963 से 2010 के बीच, सितंबर के महीने में यमुना का जल स्तर अक्सर अधिक बढ़ा है। लेकिन इस बार तो जुलाई और अगस्त में यमुना का जल स्तर बढ़ा, और ही सितंबर में।

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