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Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली चुनाव में ओवैसी का मास्टरस्ट्रोक! इस सीट को लेकर AAP की बढ़ती टेंशन, क्या भाजपा को मिलेगी मजबूती?

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असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली की मुस्तफाबाद सीट से ताहिर हुसैन को चुनावी मैदान में उतारकर आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आप ने इस सीट से मुस्लिम प्रत्याशी आदिल खान को मैदान में उतारा है, जिससे मुस्लिम वोटों के बंटने की संभावना बढ़ गई है। ऐसे में बीजेपी को इसका सीधा लाभ मिल सकता है। 

Delhi Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्तफाबाद सीट से बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनावी मैदान में उतारने का ऐलान किया है। ओवैसी की इस चाल से जहां आम आदमी पार्टी की टेंशन बढ़ गई है, वहीं समीकरणों के उलझने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। ताहिर हुसैन पर 2020 के दिल्ली दंगों में शामिल होने और कई गंभीर आरोपों के तहत केस दर्ज हैं। बावजूद इसके ओवैसी ने उन्हें मैदान में उतार कर इस सीट पर एक बार फिर से 2015 का समीकरण बनाने की कोशिश की है।

मुस्लिम वोटों का बंटवारा

मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है और इस बार ओवैसी ने ताहिर हुसैन के माध्यम से इन वोटों के बंटवारे की रणनीति बनाई है। 2015 के चुनाव में भी मुस्लिम वोट बंटने से बीजेपी को फायदा हुआ था, और इसी समीकरण को बरकरार रखने के लिए ओवैसी ने ताहिर को टिकट दिया है। इस कदम से मुस्लिम वोटों के बंटवारे की संभावना और आम आदमी पार्टी के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।

ताहिर हुसैन की पृष्ठभूमि

ताहिर हुसैन का नाम 2020 के दिल्ली दंगों में सामने आया था, जब वह नेहरू विहार क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के पार्षद थे। उस वक्त उन पर दंगे की साजिश रचने, हत्याओं में शामिल होने और यूएपीए के तहत कई मामले दर्ज हुए थे। हालांकि, ओवैसी ने उनके समर्थन में ये चुनावी दांव खेला है, जिससे एक बार फिर से सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। ओवैसी का मानना है कि मुस्लिम वोटों के बंटने से AAP की उम्मीदों को झटका लगेगा और बीजेपी को फायदा होगा।

भविष्य की राजनीतिक तस्वीर

मुस्तफाबाद सीट पर ताहिर हुसैन के चुनावी मैदान में उतरने से यहां का चुनावी समीकरण एक बार फिर से रोचक हो गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ था, जिससे बीजेपी को जीत मिली थी। अब ओवैसी ने ताहिर को मैदान में उतारकर एक बार फिर से वही समीकरण बनाने की कोशिश की है।

यह देखते हुए कि ताहिर जेल में बंद हैं और चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे, उनकी जीत की संभावना पर संदेह जताया जा रहा है। बावजूद इसके, इस कदम से ओवैसी और AAP के बीच एक नई राजनीतिक जंग छिड़ सकती है।

ओवैसी का असर

ताहिर हुसैन के चुनावी मैदान में उतरने से मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोट बंटने की उम्मीद है। आम आदमी पार्टी ने आदिल खान को टिकट दिया है, जिससे मतदाताओं के लिए दो विकल्प बन गए हैं। अब बीजेपी के लिए ये मौका हो सकता है कि वह इन बंटे हुए मुस्लिम वोटों का फायदा उठाकर इस सीट पर जीत हासिल कर सके। ओवैसी का दांव AAP के लिए नई चुनौती पैदा कर सकता है, और इस बार भी 2015 जैसा समीकरण बनने की संभावना है।

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