दिल्ली: किसान करेंगे संसद का घेराव, नोएडा की सड़के बंद, दिल्ली जाने वाले रास्ते होंगे प्रभावित
नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ 60 दिन से धरने पर बैठे किसान गुरुवार को दोपहर 1:00 बजे दिल्ली के लिए कूच करेंगे। किसान दिल्ली में संसद भवन का घेराव करने के साथ जंतर-मंतर पर धरना देंगे। बताया है कि 'जय जवान जय किसान' संगठन के किसान दिल्ली के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अंसल बिल्डर के खिलाफ धरना दे रहे है. तथा 'भारतीय किसान परिषद' और अखिल भारतीय किसान सभा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, एनटीपीसी और नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ वर्तमान में धरना दे रहे हैं।
Subkuz.com के पत्रकारों को प्राप्त जानकारी के अनुसार किसानों ने खुली चेतावनी दी है कि अगर किसी ने किसानों को दिल्ली जाने से रोका तो रोका तो चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। सभी किसान महामाया फ्लाईओवर के पास एकत्रित होकर पैदल और ट्रैक्टर ट्रॉली के द्वारा चिल्ला बॉर्डर से दिल्ली जाएंगे।
किसान है, प्राधिकरण के खिलाफ
Subkuz.com के पत्रकारों से बातचीत के दौरान किसानों ने बताया कि नोएडा प्राधिकरण ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम,1984 में लिखित प्रावधान के मुताबिक 16 गांव की 19 अधिसूचनाओं को एक किसान द्वारा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। इस चुनौती के बाद उच्च न्यायालय ने किसानों को 64.70 प्रतिशत की दर से मुआवजा और 10 प्रतिशत आबादी भू-भाग देने का आदेश 21 अक्टूबर 2011 को दिया था। इस आदेश में जिन किसान की याचिका खारिज कर दी या जो न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए. उनका निर्णय प्राधिकरण को लेने का आदेश दिया गया हैं।
किसानों ने बताया कि उच्च न्यायालय (High Court) के आदेश के बाद प्राधिकरण ने बोर्ड बैठक में निर्णय लिया कि 10 प्रतिशत विकसित आबादी भू-भाग या इसके क्षेत्रफल के समतुल्य मुआवजा सिर्फ उन्हीं किसानों को दिया जाएगा, जो 21 अक्टूबर 2011 को उच्च न्यायालय में उपस्थित हुए थे. प्राधिकरण ने माना कि जिनकी याचिका को न्यायालय ने निरस्त कर दिया या अधिसूचना को चुनौती ही नहीं दी. ऐसे किसान पात्र नहीं होंगे।
इन मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसान
- 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी हुई दर से मुआवजा दिया जाए। चाहे वह कोर्ट गए हो या नहीं।
- किसानों को 10 प्रतिशत विकसित आबादी भूखंड दिया जाए।
- आबादी को छोड़कर, विनियमितीकरण की 450 वर्गमीटर की सीमा को बढ़ाकर 1000 वर्ग मीटर किया जाए।
- भूमि उपलब्ध न होने के कारण पात्र किसानों के 5 प्रतिशत आबादी भूखंड को भू-लेख विभाग में नहीं रोका जाए बल्कि उनका नियोजन किया जाए।
- भवनों की ऊंचाई को बढ़ाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि गांवों के आसपास काफी हाइराइज इमारत है. ऐसे में उनका एरिया लो लेयिंग एरिया में आ गया है।
- 5 प्रतिशत विकसित भू-भाग पर व्यावसायिक गतिविधियां चलाने की अनुमति दी जाए।
- गांवों के विकास के साथ-साथ खेल बजट का प्रावधान किया जाए।
- गांवों में पुस्तकालय बनाए जाए।