प्राकृतिक आपदा से परेशान होकर कई किसान खेती में नए-नए प्रयोग आजमा रहे है। कटिहार में किसान धान और पटसन की खेती छोड़कर मूंगफली की खेती कर रहे है। इससे किसानो को आर्थिक रूप से अधिक फायदा मिल रहा हैं।
कटिहार: प्राकृतिक आपदा से निजात पाने के लिए किसान खेती के नए नए प्रयोग आजमा रहे हैं। किसान धान और पटसन की खेती को छोड़कर मूंगफली की खेती से अधिक लाभ कमा रहे हैं। कटिहार के प्रगतिशील किसान मकबूल खान, मंसूर खोकर, तौफिक खान सहित क्षेत्र के तीन दर्जन से अधिक किसान मूंगफली की खेती कर अधिक खुश हो रहे हैं। क्योकि किसानों को मूंगफली की खेती में कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा हैं।
मुंगफली की फसल तीन माह में हो जाती है तैयार
स्थानीय किसान Subkuz.com के पत्रकार से बातचीत करते हुए बताया कि मूंगफली की खेती में लागत बहुत कम आती है और तीन महीने में ही फसल पक कर तैयार भी हो जाती है। जिससे ज्यादातर किसानों का झुकाव मूंगफली की खेती की ओर अधिक हुआ है। काबर और सुखासन पंचायत के तीन दर्जन किसान ने 50 एकड़ में मूंगफली की खेती की हैं। किसानों ने मीडिया को बताया कि मूंगफली की खेती में एक एकड़ में लगभग 10 हजार रूपये का खर्च आता है। तथा फसल तीन महीने में ही तैयार हो जाती है। किसान ने बताया कि मक्का की खेती में 30 हजार रूपये तक खर्च आता हैं।
किसान ने बताया कि मक्का का बाजार भाव कम होने के कारण लागत मूल्य भी बड़ी मुश्किल से निकल पाता है। वहीं केला की खेती में भी अधिक मुनाफा है लेकिन केला की खेती मुनाफा को लेकर जोखिम बना रहता है। केला की खेती में पनामा बिल्ट रोग के कारण कभी किसानों को फसल चौपट हो जाने से काफी नुकसान भी उठाना पड़ता है।
किसानों ने बताया कि एक एकड़ में नौ क्विंटल तक मूंगफली की उपज होती है। बाजार में थोक भाव 10 से 12 हजार प्रति क्विंटल होता है। इस हिसाब से किसानों को एक एकड़ मूंगफली की खेती से 80 से 85 हजार तक का मुनाफा हो जाता है। बताया कि अप्रैल माह में मूंगफली की खेती की जाती है और जुलाई या अगस्त माह तक मूंगफली की फसल पक कर तैयार हो जाती है। उसके बाद खेत में रबी फसल की बुआई भी आसानी से कर सकते हैं।