गुजरात के पाटण जिले में 16 दिसंबर को हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात यूनिवर्सिटी (एचएनजीयू) में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों पर हमले और गाली-गलौज करने के आरोप में कांग्रेस विधायक किरीट पटेल और 20 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रदर्शन छात्रावास में शराब पीने को लेकर था, जब कुछ छात्रों को शराब पीते हुए पकड़ा गया था। पाटण विधानसभा क्षेत्र के विधायक किरीट पटेल, सिद्धपुर के पूर्व विधायक चंदनजी ठाकोर और करीब 200 कांग्रेस कार्यकर्ताओं और एनएसयूआई के सदस्यों ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
क्या था विरोध प्रदर्शन का कारण?
विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण 8 दिसंबर को यूनिवर्सिटी के एक छात्रावास में शराब पीने के आरोप में तीन छात्रों को पकड़ा गया था। पटेल और अन्य कांग्रेस नेता यह आरोप लगा रहे थे कि पुलिस ने इन छात्रों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की। पाटण के जिला स्तरीय टूर्नामेंट से पहले, तीन बास्केटबॉल खिलाड़ियों को छात्रावास के कमरे में शराब पीते हुए पकड़ा गया था, लेकिन उन्हें बिना किसी कार्रवाई के छोड़ दिया गया। कांग्रेस नेताओं ने इसे पुलिस की ओर से पक्षपाती रवैया और छात्रों के साथ अन्याय मानते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस ने दर्ज किया मामला, विधायक और अन्य कार्यकर्ता फरार
विरोध प्रदर्शन के दौरान, जब पुलिसकर्मी स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे, तो कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पुलिसकर्मियों के साथ गाली-गलौज की और उन पर हमला किया। पुलिस ने इस संबंध में मामला दर्ज किया और विरोध के अगले दिन कांग्रेस विधायक किरीट पटेल और पूर्व विधायक चंदनजी ठाकोर को गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन वे फरार हो गए। पुलिस उपाधीक्षक के. के. पांड्या ने कहा, "प्रदर्शन के बाद हमने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जबकि विधायक और अन्य नेता फरार थे। बाद में पटेल, ठाकोर और 19 अन्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण कर दिया, और हमने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।"
आरोप और कानूनी कार्रवाई
कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें धारा 121-1 (लोक सेवक को उसके कर्तव्यों के निर्वहन से रोकने के इरादे से उसे चोट पहुंचाना), धारा 132 (लोक सेवक पर हमला करना या आपराधिक बल का प्रयोग करना), और धारा 224 (लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी) शामिल हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि इन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मियों से दुर्व्यवहार किया और उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
कांग्रेस का आरोप, पुलिस पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप
कांग्रेस और एनएसयूआई के नेताओं का कहना है कि पुलिस ने 8 दिसंबर को छात्रावास में पकड़े गए तीन छात्रों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जबकि शराब का सेवन गुजरात में अवैध है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने शराब पीने के आरोपियों को बिना किसी कानूनी कार्रवाई के छोड़ दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि यह घटना दिखाती है कि पुलिस केवल भाजपा के नेताओं के प्रभाव में काम कर रही है और विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही हैं।
गुजरात में शराब पर प्रतिबंध और इस घटना का राजनीतिक असर
गुजरात में शराब पर प्रतिबंध है, और इस कारण ऐसी घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता मानी जाती है। प्रदेश सरकार और पुलिस विभाग के लिए यह एक संवेदनशील मामला बन गया है, क्योंकि राजनीतिक दलों के आरोप और प्रदर्शन के बीच, कानून व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इस घटनाक्रम का असर राज्य की राजनीति पर भी पड़ सकता है, क्योंकि कांग्रेस इसे राज्य सरकार की विफलता के रूप में पेश कर रही हैं।
आगे की कार्रवाई और पुलिस की भूमिका
पुलिस अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। पुलिस का कहना है कि जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, विपक्षी नेता इस मामले को एक और उदाहरण मान रहे हैं, जहां सरकार और प्रशासन पर उनके कार्यकर्ताओं और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा हैं।