हरियाणा विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करना शुरू कर दिया है, जिसमें कई नेताओं के परिजनों को टिकट दिए गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि भाजपा, जो आमतौर पर परिवारवाद (वंशवाद) को लेकर अन्य पार्टियों पर आरोप लगाती रही है, अब खुद भी परिवारवाद के आरोपों का सामना कर रही है। इस बार भाजपा ने 10 नेताओं के परिजनों को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा हैं।
चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में परिवारवाद का मुद्दा इस बार भाजपा के लिए उल्टा पड़ता दिख रहा है। वर्षों से भाजपा अपने विरोधी दलों, खासकर कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP) पर परिवारवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगाती रही है। भाजपा की यह रणनीति उसे मतदाताओं के बीच एक अलग पहचान दिलाने में मददगार रही है। लेकिन इस बार के चुनाव में पार्टी खुद उसी परिवारवाद के जाल में उलझती नजर आ रही है, जिसका वह लंबे समय से विरोध करती रही हैं।
भाजपा की रणनीति और परिवारवाद का विरोध
* 10 नेताओं के परिजनों को टिकट: भाजपा ने इस बार के चुनावी रण में 10 नेताओं के परिजनों को टिकट दिया है, जो उसके परिवारवाद विरोधी रुख के खिलाफ जाता है। पार्टी ने तीसरी बार सत्ता में आने की रणनीति के तहत यह निर्णय लिया है, जिससे भाजपा की आलोचना हो रही हैं।
* विरोधी दलों का हमला: भाजपा के इस फैसले ने उसके विरोधी दलों को निशाना साधने का मौका दे दिया है। कांग्रेस, INLD, और JJP जैसे दल अब भाजपा पर परिवारवाद के मुद्दे पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। वे भाजपा की उस छवि को ध्वस्त करने का प्रयास कर रहे हैं, जो उसने खुद को पारिवारिक राजनीति से दूर रखकर बनाई थी।
* राजनीतिक जोखिम: भाजपा के लिए यह चुनावी रणनीति राजनीतिक जोखिम लेकर आई है। पार्टी का परिवारवाद विरोधी नैरेटिव कमजोर हो गया है, जिससे मतदाता भ्रमित हो सकते हैं। भाजपा के इस कदम से उसके मूल समर्थक भी नाराज हो सकते हैं, खासकर वे कार्यकर्ता जो पार्टी में बिना किसी पारिवारिक पृष्ठभूमि के काम करते रहे हैं।
* भाजपा के खिलाफ माहौल: अब भाजपा उन्हीं राजनीतिक घरानों के निशाने पर आ गई है, जिन पर वह परिवारवाद का आरोप लगाती थी। विरोधी दल अब भाजपा को उसी जाल में फंसा देख रहे हैं, जिसमें वह खुद दूसरों को फंसाने की कोशिश करती रही हैं।
इन बड़े नेताओं के बेटे-बेटियों को मिला टिकट
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने परिवारवाद विरोधी अपने लंबे समय से चले आ रहे रुख को तोड़ते हुए, कई नेताओं के परिजनों को टिकट दिया है। इससे पार्टी की “एक परिवार-एक टिकट” नीति सवालों के घेरे में आ गई हैं।
* आरती राव - अटेली से उम्मीदवार: भाजपा ने केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को अटेली से उम्मीदवार बनाकर एक परिवार-एक टिकट की अपनी नीति को तोड़ दिया है। भाजपा के इस निर्णय से यह साफ हो गया है कि परिवारवाद के खिलाफ उसके आरोपों का पालन खुद पार्टी भी नहीं कर पा रही हैं।
* श्रुति चौधरी - तोशाम से उम्मीदवार: कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई राज्यसभा सदस्य किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को तोशाम विधानसभा सीट से भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। श्रुति पहले से ही कांग्रेस में सक्रिय रही हैं, लेकिन अब भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी। इससे पार्टी की पुरानी विरोधी नीति कमजोर पड़ती दिख रही हैं।
* भव्य बिश्नोई - आदमपुर से उम्मीदवार: हिसार और भिवानी के पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर से टिकट दिया गया है। कुलदीप खुद इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन भजनलाल और उनके परिवार पर अक्सर भाजपा परिवारवाद के आरोप लगाती रही है। अब कुलदीप के बेटे को उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने इस आरोप को खुद पर लागू कर लिया हैं।
किशन सिंह सांगवान के बेटे को दिया बरौदा सीट से टिकट
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा ने कई प्रमुख राजनीतिक परिवारों के सदस्यों को टिकट देकर अपनी रणनीति को स्पष्ट किया है। पार्टी ने इस बार परिवारवाद के अपने पुराने विरोधी रुख को बदलते हुए कई नेताओं के परिजनों को मौका दिया है। इसके तहत कई राजनीतिक घरानों से जुड़े लोगों को उम्मीदवार बनाया गया हैं।
* प्रदीप सांगवान - बरौदा विधानसभा सीट: इनेलो-भाजपा गठबंधन की सरकार में सोनीपत से सांसद रह चुके किशन सिंह सांगवान के बेटे प्रदीप सांगवान को बरौदा विधानसभा सीट से टिकट मिला है। यह सीट पहले से ही भाजपा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
* देवेंद्र कौशिक - गन्नौर विधानसभा सीट: सोनीपत के पूर्व सांसद रमेश कौशिक के भाई देवेंद्र कौशिक को गन्नौर विधानसभा से भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। यह क्षेत्र भी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और कौशिक परिवार का इसमें बड़ा प्रभाव हैं।
* हरिंदर सिंह रामरतन - होडल विधानसभा सीट: पूर्व विधायक रामरतन के बेटे हरिंदर सिंह रामरतन को होडल विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है। रामरतन परिवार की इस क्षेत्र में काफी पकड़ रही है, जिससे भाजपा को इस सीट पर मजबूत दावेदारी की उम्मीद हैं।
* शक्ति रानी शर्मा - कालका विधानसभा सीट: पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी और राज्यसभा सदस्य कार्तिकेय शर्मा की माता शक्ति रानी शर्मा को भाजपा ने कालका विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। यह सीट भाजपा के लिए पहले से ही एक प्रमुख केंद्र रही है और शर्मा परिवार का इसमें राजनीतिक प्रभाव हैं।
हरियाणा के तीन लालों के 10 सपूत चुनावी मैदान में
हरियाणा की राजनीति में परिवारवाद का मुद्दा हमेशा से हावी रहा है, और इस चुनावी दौर में भी यह प्रमुख चर्चा का विषय बना हुआ है। राज्य के तीन प्रमुख राजनीतिक घरानों — भजनलाल, बंसीलाल, और देवीलाल के वंशजों ने चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी पेश की है।
* देवीलाल परिवार: देवीलाल का परिवार हरियाणा की राजनीति में सबसे बड़ा और प्रभावशाली रहा है। उनके परिवार से इस बार 6 सदस्य चुनावी मैदान में हैं:
1. अभय सिंह चौटाला - ऐलनाबाद सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
2. अर्जुन चौटाला - रानियां से उनके बेटे अर्जुन चुनाव लड़ रहे हैं।
3. आदित्य चौटाला - डबवाली सीट से चुनावी मैदान में हैं।
4. दुष्यंत चौटाला - पूर्व डिप्टी सीएम और जजपा नेता, उचाना कलां से चुनाव लड़ रहे हैं।
5. दिग्विजय चौटाला - डबवाली सीट से मैदान में हैं।
6. रणजीत सिंह चौटाला - पूर्व बिजली मंत्री, रानियां से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं।
* बंसीलाल परिवार: चौधरी बंसीलाल का परिवार भी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय है, और इस चुनाव में उनकी अगली पीढ़ी भी मैदान में है:
1. श्रुति चौधरी - बंसीलाल की पोती और भाजपा उम्मीदवार, तोशाम से चुनाव लड़ रही हैं।
2. अनिरुद्ध चौधरी - बंसीलाल के पोते और कांग्रेस के उम्मीदवार, तोशाम से मुकाबला कर रहे हैं।
* भजनलाल परिवार: भजनलाल के परिवार में भी राजनीति को आगे बढ़ाने वाले लोग सक्रिय हैं, हालांकि इस बार मुख्य रूप से कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य बिश्नोई चुनावी मैदान में दिखाई दे रहे हैं। इस प्रकार हरियाणा की राजनीति में तीनों लालों के परिवार लगातार सक्रिय हैं और परिवारवाद का असर इस चुनाव में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं।