Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कौन बनेगा किंगमेकर? जानिए छोटी पार्टियां में कितना है दम?

Jammu Kashmir Election 2024: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कौन बनेगा किंगमेकर? जानिए छोटी पार्टियां में कितना है दम?
Last Updated: 15 सितंबर 2024

जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर बड़े राजनीतिक दलों ने अपनी रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है, लेकिन इस बार चुनाव में छोटी पार्टियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की तैयारी में हैं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि गठबंधन सरकार बनाने के लिए कई बार छोटी पार्टियों की अहमियत बढ़ जाती है और वे किंगमेकर की भूमिका निभा सकती हैं।

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं, क्योंकि राज्य में लंबे समय बाद चुनाव हो रहे हैं। इस बार चुनाव में कई छोटी पार्टियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और उनके प्रदर्शन से बड़ी पार्टियों के समीकरण भी प्रभावित हो सकते हैं। इन छोटी पार्टियों के पास न केवल क्षेत्रीय पकड़ है, बल्कि वे कुछ सीटों पर किंगमेकर की भूमिका भी निभा सकती हैं। आइए इन पार्टियों पर नज़र डालें।

1. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी)

पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) जिसे अब सज्जाद लोन नेतृत्व दे रहे हैं, जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। अब्दुल गनी लोन द्वारा स्थापित इस पार्टी का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। उग्रवाद के दौर में चुनाव से दूरी बनाने वाली पीसी ने अपना चुनाव चिन्ह भी खो दिया था, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनावों में सज्जाद लोन के नेतृत्व में पार्टी ने फिर से अपनी राजनीतिक पहचान बनाई। हंदवाड़ा और कुपवाड़ा की सीटों पर जीत ने पार्टी को एक नई दिशा दी और पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में सज्जाद लोन कैबिनेट मंत्री बने हैं।

हालांकि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। इस घटना के बाद, लोन ने अपनी पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए कई स्थानीय नेताओं को शामिल करने का प्रयास किया। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला से हार ने उन्हें एक झटका दिया। आगामी विधानसभा चुनाव पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और सज्जाद लोन के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकते हैं, क्योंकि पार्टी 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। अगर पार्टी इन सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह उसे जम्मू-कश्मीर की राजनीति में फिर से एक प्रमुख खिलाड़ी बना सकती हैं।

2.अपनी पार्टी

पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के तुरंत बाद अपनी राजनीतिक पार्टी, "अपनी पार्टी" का गठन किया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की नई राजनीतिक स्थिति में सक्रिय भूमिका निभाई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिलने वाले पहले राजनेता बने, जो केंद्र सरकार के साथ उनके संवाद का संकेत था। आगामी विधानसभा चुनाव "अपनी पार्टी" के लिए एक बड़ी राजनीतिक परीक्षा साबित होने वाले हैं। पार्टी 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जिनमें से 40 सीटें कश्मीर और 20 सीटें जम्मू क्षेत्र में हैं।

यह विधानसभा चुनाव, पार्टी के लिए राजनीतिक समर्थन और जनसमर्थन को मापने का पहला बड़ा अवसर होगा। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को निराशा का सामना करना पड़ा था जब श्रीनगर और अनंतनाग-राजौरी सीटों पर उनके उम्मीदवारों ने अपनी जमानत जब्त कर दी थी। इसके बावजूद, अल्ताफ बुखारी की नेतृत्व क्षमता और उनकी केंद्र सरकार के साथ घनिष्ठता, पार्टी को जम्मू-कश्मीर के चुनावी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना सकती हैं।

3. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी)

गुलाम नबी आजाद द्वारा सितंबर 2022 में स्थापित डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक नई पार्टी के रूप में उभरी। कांग्रेस से पांच दशक पुराने जुड़ाव को समाप्त करने के बाद, आजाद ने इस पार्टी की नींव रखी। डीपीएपी को उन्होंने जम्मू-कश्मीर की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के लिए एक वैकल्पिक शक्ति के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की। हालांकि, डीपीएपी का राजनीतिक सफर अभी तक सफल नहीं रहा है। 2024 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने अपने पहले बड़े चुनावी परीक्षण का सामना किया, जिसमें इसके तीनों उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

यह परिणाम पार्टी के लिए एक बड़ा झटका था, जो उसे स्थानीय राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कठिनाइयों का संकेत देता है। गुलाम नबी आजाद की व्यक्तिगत लोकप्रियता के बावजूद, डीपीएपी के सामने चुनौती यह है कि वह खुद को जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक प्रभावी और प्रासंगिक विकल्प के रूप में स्थापित कर सके, खासकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी पुरानी और मजबूत पार्टियों के मुकाबले अहम हैं।

4. अवामी इत्तेहाद पार्टी

इंजीनियर राशिद, जो उत्तरी कश्मीर के फायरब्रांड नेता माने जाते हैं, ने 2012 में अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) की स्थापना की थी। उन्होंने पहले निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लैंगेट से 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव जीते थे, जिससे उनकी राजनीतिक लोकप्रियता बढ़ी। उनकी पार्टी ने कश्मीर की राजनीति में एक अनूठी जगह बनाई है, खासकर युवा मतदाताओं के बीच उनका खासा प्रभाव देखा जाता है। राशिद ने 2019 में बारामूला से लोकसभा चुनाव लड़ा और एक लाख से अधिक वोट हासिल किए। हालांकि, उनका सबसे बड़ा राजनीतिक आश्चर्य तब आया जब उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव तिहाड़ जेल से लड़ते हुए जीत लिया।

उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (PC) के अध्यक्ष सज्जाद लोन को बड़े अंतर से हराया। तिहाड़ से अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद, राशिद कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में प्रचार कर रहे हैं और उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है, खासकर युवाओं के बीच। उनकी जीत और बढ़ते समर्थन ने उन्हें जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत बना दिया है, और आगामी विधानसभा चुनावों में वे एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।

 

 

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