Jharkhand Election 2024: भाजपा विरोधी गठबंधन में छोटे दलों की अनदेखी, झामुमो और कांग्रेस का दबदबा

Jharkhand Election 2024: भाजपा विरोधी गठबंधन में छोटे दलों की अनदेखी, झामुमो और कांग्रेस का दबदबा
Last Updated: 30 अक्टूबर 2024

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा विरोधी गठबंधन में छोटे दलों को नजरअंदाज किया गया है। झामुमो और कांग्रेस ने आपस में सीटों का बंटवारा कर लिया है, जिसके चलते राजद और भाकपा-माले में नाराजगी देखी जा रही है। कुछ सीटों पर गठबंधन के दलों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसे 'दोस्ताना संघर्ष' का नाम दिया जा रहा है। यह स्थिति पलामू प्रमंडल की दो सीटों पर राजद के साथ उभरी है।

Ranchi: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा विरोधी गठबंधन में लालू प्रसाद यादव की राजद और वाम दल भाकपा-माले को एक हद तक दरकिनार कर दिया गया है। इस गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस ने अपनी सीटों को आपस में मिलकर बांट लिया है, जिससे तकरार की स्थिति उत्पन्न हो गई है। शुरुआत में ऐसा लगा था कि मामला सुलझ जाएगा, लेकिन अब स्थिति तीन सीटों को लेकर आपसी संघर्ष तक पहुंच गई है।

राजद और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर

कुछ सीटों पर गठबंधन में शामिल दलों द्वारा अपने-अपने प्रत्याशी उतारने के कारण ये चुनावी मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ होंगे। इसे गठबंधन में दोस्ताना संघर्ष कहा जा रहा है। पलामू प्रमंडल की दो सीटों पर यह स्थिति राजद के साथ उत्पन्न हुई है। बिहार से सटे होने और जातीय समीकरणों के पक्ष में रहने के कारण विश्रामपुर और छतरपुर सीटों

पर राजद ने अपने प्रत्याशी घोषित किए थे। अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस ने भी यहां से अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। ऐसे में इन दोनों सीटों पर राजद की कांग्रेस से सीधी भिंड़त होगी। इसी प्रकार, वाम दल भाकपा-माले और झामुमो की स्थिति भी कुछ इसी तरह है। प्रख्यात वामपंथी नेता एके राय द्वारा स्थापित मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) के भाकपा-माले में विलय के बाद स्थिति में बदलाव आया है।

इसे ध्यान में रखते हुए भाकपा-माले ने अधिक सीटों पर दावेदारी की, लेकिन गिरिडीह के धनवार में मामला फंस गया। इस सीट पर पहले भाकपा-माले के राजकुमार यादव निर्वाचित हो चुके हैं, इसलिए पार्टी ने यहां से अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी। झामुमो ने भी यहां से एक प्रत्याशी उतारा है। परिणामस्वरूप, गठबंधन के दोनों दलों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी।

भाकपा-माले ने जमुआ में किया समझौता

यह भी दिलचस्प है कि धनवार विधानसभा सीट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी उम्मीदवार हैं। हालांकि, भाकपा-माले ने उदारता दिखाते हुए धनवार से सटी जमुआ विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार को नहीं उतारा। जमुआ विधानसभा क्षेत्र को लेकर दोनों दलों के बीच दावेदारी का एक लंबा सिलसिला चला। अंततः गठबंधन की एकता का हवाला देते हुए भाकपा-माले ने समझौता किया। जमुआ से भाजपा की मौजूदा विधायक केदार हाजरा को पाला बदलने के बाद झामुमो ने अपना प्रत्याशी बनाया है।

झामुमो और कांग्रेस ने सीटों का आपस में किया बंटवारा

गठबंधन के घटक दलों के बीच तनाव तब उत्पन्न हुआ, जब झामुमो और कांग्रेस ने मिलकर 70 सीटों का आपस में बंटवारा कर लिया। इस पर राजद ने कड़ा विरोध जताया। राजद के कार्यकारी अध्यक्ष तेजस्वी यादव रांची में सीट समझौते के लिए कई दिनों तक डटे रहे।

यह भी कहा जा रहा है कि यदि राजद गठबंधन से अलग होता है, तो राज्य में उसे संचालन में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। राजद का जनाधार कुछ सीमित क्षेत्रों तक ही सीमित है। इसी तरह का व्यवहार राजद ने अपने प्रभावशाली बिहार में भी कांग्रेस के साथ किया है। हालांकि, भाकपा-माले ने एक सीट पर तालमेल होने का अफसोस जताते हुए कहा कि इसके बावजूद वह आइएनडीआइए के साथ मजबूती से खड़ा है।

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