Maharashtra Politics: MVA को उलमा बोर्ड के लिखे पत्र पर मचा सियासी बवाल, लेटर में RSS पर बैन सहित लिखी 17 बड़ी मांग; शिवसेना यूबीटी ने साधी चुप्पी

Maharashtra Politics: MVA को उलमा बोर्ड के लिखे पत्र पर मचा सियासी बवाल, लेटर में RSS पर बैन सहित लिखी 17 बड़ी मांग; शिवसेना यूबीटी ने साधी चुप्पी
Last Updated: 10 नवंबर 2024

ऑल इंडिया उलमा बोर्ड महाराष्ट्र द्वारा महाविकास आघाड़ी (मविआ) को दिया गया समर्थन पत्र, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है, ने महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस पत्र के बाद महाविकास आघाड़ी के नेताओं के बीच असहजता देखने को मिल रही हैं।

मुंबई: ऑल इंडिया उलमा बोर्ड महाराष्ट्र द्वारा महाविकास आघाड़ी (मविआ) को दिए गए समर्थन पत्र ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध की मांग की गई है। इस पत्र से मविआ के नेताओं के बीच असहजता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, क्योंकि यह मुद्दा उनके लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो सकता हैं।

हालांकि, इस पत्र से यह भी साफ हो गया है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम संगठनों में महाविकास आघाड़ी के साथ खुलकर समर्थन दिखाने की होड़ लग गई है। मुस्लिम संगठनों का मविआ के साथ समर्थन दर्शाता है कि वे चुनावी रणनीतियों में इस गठबंधन को महत्वपूर्ण मानते हैं। मगर, इस पत्र में RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर मविआ के नेताओं को भी असुविधा हो रही है, क्योंकि यह एक ऐसा मुद्दा है जो राष्ट्रीय राजनीति पर असर डाल सकता है और उनकी चुनावी स्थिति को प्रभावित कर सकता हैं।

पत्र में उलमा बोर्ड ने ऐसा क्या लिखा?

महाराष्ट्र के ऑल इंडिया उलमा बोर्ड ने 7 अक्टूबर 2024 को महाविकास आघाड़ी (मविआ) को समर्थन देने का एक पत्र जारी किया था। इसमें दावा किया गया था कि बोर्ड महाराष्ट्र में सक्रिय मुस्लिम उलमाओं का एक प्रमुख संगठन है। 2023 में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के साथ हुई बैठक के बाद, बोर्ड ने लोकसभा चुनाव में मविआ को समर्थन देने का फैसला किया था। इस समर्थन के परिणामस्वरूप, महाराष्ट्र में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिली।

पत्र में यह भी कहा गया कि अब मविआ को विधानसभा चुनाव में भी समर्थन देने का निर्णय लिया गया है। उलमा बोर्ड ने मविआ से 17 प्रमुख मांगों का पालन करने की अपील की है, जिनमें सबसे प्रमुख मांग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाने की है। यह पत्र मविआ के नेताओं के लिए एक राजनीतिक चुनौती भी हो सकता है, क्योंकि संघ पर प्रतिबंध की मांग एक ऐसा विवादास्पद मुद्दा है, जो उनके लिए राष्ट्रीय राजनीति में असहज स्थिति उत्पन्न कर सकता हैं।

इन 17 मांगों में निम्नलिखित मुद्दे हो सकते हैं शामिल

* RSS पर प्रतिबंध: मुस्लिम संगठनों द्वारा अक्सर यह मांग उठाई जाती है कि RSS के खिलाफ कार्रवाई की जाए, जो उनके अनुसार समाज में विभाजन और घृणा फैला रहा है।

* धार्मिक स्वतंत्रता का संरक्षण: मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा की मांग।

* मुस्लिमों के लिए विशेष योजनाएं: समाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए मुस्लिम समुदाय के लिए विशेष योजनाओं की मांग।

* मदरसों को सरकार से समर्थन: मदरसा शिक्षा के लिए सरकारी समर्थन और वित्तीय मदद की मांग।

* हज यात्रा की सुविधाएं: हज यात्रा के लिए सरकारी मदद और बेहतर सुविधाओं की मांग।

* कानूनी अधिकारों की रक्षा: मुस्लिम समुदाय के कानूनी अधिकारों की रक्षा और उन्हें समान अवसर प्रदान करने की मांग।

* समान नागरिक संहिता का विरोध: कुछ मुस्लिम संगठनों का कहना है कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और * सांस्कृतिक पहचान को नुकसान पहुंचा सकती है, इसलिए इसे लागू करने का विरोध।

* बेरोजगारी और शिक्षा में सुधार: मुस्लिम समुदाय के लिए रोजगार और शिक्षा के अवसरों में सुधार की मांग।

* धार्मिक संस्थाओं की सुरक्षा: मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं की सुरक्षा और उनके खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषणों और हिंसा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई।

* समाज में समानता और न्याय: समाज में मुस्लिम समुदाय के लिए समानता, न्याय और सामाजिक सुरक्षा की सुनिश्चितता की मांग।

शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने ने नहीं दी प्रतिक्रिया

ऑल इंडिया उलमा बोर्ड के कथित पत्र ने महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी (मविआ) और विशेष रूप से शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं को असहज स्थिति में डाल दिया है। उलमा बोर्ड का यह पत्र मविआ को समर्थन देने के साथ-साथ अपनी 17 प्रमुख मांगें भी रखता है, जिसमें RSS पर प्रतिबंध की मांग शामिल है। इस पत्र को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी हैं।

हालांकि, कुछ समय पहले शिवसेना (यूबीटी) के एक प्रत्याशी सुनील प्रभु का मुंबई में मौलानाओं के साथ एक बैठक का वीडियो वायरल हुआ था, जिसे लेकर उन्होंने बाद में सफाई दी थी। इस वीडियो में कुछ मुस्लिम नेताओं के साथ उनकी बैठक को लेकर भ्रम की स्थिति बनी थी, जिसके बाद सुनील प्रभु ने इसे एक सामान्य मुलाकात बताते हुए कोई राजनीतिक महत्व नहीं होने की बात कही थी।

इस पूरे प्रकरण से यह साफ हो गया है कि महाराष्ट्र के मुस्लिम संगठनों में मविआ के प्रति समर्थन बढ़ रहा है, और वे आगामी विधानसभा चुनाव में खुलकर इस गठबंधन के साथ खड़े दिखाई देना चाहते हैं। यह कदम मविआ के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम संगठनों का समर्थन चुनावों में महत्वपूर्ण हो सकता हैं।

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