Parliament Session: क्या नोटों की गड्डी बन सकती है सिंघवी के लिए मुसीबत? जानिए क्या कहते हैं संसद के नियम?

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संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में गुरुवार को एक अप्रत्याशित घटना ने माहौल गरमा दिया। सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को बताया कि गुरुवार को जब सदन की कार्यवाही समाप्त हुई और नियमित सुरक्षा जांच की गई, तब सीट नंबर 222 के नीचे नोटों की गड्डी पाई गई। यह सीट कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी की है।

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में गुरुवार को नोटों की गड्डी मिलने का मामला गरमाता जा रहा है। शुक्रवार को सभापति जगदीप धनखड़ ने इस मुद्दे को सदन में उठाते हुए कहा कि नियमित सुरक्षा जांच के दौरान सीट नंबर 222 के नीचे नोटों की गड्डी पाई गई। यह सीट कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी को आवंटित है। सभापति ने इसे गंभीर मामला बताते हुए सदन के सदस्यों को संसद की गरिमा बनाए रखने की अपील की।

सभापति ने जताई चिंता

सभापति धनखड़ ने सदन में कहा, "संसद देश की लोकतांत्रिक प्रणाली की गरिमा और स्वच्छता का प्रतीक है। गुरुवार को कार्यवाही समाप्त होने के बाद सीट नंबर 222 के नीचे नोटों की गड्डी मिली। यह अत्यंत गंभीर मामला है और इसकी गहन जांच सुनिश्चित की जाएगी।"

धनखड़ ने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि किसी भी स्थिति में संसद जैसे पवित्र स्थान को इस तरह के विवादों का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।

अभिषेक मनु सिंघवी ने दी सफाई

कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इस पूरे मामले को राजनीति से प्रेरित करार देते हुए कहा, "यह मेरे खिलाफ एक मजाक और बेबुनियाद आरोप है। मैं जब भी संसद जाता हूं, तो केवल 500 रुपये का नोट अपने पास रखता हूं।"

सिंघवी ने बताया कि गुरुवार को वह दोपहर 12:57 बजे संसद पहुंचे थे। इसके बाद वह सीधा कैंटीन चले गए और 1:30 बजे घर लौट गए। उन्होंने दावा किया कि वह केवल तीन मिनट के लिए सदन में मौजूद थे।

उन्होंने कहा, "मैं खुद चाहता हूं कि इस मामले की गहन जांच हो। सच्चाई सामने आनी चाहिए। इस तरह के झूठे आरोप लगाने का मकसद साफ तौर पर राजनीतिक है।"

कांग्रेस का पलटवार

कांग्रेस ने इसे साजिश करार देते हुए कहा कि यह "अदाणी मामले" से ध्यान भटकाने के लिए उठाया गया कदम है। कांग्रेस के चीफ व्हिप जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर सभापति से मुलाकात की और निष्पक्ष जांच की मांग की।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "जांच पूरी होने से पहले किसी सांसद का नाम लेना उचित नहीं है। यह कार्रवाई सदन की परंपराओं के खिलाफ है।"

खरगे ने नोटों की गड्डी मिलने के पीछे की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सरकार की साजिश हो सकती है ताकि विपक्ष को बदनाम किया जा सके।

संसद में पहले भी हो चुके हैं ऐसे विवाद

यह कोई पहली बार नहीं है जब संसद में इस तरह की घटना सामने आई है। इससे पहले भी संसद में नोटों से जुड़े विवाद हो चुके हैं:

कैश फॉर वोट कांड (2008): मनमोहन सरकार के विश्वासमत के दौरान भाजपा सांसद अशोक अर्गल, महावीर भागौरा और फग्गन सिंह कुलस्ते ने सदन में नोट लहराते हुए दावा किया था कि उन्हें अमर सिंह और अहमद पटेल ने वोट खरीदने के लिए पैसे ऑफर किए थे।

महुआ मोइत्रा मामला (2023): तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि उन्होंने पैसे लेकर सदन में सवाल पूछे। इस मामले में जांच के बाद महुआ की सदस्यता समाप्त कर दी गई।

संसद में नोट ले जाने के नियम क्या कहते हैं?

संसद में नोट ले जाने को लेकर कोई सख्त नियम नहीं है। सांसद चाहे जितनी भी नकदी संसद में ला सकते हैं। संसद परिसर में कई सांसद डिजिटल भुगतान के बजाय नकदी का इस्तेमाल करते हैं।

इसके अलावा, संसद भवन में मौजूद बैंक शाखाओं से भी नकदी निकालकर सांसद सीधे सदन में पहुंचते हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में जिम्मेदारी का पालन करना बेहद जरूरी है।

क्या होगी सिंघवी पर कार्रवाई?

इस मामले में जांच का जिम्मा किस एजेंसी को दिया जाएगा, यह सभापति जगदीप धनखड़ तय करेंगे। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि नोटों की गड्डी सिंघवी की थी या किसी अन्य ने जानबूझकर उन्हें फंसाने के लिए यह कदम उठाया।

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