Rajnath Singh: विजयदशमी के अवसर पर हथियारों की पूजा के बाद राजनाथ सिंह ने कहा- 'हमारी किसी के साथ कोई निजी दुश्मनी नहीं, हमने तभी युद्ध लड़ा जब...'

Rajnath Singh: विजयदशमी के अवसर पर हथियारों की पूजा के बाद राजनाथ सिंह ने कहा- 'हमारी किसी के साथ कोई निजी दुश्मनी नहीं, हमने तभी युद्ध लड़ा जब...'
Last Updated: 12 अक्टूबर 2024

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने विजयदशमी के अवसर पर सेना के जवानों के साथ इस त्योहार का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने भारतीय सेना के हथियारों की पूजा भी की, जो इस दिन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राजनाथ सिंह ने सेना के जवानों के साथ मिलकर उत्सव मनाया और इस अवसर पर एक ग्रुप फोटो भी खिंचवाई।

नई दिल्ली: विजयदशमी के मौके पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शस्त्र पूजा की। वे पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग पहुंचे, जहां उन्होंने सुकना कैंट में सेना के जवानों के साथ शस्त्रों की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने सेना के जवानों से बातचीत की और उनका हालचाल जाना। उन्होंने जवानों के साथ एक ग्रुप फोटो भी खिंचवाई, जो उनके समर्थन और सैन्य बल के प्रति सम्मान को दर्शाती हैं।

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

विजयदशमी के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "हम सभी जानते हैं कि आज का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। जब भगवान राम ने बुराई के रावण पर विजय प्राप्त की, यह मानवता की जीत थी।" राजनाथ सिंह ने कहा, "हमने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया क्योंकि हमारे दिल में किसी के साथ कोई दुश्मनी नहीं है। हमने केवल तभी युद्ध लड़ा है जब किसी देश ने हमारी अखंडता और संप्रभुता का अनादर किया है, या जब किसी ने धर्म, सत्य और मानवीय मूल्यों के खिलाफ युद्ध शुरू किया है।" उन्होंने यह भी कहा कि शस्त्र की पूजा करना एक प्रतीक है, जिसे जरूरत पड़ने पर पूरी ताकत से इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

दशहरा के अवसर पर शस्त्रों की होती हैं पूजा

विजयादशमी के मौके पर शस्त्र पूजन की परंपरा का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी दुर्गा ने राक्षसों का संहार करके धर्म और देवताओं की रक्षा की थी। इसी तरह, भगवान श्रीराम ने धर्म की रक्षा के लिए रावण का वध किया था। इसलिए, विजयादशमी के दिन देवी और भगवान श्रीराम के शस्त्रों की पूजा की जाती है। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक प्रतीकात्मक अर्थ भी रखता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं।

इसके अतिरिक्त, मंदिरों और घरों में रखे शस्त्रों का भी पूजन किया जाता है, जो युद्ध की तैयारी और आत्म-सुरक्षा के प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि शस्त्र पूजन की परंपरा की शुरूआत राजा विक्रमादित्य ने की थी, जो एक महान और न्यायप्रिय राजा माने जाते हैं।

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