प्रतिभा कभी अमीरी-गरीबी का फर्क नहीं देखती वह केवल काबिलियत और जुनून पर फोकस करती है. अगर आपके अंदर काबिलियत है तो आप फर्श से अर्श पर पहुंच सकते है. नोएडा के सपूत किसान और रिक्शा चलाने वाले का बेटा अपनी प्रतिभा के बलबूते (दम) पर नासा के रोवर चैलेंज में हिस्सा लेंगे। स्कूल वाले शुरू से ही कहते आ रहे है कि आपका बेटा पढाई में होशियार है, लेकिन तब यकीन नहीं हुआ. आज जब बेटा छोटी सी उम्र में अमेरिका जाएगा तो एहसास हुआ कि वे लोग सही ही कहते थे।
Subkuz.com के पत्रकार को मिली जानकारी के अनुसार दादरी के छायासां गांव के रहने वाले उत्कर्ष मलिक की माता (मां) ने कहां कि हमने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारा बेटा 16 वर्ष की उम्र में ही विदेश घूम आएगा। बताया कि उत्कर्ष मलिक का नासा की ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज के लिए चयन होने पर परिवार और अन्य सभी को बहुत खुशी हुई हैं।
जानकारी के मुताबिक उत्कर्ष उत्तर प्रदेश से 10वीं की परीक्षा दे रहे है. घरवालों ने बताया कि उसकी इस उपलब्धि की कभी कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन उनके कुछ अलग (नया) करने के जज्बे से अपने परिवार के संघर्ष को भी एक नया मुकाम दिया है. यह दोनों बच्चे दूसरे बच्चों के लिए भी एक प्रेरणा बन गए हैं।
उत्कर्ष के पिता ब्रेन हैमरेज के कारण आठ साल से है बिस्तर पर
परिवार से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्कर्ष के पिता उपेंद्र सिंह आठ वर्ष से ब्रेन हेमरेज के चलते बिस्तर पर है. इसके कारण उनका परिवार आजीविका के लिए पूरी तरह से खेती पर निर्भर हो गया है. उसके दादा सुरेंद्र सिंह ( 80 वर्ष) खेती का काम करते है. खेती में सुरेंद्र सिंह का उत्कर्ष और उसकी मां हाथ बंटाते है. बहन निकिता कलौंदा गांव के वीआरएसबी इंटर कॉलेज (स्कूल) में कक्षा 10 में अध्यनरत है. ये दोनों भाई-बहन जुड़वा हैं।
उत्कर्ष की मां निशा देवी ने बताया कि उत्कर्ष शुरू से ही मशीन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में अपना दिमाग लगाता आ रहा है. वह खिलौनों को अपने हिसाब से तैयार कर देता है. बिजली के उपकरण ठीक करके तुरंत शुरू कर देता है. बताया कि उसका सपना ही की वह एक डिजाइन इंजीनियर बनना चाहता हैं।
160 रूपये के मॉडल से मिला नासा का टिकट
जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के निर्देश पर जीएल बजाज इंटर कॉलेज में आयोजित चयन प्रतियोगिता में जिले के कई बड़े स्कूलों के 100 से अधिक विद्यार्थी अपने-अपने मॉडल लेकर पहुंचे थे. उत्कर्ष के अध्यापक डॉ. रजनीश कुमार त्यागी ने बताया कि प्रदर्शनी में कुछ छात्रों के माडल 25 हजार से अधिक रूपये तक के थे, लेकिन उत्कर्ष के मॉडल पर मात्र 160 रुपये का खर्च आया था। उत्कर्ष ने बगैर तार के चार्ज होने वाले ई-वाहन (इलेक्ट्रॉनिक वाहन) का मॉडल बनाया था. गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा ने 15-20 मिनट तक अकेले उत्कर्ष से बात की. उत्कर्ष ने मॉडल के बारे में जो डिटेल बताई उससे जिलाधिकारी काफी प्रभावित हुए।
रिक्शा चलाते है ओम के पिता
Subkuz.com के पत्रकार को प्राप्त जानकारी के अनुसार ओम सेक्टर-12 एच ब्लॉक में रहता है. वह भाऊराव देवरस सरस्वती विद्या मंदिर में 11वीं आर्ट का छात्र है. उसका भी ह्यूमन एक्सप्लोरेशन रोवर चैलेंज प्रतिभा में सलेक्शन हुआ है. बताया कि ओम बेहद साधारण पृष्ठभूमि से विलोन करता है लेकिन प्रतिभा परिस्थितियों पर कभी भी निर्भर नहीं होती है. ओम की मां सुनीता देवी घर का काम करती है और पिता अरविंद कुमार ऑटो रिक्शा चलाते हैं।
बताया कि सात महीने पहले सड़क हादसे में पैर टूटने के कारण ओम के पिता अरविंद कुमार अभी घर पर ही है उसकी मां ही पूरा घर चला रही है. ओम ने स्कूल के शिक्षक महोदय अक्षय कुमार कुशवा के मार्गदर्शन (देखरेख) में मार्श एक्सप्लोरेशन रोवर का मॉडल बनाया था. इस मॉडल के आधार पर उसका चयन किया गया। ओम ने बताया कि वह इंजीनियरिंग कर शोध के क्षेत्र में अपना करियर बनाएगा। उसके परिवार के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि हैं।
नई दिल्ली से यह छात्र दिखाएंगे प्रतिभा
जानकारी के मुताबिक पानीपत के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के रोहित पाल सिंह, गुरुग्राम के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बादशाहपुर की पल्लवी कुमारी, फरीदाबाद के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तिकोना पार्क के अरुण कुमार और नूंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रहेड़ी के लोकेश सिंह भी 16 सदस्य टीम में ओम और उत्कर्ष के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।