Scientists Biggest Success: वैज्ञानिकों को मिली अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी, मंगल ग्रह की सतह पर खोजा पानी का भंडार, पढ़ें पूरी खबर

Scientists Biggest Success: वैज्ञानिकों को मिली अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी, मंगल ग्रह की सतह पर खोजा पानी का भंडार, पढ़ें पूरी खबर
Last Updated: 4 घंटा पहले

वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर पानी का विशाल भंडार होने का पता लगाया है, जो अब तक की उनकी सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस खोज से यह खुलासा हुआ है कि मंगल ग्रह पर पानी के स्रोत का अस्तित्व ग्रह के निर्माण के समय से ही रहा हैं। 

पर्थ: वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह पर पानी का एक ऐतिहासिक प्रमाण मिला है, जो अब तक की सबसे बड़ी सफलता मानी जा रही है। इस खोज ने मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना को एक नई दिशा दी है। पृथ्वी पर पानी के महत्व को ध्यान में रखते हुए, जहां लगभग 70 प्रतिशत सतह पानी से ढकी है, मंगल ग्रह पर पानी का इतिहास हमेशा से ही एक रहस्य रहा हैं।

वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह से आए उल्कापिंड में मौजूद खनिज जिरकोन का अध्ययन किया और पाया कि लगभग 4.45 अरब साल पहले जब जिरकोन क्रिस्टल बना था, तब मंगल ग्रह पर पानी मौजूद था। यह खोज साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित की गई है और यह मंगल ग्रह पर पानी के सबसे पुराने सबूतों को प्रस्तुत करती हैं।

मंगल पर कब मिला पानी?

मंगल ग्रह पर पानी की खोज और उसके इतिहास को समझने में वैज्ञानिकों को कई चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ा है। जैसा कि आपने उल्लेख किया, प्री-नोआचियन काल में मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति के प्रमाण अधिक स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन इस काल के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए वैज्ञानिकों ने कुछ महत्वपूर्ण तरीकों का उपयोग किया हैं।

प्री-नोआचियन काल मंगल ग्रह के इतिहास का सबसे पुराना काल है, जो लगभग 4.1 अरब वर्ष पहले से लेकर 4.5 अरब वर्ष पहले तक का है। इस समय के दौरान मंगल ग्रह का वातावरण और जलवायु पूरी तरह से भिन्न थे। मंगल पर पानी का पहला प्रमाण प्री-नोआचियन काल में पाया जा सकता है, हालांकि इसे स्पष्ट रूप से साबित करना मुश्किल रहा है। यह काल ग्रह के निर्माण के कुछ समय बाद था, जब मंगल पर पानी और जीवन की उपस्थिति की संभावनाएं अधिक थीं। हालांकि, इस समय के पानी का स्थायित्व या उसकी मात्रा का निर्धारण करना अभी भी चुनौतीपूर्ण हैं।

मंगल ग्रह का इतिहास

मंगल ग्रह का इतिहास और उसकी भूवैज्ञानिक समय-सीमा पृथ्वी के समान जटिल है, और वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ग्रह के आरंभिक इतिहास में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। जैसा कि आपने उल्लेख किया, मंगल ग्रह का निर्माण लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुआ था और इसका इतिहास चार प्रमुख भूवैज्ञानिक कालों में बांटा जाता है। इन कालों में समय के साथ बदलाव आए हैं, और प्रत्येक काल में मंगल ग्रह की सतह, वायुमंडल और जलवायु में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए।

* अमेजोनियन काल (आज से 3 अरब वर्ष पहले तक)

यह वर्तमान समय से संबंधित है और मंगल ग्रह पर सक्रिय ज्वालामुखी गतिविधियों का समय माना जाता है। इस काल में मंगल ग्रह पर जल की उपस्थिति और वातावरण में स्थिरता कम हो गई थी। इस समय के बाद से मंगल पर पानी का अस्तित्व संदेहास्पद हो गया, और ग्रह का वातावरण सूखा और ठंडा हो गया।

* हेस्पेरियन काल (3 अरब से 3.7 अरब वर्ष पहले)

इस काल में मंगल ग्रह पर बड़े जलाशयों, झीलों और नदियों के होने के प्रमाण मिलते हैं। यह वह समय था जब मंगल पर पानी का प्रवाह था, और वैज्ञानिकों के अनुसार इस समय पर मंगल पर जीवन के लिए आवश्यक स्थितियां हो सकती थीं। इस काल के दौरान ग्रह पर पानी की अधिकता थी, और ग्रह का वातावरण अधिक गर्म और आर्द्र था।

* नोआचियन काल (3.7 अरब से 4.1 अरब वर्ष पहले)

नोआचियन काल को मंगल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण काल माना जाता है। इस दौरान, ग्रह पर जल का प्रमाण मिलता है, और मंगल पर सतह पर बड़ी मात्रा में पानी था। वैज्ञानिकों के अनुसार इस काल में मंगल ग्रह पर वातावरण भी गर्म और नमी से भरपूर था, जो जीवन के लिए संभावित रूप से उपयुक्त हो सकता हैं।

* प्री-नोआचियन काल (4.1 अरब से लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले)

यह मंगल ग्रह के आरंभिक इतिहास का सबसे पुराना काल है। इस काल में मंगल पर पानी की उपस्थिति का अध्ययन करना और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है, क्योंकि इसके लिए वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह की सबसे पुरानी सतहों की खोज करनी पड़ती है। हालांकि, यह माना जाता है कि इस काल में मंगल पर पानी मौजूद था, जो अब तक के सबसे पुराने जल प्रमाणों का हिस्सा हो सकता हैं।

Leave a comment