J&K Election 2024: उमर अब्दुल्ला ने राजनयिकों (डिप्लोमेट्स) के दौरे पर जताया विरोध, कहा - 'विदेशियों को चुनाव प्रक्रिया के लिए आमंत्रित...'

J&K Election 2024: उमर अब्दुल्ला ने राजनयिकों (डिप्लोमेट्स) के दौरे पर जताया विरोध, कहा - 'विदेशियों को चुनाव प्रक्रिया के लिए आमंत्रित...'
Last Updated: 26 सितंबर 2024

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के केंद्र के निर्णय पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह चुनाव भारत का आंतरिक मामला है और विदेशियों को यहां चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए बुलाने की आवश्यकता नहीं है।

Shrinagar:  नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की निगरानी के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने के केंद्र सरकार के निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ये चुनाव भारत का आंतरिक मामला है और मुझे समझ नहीं आता कि विदेशी व्यक्तियों को यहां चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए क्यों बुलाया जाना चाहिए। यदि आप विदेशी राजनयिकों को कश्मीर में चुनाव दिखा रहे हैं, तो फिर विदेशी पत्रकारों को यहां आने से क्यों रोका जा रहा है?

16 देशों के राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा श्रीनगर

नई दिल्ली में स्थित विदेशी दूतावासों और उच्चायुक्तों के 16 देशों के राजनयिकों का एक प्रतिनिधिमंडल, आज सुबह कश्मीर में चल रही चुनाव प्रक्रिया का अवलोकन करने के लिए श्रीनगर पहुंचा है। इस प्रतिनिधिमंडल को विदेश मंत्रालय द्वारा आमंत्रित किया गया है। जम्मू-कश्मीर में 10 वर्षों के बाद और 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव आयोजित हो रहे हैं।

यह हमारा अपना आंतरिक मामला

आज सोनवार स्थित मिशनरी स्कूल में बने मतदान केंद्र में अपने वोट का प्रयोग करने के बाद उमर अब्दुल्ला ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जब भी कोई अन्य देश कश्मीर के बारे में टिप्पणी करता है, तो भारत सरकार का जवाब होता है कि यह हमारा अपना आंतरिक मामला है।

उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि आज अचानक केंद्र सरकार विदेशी पर्यवेक्षकों को आमंत्रित कर रही है और उन्हें कश्मीर में विभिन्न मतदान केंद्रों पर चुनाव प्रक्रिया का निरीक्षण करने के लिए ले जा रही है।

यदि विदेशी राजनयिकों को आने की अनुमति है, तो फिर विदेशी पत्रकारों पर रोक क्यों लगाई जाती है?चुनाव के दौरान विदेशी राजनयिकों को कश्मीर में पर्यटकों की तरह लाने पर कई सवाल खड़े होते हैं।

प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है - उमर अब्दुल्ला

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हमारे लिए एक आंतरिक मामला हैं, और हमें विदेशी राजनयिकों के प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है। यहां चुनाव में लोगों की भागीदारी, जिसे केंद्र सरकार अपनी सफलता बताती है, वास्तव में केंद्र सरकार की वजह से नहीं है।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने यहां के लोगों का अपमान किया है और उनकी आवाज़ को दबाने के लिए हर संभव प्रयास किया है। इसके बावजूद, लोग चुनाव में भाग ले रहे हैं और मतदान कर रहे हैं। इसलिये यह कुछ ऐसा नहीं है जिसे भारत सरकार को प्रचारित करना चाहिए। लेकिन, वे अपने तरीके से इस पर आगे बढ़ रहे हैं।

दूसरे चरण में अच्छे मतदान की उम्मीद जताई गई

नेकां के उपाध्यक्ष ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता को 10 साल बाद फिर से अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अवसर प्राप्त हुआ है। पहले चरण में हुए सकारात्मक मतदान के बाद, हमें दूसरे चरण में भी अच्छे मतदान और संतोषजनक परिणामों की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अब तक के चुनाव प्रचार में हमने देखा है कि चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो, उनकी रैलियां और प्रचार गतिविधियां बेहद उत्साहजनक रही हैं। हमें उम्मीद है कि यह उत्साह मतदाताओं में भी दिखाई देगा।

उमर ने कहा- पार्टी के लिए तीनों चरण का हैं महत्व

नेकां के लिए दूसरे चरण के मतदान के महत्व पर पूछे गए सवाल के जवाब में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि सभी चुनाव और मतदान दिवस महत्वपूर्ण होते हैं।

मैं दो सीटों से चुनाव लड़ रहा हूँ, इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। अगर मैं एक सीट से भी चुनाव लड़ रहा होता, तो भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता।

यह मेरे लिए नहीं, बल्कि पूरी पार्टी के लिए है। पहला चरण जितना महत्वपूर्ण था, तीसरा चरण भी उतना ही महत्वपूर्ण होगा। हां, इसमें मेरी व्यक्तिगत भागीदारी है, लेकिन पार्टी के लिए तीनों चरणों का महत्व है।

चुनाव परिणाम पर कही बात

चुनाव में अपनी जीत के बारे में सवाल का जवाब देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उम्मीद पर ही दुनिया टिकती है। मैंने मतदाताओं तक पहुंचने की पूरी कोशिश की, हमनें कड़ी मेहनत की है और मुझे आशा है कि परिणाम सकारात्मक होंगे। बाकी सब तो भगवान के हाथ में है और उसके बाद मतदाताओं के हाथ में। अब देखते हैं, आठ अक्टूबर को क्या निर्णय आता है।

पीडीपी पर साधा गया निशाना

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती के द्वारा गांदरबल और बडगाम में नेशनल कॉन्फ्रेस पर बोगस वोटिंग के आरोप लगाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पीडीपी को अपनी हार सामने स्पष्ट दिखाई दे रही है। इसलिए वे ऐसे आरोप लगा रहे हैं। कोई भी इनकी जांच करवा सकता है।

पीडीपी को अपने उम्मीदवार से बहुत उम्मीद थी, वह मतदाताओं पर कोई प्रभाव डालने में असफल रहा है। ऐसे में मैं क्या कर सकता हूँ?यदि बडगाम में कोई उम्मीदवार चुनाव प्रक्रिया से मेरे पक्ष में अपना नाम वापस लेता है, तो इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। पीडीपी बडगाम में अपनी पार्टी का समर्थन पाकर बहुत खुश थी, लेकिन मुंतजिर मोहिउद्दीन ने पार्टी के खिलाफ जाकर मुझे समर्थन देने की घोषणा कर दी।

इसके बाद से पीडीपी नाराज हो गई और हम पर और अपनी पार्टी पर हमले शुरू कर दिए। पीडीपी ने साफ तौर पर दीवार पर लिखी इबारत को समझ लिया है। बडगाम और गांदरबल को भूल जाइए; अगर वे बिजबेहाड़ा में भी जीतते हैं, तो भाग्यशाली होंगे। इसलिए मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।

उमर अब्दुल्ला ने राहुल गांधी को दिया सुझाव

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के प्रमुख नेता राहुल गांधी के बुधवार को जम्मू-कश्मीर दौरे के संदर्भ में उमर अब्दुल्ला ने सुझाव दिया कि कांग्रेस को जम्मू पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सकारात्मक बात है कि राहुल गांधी कांग्रेस के चुनाव प्रचार में सक्रिय हैं। उमर की उम्मीद है कि राहुल कश्मीर में एक या दो सीटों पर प्रचार करने के बाद जम्मू की ओर ध्यान देंगे।

उमर ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस का प्रदर्शन कश्मीर में क्या होता है, इसकी तुलना में जम्मू में उनका प्रदर्शन कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जम्मू में कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन उनके लिए और उनके गठबंधन के लिए फायदेमंद होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस ने जम्मू के मैदानी क्षेत्रों में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अपेक्षाकृत कम काम किया है।

उमर ने आगे कहा कि जम्मू में गठबंधन द्वारा दी गई सीटों में से अधिकांश कांग्रेस पार्टी को मिलीं, लेकिन फिर भी जम्मू में कांग्रेस का प्रचार अभी शुरू होना बाकी है। उन्होंने बताया कि अब केवल पांच दिन का चुनावी प्रचार बाकी है। इसलिए, उमर की उम्मीद है कि घाटी में एक सीट पर राहुल के प्रचार खत्म करने के बाद, कांग्रेस जम्मू के मैदानी इलाकों पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करेगी।

 

 

 

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