छात्र एक दिवसीय परीक्षा की मांग को लेकर नार्मलाइजेशन को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हुए थे। इस दौरान प्रतियोगी छात्रों ने दो बार बैरीकेडिंग तोड़ी। पहली बार वे सोमवार को प्रदर्शन के लिए पहुंचे थे और दूसरी बार गुरुवार को पुलिस द्वारा छात्रों को जबरन उठाए जाने के बाद बैरीकेडिंग तोड़ी, जिसके बाद उन्होंने आयोग को फिर से कब्जे में ले लिया।
प्रयागराज: पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को वन डे-वन शिफ्ट में कराने की मांग को लेकर छात्र आंदोलन सोमवार से शुरू हुआ था और शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे खत्म हो गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) लगभग 106 घंटे तक प्रतियोगी छात्रों के कब्जे में रहा। पुलिस ने शुक्रवार रात धरने पर बैठे करीब 10 छात्रों को जबरन उठाया, जिसके बाद यह आंदोलन समाप्त हुआ।
हालांकि, गुरुवार को आयोग ने यह घोषणा की कि पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2024 को एक ही दिन में आयोजित किया जाएगा, जिससे छात्रों का आक्रोश कुछ कम हो गया था। लेकिन आरओ/एआरओ परीक्षा को भी एक दिन में कराने की मांग को लेकर आंदोलन जारी रहा। अंत में, शुक्रवार रात आयोग द्वारा आरओ/एआरओ परीक्षा को स्थगित कर दिया गया और समिति के साथ आगे की प्रक्रिया पर विचार करने का निर्णय लिया गया, जिससे आंदोलन का अंत हुआ।
आयोग और छात्रों के बीच बनी सहमती
सुबह होते-होते प्रतियोगियों की संख्या में गिरावट आनी शुरू हो गई और जब उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा को 22 दिसंबर को दो सत्रों में कराने की घोषणा की, तो आंदोलन स्थल पर मौजूद प्रतियोगी छात्रों की भीड़ भी घट गई। हालांकि, कुछ आंदोलनकारी छात्र आरओ/एआरओ परीक्षा को भी एक दिन में कराने की मांग उठाते रहे, लेकिन शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे पुलिस ने आखिरी बचे हुए छात्रों को हटाकर प्रदर्शन खत्म कर दिया।
गुरुवार शाम चार बजे जब आयोग ने पीसीएस की एक दिवसीय परीक्षा कराने का निर्णय लिया, तब से लेकर शुक्रवार शाम साढ़े आठ बजे तक, यानी 29 घंटे तक, प्रतियोगी छात्रों ने आयोग के सभी छह द्वारों पर कब्जा कर रखा था। इस दौरान आयोग के अधिकारी और कर्मचारी बंधक जैसे हो गए थे। कर्मचारी छात्रों से छिपते हुए दीवारों से कूदकर बाहर निकलते, लेकिन जैसे ही छात्रों की नजर पड़ती, नारेबाजी शुरू हो जाती थी।
छात्र आंदोलन में पुलिस और आयोग को उठानी पड़ी परेशानी
इस आंदोलन ने केवल उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) को ही नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासन को भी परेशान कर दिया। सड़क पर यातायात रोकने के कारण आम जनता को भी काफी दिक्कतें उठानी पड़ीं। आसपास के लोगों को भी इस आंदोलन से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। डीएम, पुलिस आयुक्त और कमिश्नर को बार-बार छात्रों के बीच आकर उन्हें समझाना पड़ रहा था, ताकि स्थिति को शांत किया जा सके और प्रदर्शन को नियंत्रित किया जा सके।
छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे, खासकर एक दिवसीय परीक्षा की मांग को लेकर और नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया को रद करने की बात भी उठाई। इस दौरान, प्रतियोगी छात्रों ने दो बार बैरीकेडिंग तोड़ी। पहली बार जब वे सोमवार को प्रदर्शन के लिए पहुंचे और दूसरी बार जब गुरुवार को पुलिस ने उन्हें जबरन उठाया, तब छात्रों ने फिर से बैरीकेडिंग तोड़कर आयोग पर कब्जा कर लिया। इस संघर्ष के बावजूद, अंततः आयोग ने 22 दिसंबर को पीसीएस परीक्षा को दो सत्रों में आयोजित करने का फैसला लिया, जिसके बाद आंदोलन का प्रभाव कम हुआ और प्रदर्शन खत्म हो गया।