प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की बढ़ती भूमिका का एक और प्रमाण सामने आया है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत को 2025-26 के लिए शांति स्थापना आयोग (PBC) का सदस्य चुना है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बढ़ती ताकत को दर्शाता है, बल्कि शांति और स्थिरता के प्रति उसकी गहरी प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।
भारत का शांति अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान
भारत ने हमेशा से संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में अग्रणी भूमिका निभाई है। वर्तमान में 6,000 से अधिक भारतीय सैन्य और पुलिसकर्मी संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अभियानों में तैनात हैं। ये कर्मी अफ्रीका से लेकर पश्चिम एशिया तक के संघर्ष क्षेत्रों में शांति स्थापित करने का कार्य कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने इस अवसर पर कहा, "भारत शांति और स्थिरता के लिए अपने योगदान को जारी रखने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत हमेशा वैश्विक सहयोग में अग्रणी रहा है।"
180 भारतीय जवानों का सर्वोच्च बलिदान
शांति अभियानों में भारत की भूमिका केवल सैनिक भेजने तक सीमित नहीं है। अब तक 180 भारतीय जवानों ने कर्तव्य निर्वहन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी है। यह आंकड़ा किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है। यह बलिदान भारत की प्रतिबद्धता और उसके सैनिकों की साहसिक भावना को दर्शाता है।
मोदी युग: अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का स्वर्णकाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को न केवल आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में सशक्त किया है, बल्कि वैश्विक मंचों पर भी एक मजबूत पहचान दी है। भारत का शांति स्थापना आयोग में फिर से चुना जाना इस बात का प्रमाण है कि दुनिया अब भारत को नेतृत्व के एक नए स्तंभ के रूप में देख रही है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की यह उपलब्धि वैश्विक सहयोग के प्रति उसकी स्थायी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारत ने अपनी कूटनीतिक कुशलता के माध्यम से न केवल शांति अभियानों में भूमिका निभाई है, बल्कि विश्व के सामने एक जिम्मेदार देश के रूप में खुद को स्थापित किया है।
भारत की सदस्यता क्यों है महत्वपूर्ण?
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना आयोग में सदस्यता न केवल सम्मान का प्रतीक है, बल्कि यह वैश्विक शांति और स्थिरता में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करती है।
भारत की पुन: सदस्यता यह दिखाती है कि वैश्विक स्तर पर भारत के योगदान को गंभीरता से लिया जा रहा है। यह न केवल भारत के लिए गर्व की बात है, बल्कि उसकी बढ़ती कूटनीतिक शक्ति और वैश्विक नेतृत्व का भी प्रतीक है।
वैश्विक शांति का अग्रदूत बना भारत
भारत के लिए यह अवसर केवल सदस्यता का नहीं, बल्कि शांति स्थापना में नई ऊंचाइयों को छूने का एक और मौका है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का यह सफर शांति और स्थिरता के नए अध्याय लिखने के लिए तैयार है।