कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि 27 जनवरी को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होगा। इस दौरान खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह अविश्वास प्रस्ताव लाने का इरादा रखते हैं, जिससे सरकार की स्थिति संकट में है।
Canada News: कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के लिए स्थिति बिगड़ती जा रही है। अगले साल अक्टूबर में होने वाले फेडरल चुनाव से पहले ही उन्हें एक बड़ा झटका लगा है। उनके पूर्व सहयोगी और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है। यह कदम ट्रूडो के लिए दोहरा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि कनाडा में उनके नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी की लोकप्रियता लगातार गिर रही है और ओपिनियन पोल्स में हार का अनुमान जताया जा रहा है।
कनाडा की राजनीति में संकट
ट्रूडो की सरकार पहले ही अल्पमत में चल रही है, और अब अविश्वास प्रस्ताव से उनकी सरकार की स्थिरता और भी खतरे में है। यह प्रस्ताव 27 जनवरी को संसद सत्र के दौरान लाया जा सकता है, जब संसद शीतकालीन अवकाश के बाद फिर से सक्रिय होगी। इस प्रस्ताव से सरकार गिरने का भी खतरा पैदा हो सकता है।
ट्रूडो के पास विकल्प
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पास अब कुछ विकल्प बचते हैं। पहला विकल्प इस्तीफा देने का है। अगर वे पद छोड़ते हैं, तो लिबरल पार्टी एक अंतरिम प्रधानमंत्री की नियुक्ति कर सकती है, और फिर नए नेता का चुनाव किया जा सकता है। हालांकि, ट्रूडो यह पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि वे इस्तीफा नहीं देंगे, तो दूसरा विकल्प है उन्हें जबरन पद से हटाया जाना। इस मामले में, लिबरल पार्टी के मंत्री उन्हें हटाने का दबाव डाल सकते हैं, लेकिन इसमें कोई आधिकारिक प्रक्रिया नहीं है। तीसरा विकल्प सरकार का गिरना हो सकता है, यदि सदन में बजट या अन्य खर्चों पर विश्वास वोट नहीं मिलता।
कनाडा की सत्ता संरचना
कनाडा में सत्ता की अंतिम शक्ति गवर्नर जनरल के हाथ में होती है, जो किंग चार्ल्स का प्रतिनिधि होता है। यदि ट्रूडो सदन में बहुमत साबित करने में असफल रहते हैं, तो गवर्नर जनरल उन्हें उनके पद से हटा सकती हैं।
लिबरल पार्टी का संकट
कनाडा के निचले सदन में लिबरल पार्टी के पास महज 153 सदस्य हैं, जो कुल 338 में से आधे से भी कम हैं। साथ ही, न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के 25 सदस्य हैं, जिनकी पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है। इससे पहले, उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी इस्तीफा दे दिया था, और पार्टी के 60 सदस्य ट्रूडो के खिलाफ खड़े हो गए थे।
ट्रूडो की गलत नीतियां
जस्टिन ट्रूडो ने हमेशा भारत के खिलाफ जहर उगला है, और इसके पीछे सबसे बड़ी वजह उनके पास खालिस्तान समर्थक नेताओं का समर्थन होना था। अब उन्हीं खालिस्तान समर्थकों में से एक जगमीत सिंह, जिनके लिए ट्रूडो ने लगातार भारत के खिलाफ बयान दिए थे, उनके ही पार्टी ने ट्रूडो के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है। कनाडा ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में साजिश रचने का आरोप लगाया था, लेकिन बार-बार भारत सरकार ने इस पर सबूत मांगे, लेकिन कनाडा ने कोई ठोस प्रमाण पेश नहीं किए।
क्या होगा आगे?
कनाडा में सत्ता संघर्ष के इस मोड़ पर प्रधानमंत्री ट्रूडो के लिए मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं। यह देखा जाएगा कि उनकी पार्टी अगले कदम में क्या कार्रवाई करती है, और क्या वे अपनी सरकार को बचा पाते हैं या नहीं।