ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता में तनाव बढ़ गया है। खामेनेई ने अमेरिका की शर्तें अपमानजनक करार दी हैं। चार दौर की वार्ता के बाद भी कोई समझौता नहीं हुआ है। पांचवां दौर रोम में हो सकता है।
America -Iran: ईरान और अमेरिका के बीच चल रही परमाणु वार्ताओं में अब तक चार दौर पूरे हो चुके हैं, लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया है। इस बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका की शर्तों को “अपमानजनक” बताया है। उनका कहना है कि अमेरिका का व्यवहार ऐसा है जैसे वह ईरान को झुकने के लिए मजबूर करना चाहता हो।
खामेनेई बोले- अमेरिका की मांगें स्वीकार्य नहीं
ईरान की सरकारी मीडिया के अनुसार, खामेनेई ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह परमाणु वार्ता को लेकर आश्वस्त नहीं हैं और उन्हें यह भी नहीं लगता कि अमेरिका से किसी प्रकार का संतोषजनक समझौता हो पाएगा। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि अमेरिका के साथ यह वार्ता किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी। अमेरिका को चाहिए कि वह ईरान से अधिक मांग करना बंद करे।”
यूरेनियम संवर्धन पर अमेरिका-ईरान आमने-सामने
मुख्य विवाद की जड़ यूरेनियम संवर्धन (uranium enrichment) को लेकर है। अमेरिका का कहना है कि अगर ईरान यूरेनियम संवर्धन जारी रखता है तो वह भविष्य में परमाणु बम बना सकता है। वहीं, ईरान का दावा है कि उसका न्यूक्लियर प्रोग्राम पूरी तरह से शांति और ऊर्जा उत्पादन के लिए है।
ईरान के मंत्री ने जताई वार्ता विफल होने की आशंका
ईरान के राजनीतिक मामलों के उप विदेश मंत्री माजिद तख्त-रवांची ने सोमवार को स्पष्ट कहा कि यदि अमेरिका, ईरान को घरेलू स्तर पर यूरेनियम संवर्धन से रोकना चाहता है, तो यह वार्ता सफल नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा, “हम अपनी संप्रभुता से समझौता नहीं करेंगे।”
खुफिया प्रस्ताव पर विचार कर रहा है ईरान
ईरान के एक और वरिष्ठ अधिकारी, उप विदेश मंत्री काजम गरीबाबादी ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका से एक नया प्रस्ताव मिला है, जिस पर विचार किया जा रहा है। यह स्पष्ट नहीं है कि उस प्रस्ताव में क्या शामिल है, लेकिन संकेत हैं कि अमेरिका अब भी ईरान से कड़े प्रतिबंध हटाने के बदले यूरेनियम संवर्धन रोकने की मांग कर रहा है।
ट्रंप की पुरानी धमकी फिर चर्चा में
इस पूरे विवाद के बीच, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियों की भी चर्चा हो रही है। ट्रंप ने अपने कार्यकाल में बार-बार चेतावनी दी थी कि अगर ईरान ने समझौता नहीं किया, तो वह सैन्य कार्रवाई कर सकता है। उन्होंने कहा था, “अगर ईरान जल्द कदम नहीं उठाता, तो उसके लिए गंभीर परिणाम होंगे।”
2015 का परमाणु समझौता और उसका टूटना
2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका और ईरान के बीच एक ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ था। इसके तहत ईरान ने यूरेनियम संवर्धन पर सख्त सीमाएं स्वीकार की थीं और बदले में उस पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिए गए थे। लेकिन ट्रंप प्रशासन ने 2018 में इस समझौते को एकतरफा रद्द कर दिया और फिर से ईरान पर प्रतिबंध थोप दिए।
ईरान ने फिर बढ़ाई संवर्धन क्षमता
ट्रंप के फैसले के बाद, ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अपनी यूरेनियम संवर्धन क्षमता को धीरे-धीरे बढ़ा दिया। इससे अमेरिका और यूरोपीय देशों की चिंता और बढ़ गई। अब नई वार्ता का लक्ष्य यही है कि ईरान को फिर से नियंत्रण में लाया जाए, लेकिन ईरान खुद को किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं मानता।