रूस ने हाल ही में यूक्रेन में ड्रोन और मिसाइल अटैक किया है, जिसमें उन्होंने ऊर्जा संयंत्रों को विशेष रूप से निशाना बनाया। इस हमले के परिणामस्वरूप यूक्रेन में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा है। यूक्रेन ने भी इस हमले का मुंह तोड़ जवाब देते हुए रूस के 22 ड्रोन मार गिराने का दावा किया हैं।
न्यूज़: रूस और यूक्रेन के बीच ongoing संघर्ष जारी है, और फिलहाल इसके थमने के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। हाल ही में, रूस ने यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले किए, जिसमें बुधवार रात को 56 से अधिक ड्रोन और मिसाइल हमले शामिल थे। रूसी सेना ने मायकोलाइव के दक्षिणी क्षेत्र में ऊर्जा संयंत्रों को निशाना बनाया, जिसके कारण कुछ इलाकों में बिजली सप्लाई बाधित हो गई है। मायकोलाइव के क्षेत्रीय गवर्नर विटाली किम ने पुष्टि की कि इन हमलों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं हैं।
यूक्रेन की वायुसेना ने भी फ्रंट लाइन के पास के क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर पांच हमलों की सूचना दी है। इस प्रकार के लगातार हमले संघर्ष के दौरान क्षेत्रीय स्थिरता को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं, और स्थानीय नागरिकों पर इसके गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं।
हमले में मार गिराए 22 ड्रोन
यूक्रेन की सेना ने जानकारी दी है कि हालिया हमलों के दौरान उसने 22 ड्रोन को मार गिराया, जबकि 27 ड्रोन का कोई पता नहीं चल पाया है। कीव के मेयर विटाली क्लिट्स्को ने बताया कि एक ड्रोन का मलबा राजधानी कीव में एक किंडरगार्टन के पास गिरा, लेकिन उन्होंने पुष्टि की कि कीव और आसपास के क्षेत्रों में किसी प्रकार के हताहत या नुकसान की सूचना नहीं है। यह स्थिति दर्शाती है कि यूक्रेन अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सफल हो रहा है, हालांकि खतरा अभी भी बना हुआ हैं।
अमेरिका ने बढ़ाया मदद का हाथ
यूक्रेन में जारी संघर्ष के बीच, अमेरिका ने एक बार फिर कीव की मदद के लिए कदम बढ़ाया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के लिए 425 मिलियन डॉलर के नए हथियार पैकेज की घोषणा की है। इस पैकेज में वायु रक्षा प्रणालियां, बख्तरबंद वाहन और अन्य आवश्यक हथियार शामिल हैं, जो यूक्रेन की सुरक्षा को मजबूत करने में मदद करेंगे।
हालांकि, इस नए पैकेज के तहत यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यूक्रेन को रूस में पश्चिमी निर्मित लंबी दूरी की मिसाइलों का उपयोग करने की अनुमति दी जाएगी या नहीं। अमेरिका की इस सहायता से यूक्रेन की सेना को अपनी रक्षा क्षमताओं को और भी अधिक मजबूत करने में मदद मिलेगी, विशेषकर जब रूस द्वारा निरंतर हमले जारी हैं।