SAARC: पाकिस्तान को भारतीय विदेश मंत्री की फटकार, एस. जयशंकर ने दक्षेस शिखर सम्मलेन न होने पर पाक को ठहराया जिम्मेदार

SAARC: पाकिस्तान को भारतीय विदेश मंत्री की फटकार, एस. जयशंकर ने दक्षेस शिखर सम्मलेन न होने पर पाक को ठहराया जिम्मेदार
Last Updated: 5 घंटा पहले

जयशंकर ने कहा, "आतंकवाद एक ऐसी समस्या है जिसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। वैश्विक दृष्टिकोण के बावजूद, यदि कोई पड़ोसी देश आतंकवाद को बढ़ावा देता है, तो उसे रोकना अत्यंत आवश्यक है।"

SAARC: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के संबंध में महत्वपूर्ण बयान दिया है। विदेश मंत्री ने शनिवार को बताया कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) आगे बढ़ने में असमर्थ है और पिछले कुछ वर्षों में इसकी बैठकें भी नहीं हुई हैं, क्योंकि इस क्षेत्रीय समूह का एक सदस्य सीमा पार आतंकवाद को निरंतर बढ़ावा दे रहा है।

दक्षेस पर एस जयशंकर का बयान

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि SAARC शिखर सम्मेलन का आयोजन हो पाने के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है। यह बयान तब आया जब जयशंकर इस महीने इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यात्रा पर जाने वाले हैं।

2016 के बाद से दक्षेस (SAARC) अपनी प्रभावशीलता में कमी आई है। दक्षेस देशों की आखिरी बैठक 2014 में काठमांडू में आयोजित हुई थी। इसके बाद से इस संगठन का कोई द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं हुआ है। जयशंकर ने कहा कि वर्तमान में दक्षेस में शामिल राष्ट्र आगे बढ़ने में असमर्थ हैं। इस संबंध में कोई बैठक भी आयोजित नहीं हुई है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इस संगठन का एक सदस्य देश अन्य कई दक्षेस देशों के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है।

''आतंकवाद एक बड़ी समस्या है": जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि यदि कोई पड़ोसी देश आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, तो उसके खिलाफ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस कारण पिछले कुछ वर्षों में SAARC की कोई बैठक नहीं हो सकी है। जब सभी देश सहयोग कर रहे हैं, लेकिन एक देश आतंकवाद फैला रहा है, तो यह सभी के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती है।

क्षेत्रीय गतिविधियों को लेकर की चर्चा

जयशंकर ने कहा कि, चूंकि सार्क की बैठकें नहीं हो रही हैं, इसका यह मतलब नहीं है कि क्षेत्रीय गतिविधियां थम गई हैं। पिछले पांच-छह वर्षों में, भारत के विभाजन के बाद से हमने भारतीय उपमहाद्वीप में कहीं अधिक क्षेत्रीय एकीकरण देखा है। जयशंकर ने क्षेत्रीय प्रगति में भारत की भागीदारी के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

जयशंकर ने कहा कि बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका में परिवहन में सुधार हो रहा है, जो भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के कारण है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि SAARC एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है जिसमें भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका शामिल हैं।

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