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सीजफायर की होड़: पाकिस्तान की हार के बाद अमेरिका और चीन की घुसपैठ

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पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव के दौरान पाकिस्तान ने अपनी हार के डर से भारत से सीजफायर की गुजारिश की। अब अमेरिका और चीन खुद को मसीहा साबित करने के लिए मैदान में उतर आए हैं।

India-Pak: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद जब पाकिस्तान ने भारत से सीजफायर की गुजारिश की, तो स्थिति में अचानक बदलाव आया। अब, दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बाद सीजफायर की सफलता का श्रेय लेने के लिए अमेरिका और चीन की प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के बाद अमेरिका और चीन अपनी भूमिका को महत्वपूर्ण साबित करने में लगे हुए हैं।

अमेरिका और चीन की 'मसीहाई' की होड़

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी सरकार ने एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश की। अमेरिका का दावा है कि उनकी मध्यस्थता के कारण ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर यह जानकारी दी, और सीजफायर के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया। इसके साथ ही, ट्रंप ने कहा कि उनकी कोशिशों के कारण ही यह शांतिपूर्ण समाधान सामने आया।

वहीं, चीन ने इस पर एक कदम और आगे बढ़ते हुए यह बयान दिया कि वह क्षेत्र को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाने का प्रयास करेगा। चीन ने अपने बयान में पाकिस्तान को भी आश्वस्त किया कि वह दोनों देशों के बीच संपर्क बनाए रखेगा और क्षेत्र की स्थिरता सुनिश्चित करेगा।

पाकिस्तान से नाराज है चीन

पाकिस्तान से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने सीजफायर की गुजारिश के लिए अमेरिका से मदद ली थी। इस बात को लेकर चीन पाकिस्तान से नाराज है, क्योंकि चीन चाहता था कि पाकिस्तान उसकी मदद ले। चीन को यह लगता है कि पाकिस्तान को अमेरिकी मध्यस्थता की बजाय सीधे चीन से मदद लेनी चाहिए थी।

इससे पहले भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि पाकिस्तान के डीजीएमओ (Director General of Military Operations) ने खुद फोन करके सीजफायर की मांग की थी, और इसे लेकर पाकिस्तान ने अमेरिका से संपर्क किया था। इससे यह भी साफ हुआ कि सीजफायर के लिए पाकिस्तान ने अमेरिका को मध्यस्थ के रूप में चुना, जो चीन को खटक गया।

अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा

अमेरिका और चीन के बीच 'क्रेडिट' की यह होड़ केवल सोशल मीडिया पोस्ट तक सीमित नहीं रही। चीन ने पाकिस्तान को फोन करके इसकी आलोचना की और फिर सीजफायर के लिए अपना पक्ष रखा। पाकिस्तान ने इसके बाद चीन के इस बयान का स्वागत किया और कहा कि वह क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए चीन के साथ संपर्क में रहेगा।

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