Switzerland: स्विट्ज़रलैंड ने भारत के साथ 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) का दर्जा किया रद्द, जानिए क्या होगा इसका प्रभाव

Switzerland: स्विट्ज़रलैंड ने भारत के साथ 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) का दर्जा किया रद्द, जानिए क्या होगा इसका प्रभाव
Last Updated: 15 दिसंबर 2024

'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) एक व्यापारिक व्यवस्था है जो विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों के बीच लागू होती है। इसमें, एक देश दूसरे को बिना भेदभाव के व्यापारिक लाभ देता है।

Switzerland: स्विट्ज़रलैंड ने भारत के साथ 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) का दर्जा वापस ले लिया है। यह कदम हाल ही में नेस्ले विवाद के कारण उठाया गया है, जब स्विस कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में यह दावा किया था कि भारत ने अन्य देशों को टैक्स में बेहतर छूट दी है, जबकि एमएफएन के तहत स्विट्ज़रलैंड की कंपनियों को भी यह छूट मिलनी चाहिए। यह निर्णय स्विट्ज़रलैंड के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद लिया गया है, जहां नेस्ले ने अपनी स्थिति स्पष्ट की थी कि भारत ने अन्य देशों के साथ एमएफएन समझौते में बेहतर डिविडेंड टैक्स की छूट दी है।

MFN दर्जा रद्द करने का कारण

स्विट्ज़रलैंड ने हाल ही में नेस्ले विवाद के कारण भारत के साथ 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा रद्द कर दिया है। स्विस कंपनी ने दावा किया कि भारत ने अन्य देशों को टैक्स में बेहतर छूट दी है, और स्विट्ज़रलैंड की कंपनियों को भी यह छूट मिलनी चाहिए।

भारत-स्विट्ज़रलैंड व्यापारिक स्थिति पर प्रभाव

इस निर्णय के बाद, भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच व्यापारिक स्थितियां प्रभावित हो सकती हैं। स्विट्ज़रलैंड सरकार ने घोषणा की है कि वह भारत को दी गई डबल टैक्स एग्रीमेंट (DTAA) की विशेषताएं वापस ले रही है।

स्विस कंपनियों पर वित्तीय असर

अजय श्रीवास्तव, जोकि भारत सरकार के विदेश व्यापार महानिदेशालय में एडिशनल डायरेक्टर फॉरेन ट्रेड (एडीजीएफटी) के पद पर रहे हैं, उन्होंने कहा हैं कि स्विस कंपनियों को अब भारत में अपने डिविडेंड पर 10% टैक्स चुकाना होगा, जो पहले 5% था। इसके अलावा, स्विस कंपनियों को भारत में कारोबार करने में अधिक समय और प्रयास करना होगा।

स्विट्ज़रलैंड का भारत में निवेश पर असर

स्विट्ज़रलैंड का यह निर्णय भारत में स्विस निवेश पर भी असर डाल सकता है। भारतीय दूतावास के आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2000 से 2023 के बीच स्विट्ज़रलैंड का भारत में निवेश 9.77 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा है। नए टैक्स नियमों के तहत, स्विस कंपनियों को अब भारत में निवेश पर पुनः विचार करना पड़ सकता है।

दूरगामी असर और व्यापार समझौते

इस बदलाव का असर तात्कालिक और दूरगामी दोनों प्रकार से हो सकता है। तात्कालिक असर के तहत, कंपनियों को अपने निवेश पर अधिक टैक्स चुकाना पड़ेगा, जिससे उनकी ROI (रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट) घट सकती है। दूरगामी असर यह हो सकता है कि भारत में 15 साल में 100 अरब डॉलर के निवेश पर असर पड़े। इसके अलावा, स्विट्ज़रलैंड के साथ भारत का मुक्त व्यापार समझौता भी अब प्रभावित हो सकता है।

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