One Nation-One Election: आखिर कब से लागू होगा यह नियम? संविधान में क्या-क्या होंगे बदलाव?

One Nation-One Election: आखिर कब से लागू होगा यह नियम? संविधान में क्या-क्या होंगे बदलाव?
Last Updated: 1 दिन पहले

केंद्र सरकार ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में गठित समिति की एक राष्ट्र-एक चुनाव प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इस विचार का आगाज 1984 में हुआ था, जब इसे पहली बार प्रस्तुत किया गया था। उल्लेखनीय है कि इससे पहले लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ आयोजित किए जा चुके हैं।

Election: वन नेशन-वन इलेक्शन पर गठित पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों को केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी है। इस कमेटी ने सुझाव दिया कि वर्ष 2029 में पूरे देश में एक साथ चुनाव आयोजित किए जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 में वन नेशन-वन इलेक्शन का वादा किया था, लेकिन 10 साल का समय गुजरने के बावजूद इस दिशा में आगे बढ़ना आसान नहीं हो पाया है। आइए जानते हैं कि कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे?

क्यों किया वन नेशन-वन इलेक्शन लागू ?

वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं, और कोविंद कमेटी के अलावा विधि आयोग भी इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहा है। यहाँ इस प्रक्रिया के मुख्य पहलुओं और आगामी कदमों का संक्षिप्त विवरण है:

कोविंद कमेटी की सिफारिशें

1. संवैधानिक संशोधन: कोविंद कमेटी ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की है। इनमें से अधिकांश संशोधन केंद्र सरकार द्वारा किया जा सकता है, और इसमें राज्य विधानसभाओं की सहमति की आवश्यकता नहीं होती, जिससे प्रक्रिया थोड़ी सरल हो सकती है।

2. मतदाता सूची और पहचान पत्र: कमेटी ने एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की सिफारिश की है। इसके लिए देश के कम से कम आधे राज्यों की सहमति की आवश्यकता होगी।

विधि आयोग की रिपोर्ट

विधि आयोग संभवतः लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों को 2029 में एक साथ कराने की सिफारिश करेगा।

अगला चरण

1. संविधान संशोधन विधेयक- विधि आयोग और कोविंद कमेटी की सिफारिशों के आधार पर, सरकार संविधान में आवश्यक संशोधन के लिए विधेयक तैयार करेगी।

- पार्लियामेंट: विधेयक को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में पेश किया जाएगा और पास किया जाएगा।

2.राष्ट्रपति की मंजूरी

- प्रस्ताव: लोकसभा और राज्यसभा में विधेयक पास होने के बाद, इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

- स्वीकृति: राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद, विधेयक कानून बन जाएगा और चुनाव आयोग को एक साथ चुनाव कराने की विधिक शक्ति मिल जाएगी.

3. चुनाव आयोग की तैयारी- संसाधन और योजना चुनाव आयोग को एक साथ चुनावों के लिए व्यापक संसाधनों और लंबी तैयारी की आवश्यकता होगी, जिसमें एक एकीकृत मतदाता सूची और चुनावी व्यवस्था का निर्माण शामिल है।

4. मतदाता सूची एक एकीकृत मतदाता सूची तैयार करना और सभी स्तरों पर एक ही समय पर चुनाव कराने के लिए आवश्यक तकनीकी और प्रशासनिक तैयारी की जाएगी।

संभावित चुनौतियां

1. राज्य विधानसभाओं की सहमति- एक समान मतदाता सूची और पहचान पत्र के लिए राज्यों की सहमति प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

2. प्रशासनिक तैयारियां- देश के विभिन्न हिस्सों में एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को विशाल प्रशासनिक और लॉजिस्टिक तैयारियाँ करनी होंगी।

वन नेशन-वन इलेक्शन की योजना को लागू करने के लिए कई संवैधानिक और प्रशासनिक बाधाओं को पार करना होगा। इसके लिए सरकार को विधेयक पेश करने, संविधान में संशोधन करने, और चुनाव आयोग को पूरी तरह से तैयार करने की आवश्यकता होगी। यह प्रक्रिया 2029 तक पूरा होने की संभावना है, जो भारत के चुनावी परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव ला सकती है।

 

Leave a comment