IAS Success Story: 22 साल की उम्र में पहले प्रयास में यूपीएससी पास कर बनी आईएएस अधिकारी, जानिए उनकी प्रेरणादायक यात्रा

IAS Success Story: 22 साल की उम्र में पहले प्रयास में यूपीएससी पास कर बनी आईएएस अधिकारी, जानिए उनकी प्रेरणादायक यात्रा
Last Updated: 13 घंटा पहले

 

सुलोचना मीणा ने केवल 22 वर्ष की आयु में आईएएस बनकर देश की सबसे युवा आईएएस बनने का सम्मान प्राप्त किया है। वर्तमान समय में, वह झारखंड के पलामू जिले में अपनी सेवाएं दे रही हैं।

संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास करना हर किसी का सपना होता है, लेकिन इसे प्राप्त करना आसान नहीं है। इसके लिए प्रतिदिन घंटों तक पढ़ाई करना और अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। कई बार लोगों को इसमें समय लग जाता है, जबकि कुछ युवा पहली बार में ही सफलता हासिल कर लेते हैं। ऐसी ही एक युवा हैं जिन्होंने केवल 22 वर्ष की आयु में यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईएएस बनने का अपना सपना साकार किया। हम बात कर रहे हैं सुलोचना मीणा की, जो वर्तमान में झारखंड में अपनी सेवाएं दे रही हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी के बारे में...

पहले ही प्रयास में मिली सफलता

सवाई माधोपुर जिले के छोटे से गांव आदलवाडा की रहने वाली सुलोचना मीणा ने 2021 की सिविल सेवा परीक्षा में पहली बार भाग लिया और ऑल इंडिया में 415वीं रैंक के साथ अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में छठी रैंक हासिल कर आईएएस बन गईं। वह अपने गांव और देश में सबसे कम उम्र की आईएएस बनने वाली पहली महिला हैं।

बचपन से था आईएएस बनने का सपना

सुलोचना मीणा ने हमेशा इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने का मन बनाया। जब उन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की, तो वह सीधे दिल्ली चली गईं। दिल्ली विश्वविद्यालय में बॉटनी में बीएससी में दाखिला लेने के बाद भी, उनका ध्यान अपने आईएएस बनने के सपने को पूरा करने पर ही केंद्रित रहा। सुलोचना ने हर समय इस दिशा में सोचना जारी रखा और अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी मेहनत की।

जहां से भी मिला, ज्ञान का संग्रह किया

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि तैयारी के दिनों में उन्होंने जहाँ से भी ज्ञान प्राप्त किया, उसे इकट्ठा कर लिया। अध्ययन के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी करते हुए उन्होंने समाचार पत्र, मॉक टेस्ट, यूट्यूब और टेलीग्राम पर उपलब्ध मुफ्त पाठ्य सामग्री से पढ़ाई की। नियमित कोर्स सामग्री का भी उपयोग किया, साथ ही वे रोजाना 8 से 9 घंटे तक पढ़ाई करती थीं। फिर भी, उनका सबसे अधिक ध्यान एनसीईआरटी की किताबों पर था।

इसलिए सुर्खियों में आईं सुलोचना

हाल ही में सुलोचना अपने कार्य के कारण सोशल मीडिया और मीडिया में काफी चर्चा में थीं। इसका मुख्य कारण यह था कि झारखंड के मेदिनीनगर में एसडीएम सदर के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने अपने कोर्ट में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या को कम करने के लिए कोर्ट के कार्य दिवसों को हफ्ते में 2 दिन से बढ़ाकर 5 दिन कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, धीरे-धीरे उनके कोर्ट में मामलों की संख्या में कमी आने लगी। इसके अलावा, डीसी के निर्देश पर उन्होंने -ऑफिस पर काम शुरू किया, ताकि डेटा ऑनलाइन होने पर भूमि विवादों का समाधान तेजी से और आसानी से किया जा सके।

 

Leave a comment