Shikhar Dhawan Birthday: जीरो से हीरो तक - 'गब्बर' का सफर जिसने कई बार टीम से बाहर होने के बाद भी जीता दिल

Shikhar Dhawan Birthday: जीरो से हीरो तक - 'गब्बर' का सफर जिसने कई बार टीम से बाहर होने के बाद भी जीता दिल
Last Updated: 8 घंटा पहले

शिखर धवन का जन्मदिन हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है। आज भारत के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन अपना 39वां जन्मदिन मना रहे हैं, और उनके चाहने वाले उन्हें बधाई दे रहे हैं। भारतीय क्रिकेट में 'गब्बर' के नाम से मशहूर धवन का क्रिकेट करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका नाम गब्बर कैसे पड़ा और कैसे उन्होंने खुद को भारतीय टीम में स्थापित किया, आइए जानें उनकी पूरी कहानी।

शिखर धवन की क्रिकेट यात्रा

शिखर धवन का क्रिकेट करियर कभी आसान नहीं रहा। उनका सफर भी कई ऐसे क्रिकेटर्स जैसा रहा जिनकी शुरुआत मुश्किलों से हुई। 12 साल की उम्र से क्रिकेट खेलते हुए धवन ने दिल्ली के लिए विजय मर्चेंट ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन किया और अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने अंडर-19 विश्व कप में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन असल चुनौती उनके लिए इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू करना था, और इसके लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा।

2010 में शिखर धवन को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पहली वनडे सीरीज़ में खेलने का मौका मिला। दुर्भाग्यवश, धवन पहले मैच में शून्य पर आउट हो गए, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय अपनी मेहनत जारी रखी। 2012 में उन्हें टी20 क्रिकेट में डेब्यू करने का मौका मिला, लेकिन वहां भी उनका बल्ला खामोश रहा और वे महज 5 रन बनाकर आउट हो गए।

टीम इंडिया में लगातार उतार-चढ़ाव

धवन के लिए क्रिकेट करियर में उतार-चढ़ाव आना तय था। कई बार उन्हें टीम इंडिया से बाहर किया गया, लेकिन उन्होंने हमेशा अपनी जगह पक्की करने की कोशिश जारी रखी। 2013 में उनका बल्ला बोला और उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। इस साल उन्होंने 26 वनडे मैचों में 1162 रन बनाए, जिसमें उनकी सबसे शानदार पारी चैंपियंस ट्रॉफी में 363 रन की रही। इसी साल भारत ने तीसरी बार आईसीसी इवेंट की ट्रॉफी जीती।

इसके बाद धवन का करियर लगातार ऊंचाइयों तक पहुंचा, लेकिन 2019 के बाद वह धीरे-धीरे टीम से बाहर होते गए। हाल ही में खेले गए 2023 वनडे विश्व कप में भी उन्हें नजरअंदाज किया गया, और उनकी बढ़ती उम्र के कारण युवा खिलाड़ियों को अधिक मौके मिलने लगे।

'गब्बर' क्यों बने शिखर धवन?

शिखर धवन का नाम 'गब्बर' कैसे पड़ा, ये एक दिलचस्प कहानी है। उन्होंने खुद एक शो के दौरान इसका खुलासा किया था। धवन के मुताबिक, जब वह रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे, तो कोच विजय ने उन्हें 'गब्बर' नाम दिया। दरअसल, रणजी ट्रॉफी के दौरान जब कोई दूसरी टीम बड़ी साझेदारी कर रही होती, तो धवन सिली प्वाइंट पर बैठकर अपने साथी खिलाड़ियों को मोटिवेट करने के लिए शोर मचाते थे। वह चिल्लाकर कहते थे, "बहुत याराना लगता है सुअर के बच्चों", जो कि फिल्म 'शोले' के गब्बर की शैली से प्रेरित था। धवन के इस मजेदार अंदाज को देखकर कोच विजय ने उन्हें 'गब्बर' का टैग दे दिया। बाद में यह नाम इतना फेमस हो गया कि आज सभी उन्हें इसी नाम से पहचानते हैं।

आज शिखर धवन एक स्थापित क्रिकेटर हैं, जिन्होंने न केवल भारतीय क्रिकेट को कई यादगार जीतें दिलाई हैं, बल्कि अपनी मेहनत और संघर्ष के कारण वह क्रिकेटप्रेमियों के दिलों में एक अलग जगह बन चुके हैं। उनका जीवन यह दिखाता है कि अगर व्यक्ति में कुछ कर दिखाने का जुनून हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सफलता पा सकता है।

आज शिखर धवन के 38वें जन्मदिन के मौके पर हम उनके संघर्ष, मेहनत और सफलता को सलाम करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह भारतीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ते रहें।

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