ओलंपिक में भाग लेने वाली भारत की पहली महिला जिमनास्ट, दीपा करमाकर ने सोमवार को अपने प्रशंसकों को एक बड़ा सदमा दिया। उन्होंने आज खेल से संन्यास लेने की घोषणा की। दीपा ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने इस निर्णय की जानकारी साझा की। इसके साथ ही, उन्होंने भविष्य में कोच या मेंटर बनने का संकेत भी दिया है।
Dipa Karmakar retires: दीपा कर्माकर, जो ओलंपिक में भाग लेने वाली भारत की पहली महिला जिम्नास्ट हैं, ने सोमवार को अपने फैंस को दुखी करते हुए खेल से संन्यास की घोषणा की। यह निर्णय उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह निर्णय उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन अब सही समय है। दीपा का यह निर्णय पिछले महीने पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहने के बाद आया है।
जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का निर्णय: दीपा
दीपा कर्माकर ने अपने संन्यास की घोषणा करते हुए कहा, "बहुत सोचने के बाद मैंने जिम्नास्टिक से संन्यास लेने का निर्णय लिया है। यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन अब सही समय लगता है।" उन्होंने यह भी साझा किया कि जिम्नास्टिक उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा रहा है और वे इसके लिए आभारी हैं।
दीपा ने अपनी बचपन की यादों को साझा करते हुए कहा, "मुझे पांच साल की दीपा याद है, जिसे बताया गया था कि वह अपने सपाट पैरों के कारण कभी जिमनास्ट नहीं बन सकती।" उन्होंने कहा कि आज अपनी उपलब्धियों को देखकर उन्हें गर्व महसूस होता है, खासकर विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करना, मेडल जीतना और रियो ओलंपिक में प्रोडुनोवा वॉल्ट का प्रदर्शन करना उनके करियर के सबसे यादगार पलों में से एक है।
ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला
दीपा कर्माकर, त्रिपुरा की जिम्नास्ट, ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला जिम्नास्ट बनीं। उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक में भाग लिया, जहां वह वॉल्ट फाइनल में चौथे स्थान पर रही थीं। वह कांस्य पदक जीतने से मात्र 0.15 अंक से चूक गईं, जो उनके लिए एक कठिन अनुभव रहा।
दीपा की कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां
उन्होंने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। 2014 में, उन्होंने ग्लासगो में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के वॉल्ट फाइनल में कांस्य पदक जीता, और इस तरह वह इस खेल में यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।
इसके बाद, 2015 में, उन्होंने हिरोशिमा में एशियाई चैंपियनशिप में भी कांस्य पदक जीता। उसी वर्ष, दीपा ने 2015 विश्व कलात्मक जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए पांचवें स्थान पर भी जगह बनाई। इन सभी उपलब्धियों ने दीपा को न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जिम्नास्टिक्स के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक चेहरा बना दिया।
हाल ही में दीपा कर्माकर ने चोटों और डोपिंग निलंबन जैसी कई चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने दो बार घुटने की सर्जरी करवाई, जिसके बाद उन्हें राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी द्वारा 21 महीने के लिए निलंबित भी किया गया था।
इन सभी कठिनाइयों के बावजूद, दीपा ने शानदार वापसी की। मई 2024 में, उन्होंने ताशकंद में एशियाई सीनियर चैंपियनशिप में महिलाओं की वॉल्ट स्पर्धा में 13.566 के स्कोर के साथ टॉप स्थान हासिल किया, और इस तरह गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं।