Death anniversary of Lala Lajpat Rai: लाला लाजपत राय का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का स्मरण

Death anniversary of Lala Lajpat Rai: लाला लाजपत राय का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का स्मरण
Last Updated: 17 नवंबर 2024

लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि 17 नवम्बर को मनाई जाती है। लाला लाजपत राय का देहांत 17 नवम्बर 1928 को हुआ था। उनकी मृत्यु ब्रिटिश पुलिस द्वारा किये गए लाठीचार्ज के कारण हुई, जब वे साइमन कमीशन के खिलाफ लाहौर में एक विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे थे। उनके बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया और उनकी मृत्यु के बाद उनके योगदान को लेकर भारतीय क्रांतिकारियों में भारी उत्साह और उत्तेजना थी, जिससे उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता की दिशा में प्रेरणास्त्रोत बना।

लाला लाजपत राय का जीवन परिचय

लाला लाजपत राय (28 जनवरी 1865 – 17 नवम्बर 1928) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और समाज सुधारक थे, जिन्हें "पंजाब केसरी" के नाम से भी जाना जाता है। उनका जीवन भारतीय राजनीति, समाज सुधार और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

प्रारंभिक जीवन

लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले के ढुट्टन गांव में हुआ था। वे एक ब्राह्मण परिवार से थे। लाजपत राय का बचपन बहुत सामान्य था, लेकिन उनमें बचपन से ही देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से ही प्राप्त की और बाद में लाहौर में शिक्षा जारी रखी।

शिक्षा और कैरियर

लाला लाजपत राय ने लाहौर के एक कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। वकालत के साथ-साथ, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेना शुरू किया। वे जल्द ही भारतीय राजनीति के प्रमुख नेताओं में शुमार हो गए और उनका नाम "लाल-बाल-पाल" के त्रिमूर्ति में शामिल हुआ, जिसमें बाल गंगाधर तिलक और बिपिन चंद्र पाल उनके साथी थे।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और स्वतंत्रता संग्राम

लाला लाजपत राय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के नेता थे, जो भारत में पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करते थे। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और अन्य आंदोलनाओं में भाग लिया। उन्होंने स्वदेशी वस्त्रों के प्रचार-प्रसार के लिए कड़ी मेहनत की और ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई।

लाजपत राय ने स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में मजबूत किया और इसके माध्यम से समाज सुधार कार्यों में योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा, महिला अधिकार, और जातिवाद के खिलाफ भी आवाज उठाई। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय समाज में भारतीय भाषाओं, विशेषकर हिंदी, के प्रचार-प्रसार के लिए भी काम किया।

साइमन कमीशन का विरोध और बलिदान

1928 में, जब ब्रिटिश सरकार ने साइमन कमीशन का गठन किया, तो लाला लाजपत राय ने इसके खिलाफ एक विशाल प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था, जो भारतीय जनता के लिए अस्वीकार्य था। लाहौर में हुए इस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्होंने अंतिम समय तक संघर्ष किया और कहा, "मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।

उनकी मौत 17 नवम्बर 1928 को हुई। उनका बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर रहेगा और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

लाला लाजपत राय का व्यक्तिगत जीवन

लाला लाजपत राय का व्यक्तिगत जीवन भी उनके देशभक्ति के सिद्धांतों और उनके सामाजिक उत्थान के कार्यों से प्रेरित था। वे एक ईमानदार और सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीते थे। उनका जीवन सादगी और देश के प्रति निष्ठा का प्रतीक था।

स्मारक और सम्मान

लाला लाजपत राय के सम्मान में देशभर में कई संस्थान, विद्यालय, अस्पताल और सड़कें उनके नाम पर रखी गई हैं। लाहौर में उनकी एक मूर्ति थी, जिसे विभाजन के बाद शिमला में स्थानांतरित कर दिया गया। लाला लाजपत राय के नाम पर कई मेडिकल कॉलेज और शैक्षिक संस्थान भी स्थापित किए गए हैं।

उनकी पुण्यतिथि 17 नवम्बर को पूरे देश में श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई जाती है। उनके योगदान को याद करते हुए, आज भी भारतीय समाज में उनके विचारों और कार्यों की अहमियत बनी हुई हैं।

लाला लाजपत राय की प्रमुख रचनाएँ

"दुखी भारत" (Unhappy India)

यह लाला लाजपत राय की एक प्रमुख रचना थी, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश शासन के तहत भारत की दुर्दशा और उसके प्रभाव पर गंभीर विचार व्यक्त किए। उन्होंने इस पुस्तक में ब्रिटिश साम्राज्य के भारत पर प्रभाव को विस्तार से समझाया और भारतीय समाज की शोषण की स्थिति को उजागर किया। इस किताब में लाजपत राय ने भारतीय समाज को जागरूक करने के प्रयास किए और स्वतंत्रता संग्राम की आवश्यकता पर बल दिया।

"यंग इंडिया" (Young India)

इस रचना में लाला लाजपत राय ने भारतीय युवाओं को उनकी जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने युवाओं को अपने देश के प्रति निष्ठा, संघर्ष और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया। यह पुस्तक भारतीय युवाओं के लिए एक आह्वान थी, ताकि वे अपने देश के भविष्य के निर्माण में भागीदार बन सकें।

"इंग्लैंड्स डेब्ट टू इंडिया" (England's Debt to India)

इस पुस्तक में लाला लाजपत राय ने ब्रिटेन के भारत पर शासन के दौरान भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर जो नकारात्मक प्रभाव डाले, उसे विस्तार से चर्चा की। उन्होंने इंग्लैंड के कर्जे को भारतीय जनता पर किए गए शोषण और लूट के रूप में देखा। यह पुस्तक ब्रिटिश साम्राज्य की नीति और उसके भारत में नकारात्मक प्रभाव के खिलाफ एक सशक्त तर्क था।

"द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडिया" (The Political Future of India)

इस रचना में लाला लाजपत राय ने भारत के राजनीतिक भविष्य को लेकर अपनी सोच व्यक्त की। उन्होंने भारतीय राजनीति में सुधार की आवश्यकता को महसूस किया और स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन प्रस्तुत किया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से भारतीय जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का प्रयास किया।

"द स्टोरी ऑफ माई लाइफ" (The Story of My Life)

यह लाला लाजपत राय की आत्मकथा थी, जिसमें उन्होंने अपने जीवन की यात्रा और संघर्षों का वर्णन किया। इस किताब में उन्होंने अपनी शिक्षा, राजनीतिक विचारों, स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी और समाज सुधार कार्यों के बारे में विस्तार से लिखा। यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व और विचारों को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

"द पंजाबी" (The Punjabi)

यह एक पंजाबी भाषा में प्रकाशित पत्रिका थी, जिसे लाला लाजपत राय ने भारतीय समाज में जागरूकता फैलाने और लोगों को राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ने के उद्देश्य से प्रकाशित किया था। इस पत्रिका के माध्यम से उन्होंने पंजाबी समाज के लोगों को जागरूक किया और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।

"स्वतंत्रता संग्राम के किवदंतियाँ" (Legends of the Freedom Struggle)

इस रचना में लाला लाजपत राय ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न वीर सेनानियों और उनके योगदान को सम्मानित किया। उन्होंने उन महापुरुषों की कहानियों को लिखा, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

Leave a comment