यशवंतराव चह्वाण: महाराष्ट्र के शिल्पकार की विरासत और भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका

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भारतीय राजनीति में जब भी मजबूत नेतृत्व, सहकारिता आंदोलन और समाजवादी लोकतंत्र की बात होती है, तो यशवंतराव बलवंतराव चह्वाण का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री और भारत के पांचवें उपप्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश की राजनीति को नई दिशा दी। एक स्वतंत्रता सेनानी, सहकारी नेता और प्रखर समाजवादी के रूप में उनकी भूमिका आज भी प्रासंगिक बनी हुई है।

महाराष्ट्र के निर्माता: एक किसान पुत्र का संघर्षमय सफर

12 मार्च 1913 को महाराष्ट्र के सातारा जिले में जन्मे यशवंतराव चह्वाण का जीवन संघर्ष और समाज सेवा का प्रतीक रहा। एक किसान परिवार से आने वाले चह्वाण ने बाल्यकाल से ही विपरीत परिस्थितियों का सामना किया। बचपन में ही पिता का साया उठ जाने के बावजूद उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी और पुणे से कानून की डिग्री प्राप्त की।

ब्रिटिश शासन के खिलाफ ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ से उनका सार्वजनिक जीवन प्रारंभ हुआ। 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान उन्होंने भूमिगत रहते हुए सत्याग्रहियों को संगठित किया और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष किया। इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री और सहकारिता आंदोलन के प्रणेता

स्वतंत्रता के बाद, चह्वाण मुंबई विधानसभा के सदस्य चुने गए और बाद में राज्य के मुख्यमंत्री बने। जब 1960 में महाराष्ट्र और गुजरात दो अलग-अलग राज्य बने, तो वे महाराष्ट्र के पहले मुख्यमंत्री बने। इस दौरान उन्होंने राज्य के औद्योगिक विकास और कृषि सुधारों पर विशेष ध्यान दिया। चह्वाण ने महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन को बढ़ावा दिया और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए सहकारी समितियों की स्थापना की। आज भी महाराष्ट्र का सहकारिता मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणादायक बना हुआ है।

रक्षा मंत्री के रूप में ऐतिहासिक भूमिका

1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान जब तत्कालीन रक्षा मंत्री वी.के. कृष्ण मेनन को इस्तीफा देना पड़ा, तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यशवंतराव चह्वाण को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण पर जोर दिया और रक्षा नीति को मजबूत किया। उनके प्रयासों ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना को मजबूती प्रदान की।

गृह, वित्त और विदेश मंत्री के रूप में योगदान

चह्वाण ने अपने राजनीतिक करियर में गृह मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों की भी जिम्मेदारी निभाई। वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने आर्थिक नीतियों में सुधार किए, तो विदेश मंत्री के रूप में उन्होंने भारत की वैश्विक छवि को मजबूत किया।

राजनीतिक उठापटक और कांग्रेस विभाजन में भूमिका

1969 में कांग्रेस विभाजन के समय चह्वाण ने पहले इंदिरा गांधी के विरोध में मतदान किया, लेकिन बाद में वे उनके समर्थन में आ गए। 1977 में जब कांग्रेस को करारी हार मिली, तो वे विपक्ष के नेता बने। बाद में उन्होंने चरण सिंह के साथ मिलकर राजनीतिक समीकरण बदलने की कोशिश की, लेकिन यह रणनीति सफल नहीं रही।

राजनीतिक जीवन का अंत और विरासत

अपने जीवन के अंतिम वर्षों में वे सक्रिय राजनीति से दूर होते गए। 25 नवंबर 1984 को दिल्ली में उनका निधन हो गया। हालांकि, उनकी नीतियां और विचारधारा आज भी प्रासंगिक हैं। महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन और कृषि सुधारों में उनकी भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज भी महाराष्ट्र और पूरे देश में उनकी स्मृति में कई संस्थान, योजनाएं और पुरस्कार चलाए जाते हैं, जो उनकी विरासत को जीवित रखते हैं। यशवंतराव चह्वाण केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होंने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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