बेटी का नसीब: तकदीर और संस्कारों की सच्ची कहानी

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गांव की पगडंडियों से गुजरते हुए लाजो का जीवन अपनी साधारणता में अद्भुत था। हर सुबह जब वह गांव के कुएं से पानी भरकर लौटती, तो उसकी सादगी और संस्कार गांववालों की नजरों में आदर का भाव जगाते। एक दिन जब वह पानी भरकर लौट रही थी, तो रास्ते में एक बुजुर्ग ने उससे पानी मांगा। लाजो ने बिना किसी सवाल के तुरंत घड़े से पानी पिलाया। बुजुर्ग ने आशीर्वाद देकर उसे धन्यवाद दिया और आगे बढ़ गए।

पुरानी दोस्ती, नई रिश्तेदारी

घर पहुंचते ही लाजो ने देखा कि वही बुजुर्ग उसके पिता रामधन के साथ खाट पर बैठे बातें कर रहे हैं। ये बुजुर्ग कोई और नहीं, बल्कि रामधन के पुराने दोस्त रत्नलाल थे, जो कई साल बाद मिलने आए थे। बातचीत के दौरान रत्नलाल ने लाजो की तारीफ की और उसकी सेवा भावना को सराहा। कुछ समय बाद रत्नलाल ने रामधन के सामने अपने बड़े बेटे सत्यम के लिए लाजो का हाथ मांग लिया। रामधन की आंखों में खुशी के आंसू थे, लेकिन गरीबी की सीमा ने उसे हिचकिचाने पर मजबूर कर दिया। रत्नलाल ने उसे भरोसा दिलाया कि वह सब संभाल लेगा — उसे सिर्फ अपनी बेटी की हां चाहिए।

संस्कार और समर्पण की परीक्षा

शादी की तारीख तय हो गई। रामधन ने अपनी बेटी की खुशी के लिए खेत गिरवी रखकर शादी की तैयारियों में जुट गया। एक हफ्ते पहले जब वह रत्नलाल से मिलने उनके गांव पहुंचा, तो रत्नलाल ने उसकी मेहनत और समर्पण को देखा। उन्होंने रामधन को समझाया कि यह रिश्ता धन-दौलत का नहीं, बल्कि संस्कारों का है।

रत्नलाल के छोटे बेटे वंश ने रामधन के गिरवी रखे हुए खेत के कागजात छुड़वा दिए और पचास हजार रुपये भी दिए, ताकि शादी की तैयारियों में कोई कमी न रहे।

खुशी, आंसू और जीवन का अंत

अपने दोस्त के इस समर्पण को देखकर रामधन भावुक हो गया। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन दिल में संतोष था कि उसकी बेटी का भविष्य सुरक्षित है। अचानक, इस असीम खुशी को वह संभाल नहीं पाया और उसने वहीं अपने प्राण त्याग दिए। रामधन के निधन से पूरा गांव शोक में डूब गया। रत्नलाल ने अपने दोस्त के अंतिम संस्कार में भाग लिया और उसकी जिम्मेदारियों को पूरा करने का वचन दिया। तेहरवीं के बाद सत्यम और लाजो का सादगी से विवाह करवा दिया गया।

नैतिक सीख

किसी के संस्कार उसकी असली पहचान होते हैं। धन-दौलत से बड़ा किसी का चरित्र होता है, और असली रिश्ते उसी आधार पर बनते और संवरते हैं। लाजो की सादगी और सेवा भावना ने उसकी तकदीर को संवार दिया, लेकिन रामधन की खुशी ने उसे जीवन से अलविदा करवा दिया।

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