जब मददगार टेक्नोलॉजी बन जाए पक्षपाती, तब सवाल उठाना ज़रूरी हो जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), जो स्वास्थ्य सेवाओं को तेज़, स्मार्ट और बेहतर बनाने के लिए लाया गया था, अब खुद कटघरे में खड़ा है। एक ताज़ा रिसर्च ने यह चौंकाने वाला दावा किया है कि AI सिस्टम अमीर और गरीब मरीजों में फर्क कर रहा है और इसका सीधा असर उनके इलाज पर पड़ रहा है।
क्या AI जानता है कौन अमीर है और कौन गरीब?
अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित माउंट सिनाई के इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में हुई इस स्टडी ने तकनीक की एक खतरनाक सच्चाई को उजागर किया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि AI मॉडल्स इलाज की सिफारिश करते वक्त मरीज की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी ध्यान में रखते हैं। यानी अगर कोई मरीज आर्थिक रूप से कमजोर है, तो उसे जरूरी मेडिकल जांच जैसे MRI या CT Scan की सलाह तक नहीं दी जाती।
इलाज में भेदभाव? उन्नत जांच सिर्फ अमीरों के लिए!
स्टडी के मुताबिक, महंगे और आधुनिक टेस्ट जैसे CT Scan और MRI की सलाह AI आमतौर पर सिर्फ उच्च आय वर्ग के मरीजों को ही देता है। वहीं, गरीब या निम्न आय वर्ग के मरीज even जब उन्हें इन जांचों की जरूरत होती है, AI उन्हें कम खर्च वाले या बिना टेस्ट के विकल्प सुझाता है।
AI सीख रहा है हमारे पुराने भेदभाव
इस भेदभाव की जड़ें AI की ट्रेनिंग में छिपी हैं। ज़्यादातर AI सिस्टम पुराने मेडिकल डेटा से प्रशिक्षित होते हैं, और अगर उस डेटा में गरीब मरीजों को कम टेस्ट कराए जाने की प्रवृत्ति रही है, तो AI उसी पैटर्न को आगे बढ़ाता है। यानी भूतकाल की गलतियों को AI भविष्य में भी दोहराता है।
सिर्फ इलाज नहीं, नौकरी और लोन में भी भेदभाव!
• यह पहली बार नहीं है जब AI के पूर्वाग्रह (bias) पर सवाल उठे हों। इससे पहले कई रिपोर्ट्स में सामने आया है कि
• AI नौकरी के इंटरव्यू में पुरुषों को वरीयता देता है।
• लोन अप्रूवल के दौरान जाति, आय वर्ग या क्षेत्र को आधार बनाता है।
डॉक्टरों को भरोसा, लेकिन आंख बंद कर नहीं
आज की तारीख में AI हेल्थकेयर में एक अहम रोल निभा रहा है, डायग्नोसिस से लेकर ट्रीटमेंट प्लान तक। लेकिन जब वही टेक्नोलॉजी पक्षपात करने लगे, तो उस पर पूरी तरह निर्भर रहना खतरनाक हो सकता है। भरोसा ज़रूर करें, लेकिन सोच-समझकर।
तकनीक को चाहिए इंसानियत
AI की ताकत जब तक इंसानी संवेदनाओं और मेडिकल एथिक्स से जुड़ी नहीं होगी, तब तक वो अधूरी ही रहेगी। जरूरी है कि टेक्नोलॉजी इंसानों के लिए बनेना कि उन्हें वर्गों में बांटने के लिए। AI से उम्मीदें बहुत हैं, लेकिन जिम्मेदारी उससे भी बड़ी है। अगर हम चाहते हैं कि भविष्य की चिकित्सा हर इंसान के लिए समान हो, तो हमें आज ही ऐसे AI सिस्टम्स को चुनौती देनी होगी, जो इलाज में भेदभाव करते हैं। टेक्नोलॉजी को इंसान के लिए होना चाहिए, ना कि उसके खिलाफ।